Monday, November 18, 2024
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बुरहानपुर की दीदीयों की स्वदेशी पहल: दीपावली पर आत्मनिर्भरता का संदेश

बुरहानपुर के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं दीपावली पर स्वदेशी उत्पादों के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। जानिए कैसे ये महिलाएं अपने गांवों में खुशियों और समृद्धि का संचार कर रही हैं।

दीपावली का त्यौहार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो न केवल प्रकाश और खुशियों का प्रतीक है, बल्कि समृद्धि और नई संभावनाओं का भी संदेश लाता है। बुरहानपुर जिले के जीवन स्वयं सहायता समूह की दीदी अर्चना प्रजापति कहती हैं कि दीपावली से घरों में सुख और समृद्धि आती है। इस बार, समूह की दीदीयों ने इस त्यौहार को और खास बनाने के लिए कई प्रकार के स्वदेशी उत्पादों का निर्माण किया है, जिनसे उन्हें न केवल आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि वे आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ रही हैं।

स्वदेशी उत्पादों की रचना

ग्राम बख्खारी और दर्यापुर में, म.प्र.डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत संचालित स्व सहायता समूह की महिलाओं ने दीपावली के मौके पर केले के रेशे से तोरण और मिट्टी के दीये तैयार किए हैं। इस वर्ष, उन्होंने 12,000 दीपक बेचे हैं, जिससे अर्चना और उनके समूह की महिलाओं को 8,000 रुपये की कमाई हुई। यह उनके प्रयासों का प्रमाण है कि वे न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि पर्यावरण का भी ध्यान रख रही हैं।

रोजगार के अवसर

इस दीपावली के दौरान, समूह की दीदीयों को रोजगार का भी अवसर मिला है। स्वदेशी उत्पादों के माध्यम से न केवल वे अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर रही हैं, बल्कि स्थानीय बाजार में भी स्वदेशी सामान की उपलब्धता बढ़ा रही हैं। दीदीयां अब आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम बढ़ा रही हैं, जिससे न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा समुदाय भी लाभान्वित हो रहा है।

पर्यावरण की रक्षा

समूह की दीदीयों द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीपक और केले के रेशे के तोरण पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ये सभी उत्पाद न केवल खूबसूरत हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को भी दर्शाते हैं। इस प्रकार, दीपावली पर मिट्टी के दीप जलाने से न केवल घरों में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी योगदान मिलता है।

समुदाय का समर्थन

इस तरह की पहलों के लिए, जिलेवासियों से अपील की जाती है कि वे इस दीपावली पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों का समर्थन करें। अगर आप तोरण खरीदना चाहते हैं या मिट्टी के दीपक और अन्य पूजन सामग्री लेना चाहते हैं, तो एनआरएलएम कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। इस प्रकार, आपके छोटे से योगदान से समूह की दीदीयों के घरों में भी खुशियों का संचार होगा।

स्वदेशी वस्तुओं का महत्व

स्वदेशी वस्तुएं न केवल हमारी संस्कृति और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। यहां कुछ प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से स्वदेशी वस्तुओं के महत्व को समझाया गया है:

1. आर्थिक आत्मनिर्भरता

  • स्वदेशी वस्तुओं का समर्थन करने से स्थानीय उद्योगों और कारीगरों को बढ़ावा मिलता है।
  • यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है और रोजगार के अवसर बढ़ाता है।

2. संस्कृति और परंपरा

  • स्वदेशी उत्पाद हमारी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हैं।
  • ये हमारे परंपरागत शिल्प कौशल और कलाओं को जीवित रखते हैं।

3. पर्यावरण संरक्षण

  • स्थानीय रूप से उत्पादित वस्तुएं कम कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न करती हैं।
  • मिट्टी के दीपक, कागज के सामान, और अन्य प्राकृतिक उत्पाद पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं।

4. समाजिक समर्पण

  • स्वदेशी वस्तुओं को खरीदकर हम स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायों का समर्थन करते हैं।
  • यह समाज में समृद्धि और समरसता को बढ़ावा देता है।

5. स्वास्थ्य लाभ

  • स्वदेशी वस्तुएं अक्सर रासायनिक तत्वों से मुक्त होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं।
  • प्राकृतिक सामग्रियों से बने उत्पादों का उपयोग स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माना जाता है।

समाज में एक प्रेरणादायक उदाहरण

स्वयं सहायता समूह की दीदीयां न केवल अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं, बल्कि समाज में भी एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश कर रही हैं। उनकी मेहनत और लगन इस बात का प्रमाण है कि जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो समाज भी सशक्त होता है। दीपावली का त्यौहार उनके प्रयासों का जश्न मनाने का सही समय है।

इस दीपावली पर, आइए हम सब मिलकर अपने स्थानीय उत्पादों का समर्थन करें और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम और बढ़ाएं। इससे न केवल हमारे समाज की महिलाएं सशक्त होंगी, बल्कि हमारे घरों में भी सुख और समृद्धि का संचार होगा।

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