बुरहानपुर के कपड़ा उद्योग में नई ऊर्जा: कलेक्टर हर्ष सिंह की पहल और आधुनिकता की बयार

बुरहानपुर जिले के कपड़ा उद्योग में विकास की अपार संभावनाएं! कलेक्टर हर्ष सिंह के औद्योगिक भ्रमण, आधुनिक तकनीक, और 12,000 से अधिक रोजगार के अवसरों की पूरी जानकारी यहां पढ़ें।

बुरहानपुर के कपड़ा उद्योग में नई ऊर्जा: कलेक्टर हर्ष सिंह की पहल और आधुनिकता की बयार
कलेक्टर हर्ष सिंह

मध्य प्रदेश का बुरहानपुर वह जिला जो अपने ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ अब औद्योगिक प्रगति के नए अध्याय लिख रहा है। यहां के कपड़ा उद्योग ने न केवल जिले की अर्थव्यवस्था को संवारा है, बल्कि हज़ारों परिवारों को रोज़गार के सुनहरे अवसर भी दिए हैं। हाल ही में नवनियुक्त कलेक्टर हर्ष सिंह ने इसी उद्योग की संभावनाओं को और विस्तार देने के लिए जिले के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों का भ्रमण किया। उनकी यह पहल न केवल स्थानीय उद्यमियों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह जिले के विकास की नई गाथा भी गढ़ रही है ।

कपड़ा उद्योग: बुरहानपुर की आर्थिक रीढ़

बुरहानपुर की पहचान देशभर में अपने वस्त्र उद्योग के लिए है। यहां के पावरलूम, स्पिनिंग मिल्स, और हस्तनिर्मित कपड़ों की मांग देश-विदेश तक है। जिले की अर्थव्यवस्था का 60% से अधिक हिस्सा कपड़ा उद्योग पर निर्भर है। यहां कपास की खेती से लेकर कपड़ों के निर्यात तक का पूरा इकोसिस्टम मौजूद है। नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन (एनटीसी) की 'ताप्ती मिल्स' जैसी प्रमुख इकाइयों के साथ-साथ कमल टेक्सटाइल्स, शिवम टेक्सटाइल्स जैसी सैकड़ों कंपनियां यहां सक्रिय हैं ।

कलेक्टर हर्ष सिंह का औद्योगिक भ्रमण: विकास की नई रूपरेखा

आईएएस अधिकारी और नवनियुक्त कलेक्टर हर्ष सिंह ने पदभार संभालते ही जिले के औद्योगिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने मोहम्मदपुरा, निम्बोला, और सुखपुरी जैसे प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा करके स्थानीय उद्यमियों से सीधा संवाद स्थापित किया। जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक श्री अभिलाष मेरावी ने कलेक्टर को इन क्षेत्रों की संरचना, चुनौतियों, और संभावनाओं से अवगत कराया ।

1. स्पिनिंग मिल्स में आधुनिक प्रक्रियाओं का अवलोकन

कलेक्टर ने सर्वप्रथम कृष्णा स्पिनिंग मिल और आर्या स्पिनटेक प्राइवेट लिमिटेड का दौरा किया। यहां उन्होंने कपास से धागा बनाने की पूरी प्रक्रिया, मशीनों की क्षमता, और निर्यात संबंधी रणनीतियों को समझा। उन्होंने कहा, "आधुनिक तकनीक के साथ यहां के उद्यमी वैश्विक मांग को पूरा करने में सक्षम हैं। इन इकाइयों में निवेश बढ़ाने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे" ।

2. डाईंग से लेकर ब्लीचिंग तक: बीटी इंडस्ट्रीज का अनूठा मॉडल

बीटी इंडस्ट्रीज में कलेक्टर ने कपड़ों की डाईंग, प्रिंटिंग, और ब्लीचिंग की बारीक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। इस इकाई में साड़ी, शर्ट के कपड़े, गमछा, और धोती जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं। श्री सिंह ने इन प्रक्रियाओं में लगे श्रमिकों के कौशल की सराहना करते हुए कहा कि "स्थानीय कारीगरों का हुनर ही इस उद्योग की असली ताकत है"।

3. पावरलूम क्लस्टर: रोजगार का बड़ा केंद्र

मोहम्मदपुरा में 18.75 एकड़ में बन रहा पावरलूम क्लस्टर इस दौरे का प्रमुख बिंदु था। 12.92 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस क्लस्टर में 64 इकाइयां स्थापित होंगी, जो लगभग 4,000 लोगों को रोजगार देंगी। कलेक्टर ने निर्माण कार्य में तेजी लाने और अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए ।

4. सुखपुरी टेक्सटाइल क्लस्टर: 7,600 लोगों के लिए आशा की किरण

63.06 हेक्टेयर में फैले सुखपुरी क्लस्टर में 225 इकाइयों के लिए 840 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। यहां विविंग, साइजिंग, और प्रोसेसिंग जैसी गतिविधियों से 7,600 लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। हालांकि, भूमि अतिक्रमण और गहरे गड्ढों जैसी चुनौतियों के बावजूद, कलेक्टर ने विकास कार्यों को प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया ।

5. निम्बोला क्लस्टर: 127 इकाइयों का लक्ष्य

निम्बोला में स्वीकृत टेक्सटाइल क्लस्टर में 127 इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य है। फेयरडील एक्सपोर्टर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट में सड़क, जल निकासी, और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर तेजी से काम चल रहा है ।

आधुनिक तकनीक: विकास की नई गति

कलेक्टर श्री सिंह ने जोर देकर कहा कि "कपड़ा उद्योग में आधुनिक मशीनों और डिजिटल प्रक्रियाओं का समावेश होना चाहिए। इससे उत्पादन गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ेगी।" उन्होंने ऑटोमेटेड लूम मशीनें, डिजिटल प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी, और ऊर्जा-कुशल उपकरणों के उपयोग पर विशेष ध्यान देने की बात कही ।

चनौतियां और समाधान: अतिक्रमण से लेकर बुनियादी ढांचे तक

हालांकि बुरहानपुर के औद्योगिक विकास में कई बाधाएं हैं, जैसे भूमि अतिक्रमण, अपर्याप्त बिजली आपूर्ति, और परिवहन सुविधाओं का अभाव। कलेक्टर ने इन मुद्दों को हल करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए कि "औद्योगिक क्षेत्रों का सीमांकन शीघ्र पूरा किया जाए और अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए" ।

निष्कर्ष: एक स्वप्निल भविष्य की ओर

बुरहानपुर का कपड़ा उद्योग न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। कलेक्टर हर्ष सिंह की सक्रियता और उद्योगों की प्रगति से यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में यह जिला देश के प्रमुख टेक्सटाइल हब के रूप में उभरेगा। जैसे-जैसे नए क्लस्टर पूर्ण होंगे, हज़ारों युवाओं को रोजगार मिलेगा, और बुरहानपुर की गाथा विकास की नई इबारत लिखेगी ।