छिंदवाड़ा: उपसरपंच की शादी पर पंचायत का तुगलकी फरमान! ₹1.30 लाख जुर्माना और बहिष्कार की धमकी – वजह जानकर चौंक जाएंगे

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में उपसरपंच उरदलाल यादव का आदिवासी युवती से विवाह विवाद का कारण बना। पंचायत ने 1.30 लाख का जुर्माना लगाया, प्रशासन ने शुरू की जांच। पढ़ें पूरी खबर।

छिंदवाड़ा: उपसरपंच की शादी पर पंचायत का तुगलकी फरमान! ₹1.30 लाख जुर्माना और बहिष्कार की धमकी – वजह जानकर चौंक जाएंगे
उपसरपंच का आदिवासी युवती से विवाह बना विवाद का कारण

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के हर्रई ब्लॉक के सालढाना गांव से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। यहां गांव के उपसरपंच उरदलाल यादव को एक आदिवासी युवती से विवाह करना भारी पड़ गया। इस विवाह ने न केवल गांव में हलचल मचा दी, बल्कि सामाजिक पंचायत के फैसले ने इसे और विवादास्पद बना दिया। पंचायत ने उपसरपंच पर 1.30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसके न चुकाने पर सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी गई। इस मामले ने अब प्रशासन का ध्यान खींचा है, और जांच के आदेश जारी किए गए हैं।

विवाह के बाद मचा बवाल

पिछले साल सितंबर में उरदलाल यादव ने एक आदिवासी युवती से विवाह किया। यह विवाह दोनों की सहमति से हुआ था, लेकिन गांव के कुछ लोगों को यह रिश्ता स्वीकार नहीं हुआ। सालढाना सहित आसपास के 10 गांवों—चुड़ी बाजवा, काराघाट, करेली, मुरकाखेड़ा, चौरासी, और आंचलकुंड—के सरपंचों ने एक संयुक्त पंचायत बुलाई। पंचायत में फैसला लिया गया कि उरदलाल ने आदिवासी युवती से विवाह करके सामाजिक नियमों का उल्लंघन किया है। इसके लिए उन पर 1.30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, और जुर्माना न चुकाने पर सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी दी गई।

साल बीत जाने के बाद भी उरदलाल ने जुर्माना नहीं भरा। अब इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है। उरदलाल ने खुद को पीड़ित बताते हुए जनसुनवाई में प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यह विवाह उनकी और उनकी पत्नी की आपसी सहमति से हुआ था, और वह जुर्माना चुकाने की स्थिति में नहीं हैं।

प्रशासन ने लिया संज्ञान

इस पूरे मामले के सामने आने के बाद छिंदवाड़ा प्रशासन सक्रिय हो गया है। जनसुनवाई में मौजूद अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दे दिए। अगर पंचायत का यह फैसला असंवैधानिक या कानून के खिलाफ पाया गया, तो संबंधित सरपंचों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। सालढाना पंचायत के सरपंच पति सुरेंद्र ने कहा कि यह फैसला 10 गांवों की पंचायत ने सर्वसम्मति से लिया था, लेकिन जुर्माना अब तक नहीं वसूला गया है।

उरदलाल की सफाई

उरदलाल यादव का कहना है कि उन्होंने किसी सामाजिक नियम को तोड़ने की मंशा नहीं रखी थी। उनका विवाह प्रेम और सहमति पर आधारित था। उन्होंने प्रशासन से इस मामले में निष्पक्ष जांच और न्याय की गुहार लगाई है। उरदलाल ने यह भी बताया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं और इतनी बड़ी राशि का जुर्माना चुकाना उनके लिए असंभव है। उनकी पत्नी भी इस मामले में उनके साथ है और दोनों चाहते हैं कि यह विवाद जल्द सुलझे।

सामाजिक रूढ़ियों पर सवाल

यह घटना एक बार फिर सामाजिक रूढ़ियों और पंचायतों की मनमानी पर सवाल उठाती है। भारत जैसे देश में, जहां संविधान सभी को समान अधिकार देता है, इस तरह के फैसले न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करते हैं, बल्कि सामाजिक एकता को भी कमजोर करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों में प्रशासन को कड़ा रुख अपनाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

आगे क्या?

छिंदवाड़ा प्रशासन ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। अगर पंचायत का फैसला गैरकानूनी पाया गया, तो सरपंचों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। वहीं, उरदलाल और उनकी पत्नी को भी इस मामले में न्याय मिलने की उम्मीद है। यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन सकता है, क्योंकि यह सामाजिक रूढ़ियों और कानून के बीच टकराव का एक जीता-जागता उदाहरण है।