Satna Jila Aspataal: गर्भवती महिला का गेट पर प्रसव, मोबाइल की रोशनी में हुई डिलीवरी से मचा हड़कंप

Satna Jila Aspataal: सतना जिला अस्पताल में बिजली गुल होने से गर्भवती सोनम कोल का प्रसव मुख्य गेट पर मोबाइल की रोशनी में हुआ। अस्पताल की आपातकालीन व्यवस्था की पोल खुली। पढ़ें पूरी खबर।

Satna Jila Aspataal: गर्भवती महिला का गेट पर प्रसव, मोबाइल की रोशनी में हुई डिलीवरी से मचा हड़कंप
गर्भवती महिला का गेट पर प्रसव, मोबाइल की रोशनी में हुई डिलीवरी

Satna Jila Aspataal: सरकार भले ही सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए बेहतर सुविधाओं का दावा करे, लेकिन मध्य प्रदेश के सतना जिला अस्पताल में सामने आए एक ताजा मामले ने इन दावों की पोल खोल दी। यहां एक गर्भवती महिला को अस्पताल के मुख्य गेट पर ही मोबाइल की रोशनी में प्रसव कराना पड़ा, क्योंकि बारिश के कारण बिजली गुल थी और अस्पताल का वैकल्पिक बिजली इंतजाम पूरी तरह विफल रहा। यह घटना न केवल अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत को भी सामने लाती है।

क्या है पूरा मामला?

रामस्थान के भठिया गांव की रहने वाली सोनम कोल, पत्नी श्यामलाल कोल, को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजन रात के समय जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस से सतना जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन खराब मौसम और बारिश के कारण अस्पताल में बिजली गुल थी। अस्पताल के अंदर और बाहर चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था। सोनम को एंबुलेंस से उतारते ही अत्यधिक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई, और हालात ऐसे बन गए कि प्रसव अस्पताल के मुख्य गेट पर ही करना पड़ा। हैरानी की बात यह है कि इस दौरान बिजली न होने के कारण परिजनों और अस्पताल स्टाफ को मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में डिलीवरी करानी पड़ी। 

डिलीवरी के बाद सोनम और नवजात को लेबर रूम में ले जाया गया। सौभाग्य से जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। बताया जा रहा है कि यह सोनम की चौथी डिलीवरी थी। लेकिन इस घटना ने जिला अस्पताल की तैयारियों और आपातकालीन व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर

जिला अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि आपातकाल के लिए जनरेटर और सोलर पैनल की व्यवस्था मौजूद है। लेकिन इस घटना के दौरान न तो जनरेटर चालू हो सका और न ही सोलर पैनल से बिजली मिली। अस्पताल के सिविल सर्जन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि अस्पताल में हर वार्ड के लिए अलग-अलग जनरेटर लगे हैं और सख्त निर्देश हैं कि बिजली गुल होने पर तुरंत जनरेटर शुरू किए जाएं। फिर भी ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने मामले की जांच का आश्वासन दिया है।

ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत

यह कोई पहला मामला नहीं है जब सतना जिला अस्पताल में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और अस्पतालों में बुनियादी ढांचे का अभाव बार-बार चर्चा का विषय बनता है। जननी एक्सप्रेस जैसी योजनाएं गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने में मदद तो करती हैं, लेकिन अगर अस्पताल में ही बिजली, उपकरण या स्टाफ की कमी हो, तो ये योजनाएं अधूरी साबित होती हैं। 

सोनम के परिजनों का कहना है कि अगर अस्पताल में बिजली और स्टाफ की उचित व्यवस्था होती, तो उन्हें इतनी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। इस घटना ने एक बार फिर सरकार और स्वास्थ्य विभाग के उन दावों पर सवाल उठाए हैं, जिनमें कहा जाता है कि मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

जांच के बाद क्या होगा?

मामला मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद अस्पताल प्रशासन ने जांच की बात कही है। लेकिन सवाल यह है कि जांच के बाद क्या कार्रवाई होगी? क्या दोषी अधिकारियों या कर्मचारियों पर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा? या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि अस्पताल में बिजली, जनरेटर और अन्य आपातकालीन सुविधाओं की नियमित जांच हो और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जाए।

आवश्यक सुधार की जरूरत

सतना जिला अस्पताल में हुई इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली को उजागर किया है। सुरक्षित प्रसव और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार को केवल योजनाएं बनाने के बजाय उनकी जमीनी अमल पर ध्यान देना होगा। सोनम और उनके नवजात की जान भले ही बच गई, लेकिन हर गर्भवती महिला इतनी भाग्यशाली नहीं हो सकती। स्वास्थ्य विभाग को इस घटना से सबक लेकर तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।

इनपुट - मोहम्मद फारूक