पहलगाम आतंकी हमला 2025: सर्वदलीय बैठक में गूंजा गुस्सा, पर्यटन पर असर और पाकिस्तान को चेतावनी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत। सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई। जानें हमले का पर्यटन पर प्रभाव, पीड़ितों की कहानियाँ, और सरकार के कदम।

मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ दिल दहलाने वाला आतंकी हमला पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। अनंतनाग जिले का बैसरन घास का मैदान, जो पर्यटकों की फेवरेट जगह है, वहाँ हुए इस हमले ने 26 लोगों की जिंदगी छीन ली। मरने वालों में 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक थे, हालाँकि कुछ खबरों में मृतकों की संख्या 27 या 28 बताई गई। इस खौफनाक हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रजिस्टेंट फ्रंट (TRF) ने ली। इस कायराना हरकत से पूरे देश में गुस्सा और दुख की लहर दौड़ गई।
केंद्र सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए। गुरुवार, 24 अप्रैल को दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर आतंकवाद और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए साथ आए। इस बैठक में सबने मिलकर इस संकट के खिलाफ डटकर मुकाबला करने का फैसला लिया।
पहलगाम हमले की पूरी कहानी
पहलगाम, जो अपनी गजब की खूबसूरती और अमरनाथ यात्रा के बेस कैंप के लिए मशहूर है, मंगलवार दोपहर 2:45 बजे एक डरावने आतंकी हमले का शिकार हो गया। बैसरन घास का मैदान, जहाँ लोग कुदरत का लुत्फ उठाने आते हैं, वहाँ आतंकियों ने बेकसूर लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले में 26 लोग मारे गए और 20 से ज्यादा घायल हुए। कुछ खबरों के मुताबिक, आतंकियों ने लोगों की धार्मिक पहचान पूछकर उन्हें निशाना बनाया, जिसने इस हमले को और भी क्रूर बना दिया। ये त्रासदी तब हुई, जब जम्मू-कश्मीर में टूरिज्म अपने पीक पर था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आतंकियों ने जानबूझकर ऐसा इलाका चुना, जहाँ पुलिस की मौजूदगी कम थी। इस घटना ने 2019 के पुलवामा हमले की दर्दनाक यादें ताजा कर दीं।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि आतंकियों ने पहलगाम जैसे पॉपुलर टूरिस्ट स्पॉट को टारगेट करके जम्मू-कश्मीर की इकॉनमी को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की। TRF का मकसद न सिर्फ भारत-पाक तनाव को बढ़ाना था, बल्कि कश्मीर में टूरिज्म को ठप करके लोकल लोगों की रोजी-रोटी पर भी चोट करना था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये हमला 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में बनी शांति को तोड़ने की सोची-समझी साजिश थी।
ये हमला जम्मू-कश्मीर में हाल के सालों में सबसे खतरनाक और जानलेवा हमलों में से एक है। 2019 के पुलवामा हमले, जिसमें 40 CRPF जवान शहीद हुए थे, के बाद ये पहला ऐसा बड़ा हमला है, जिसमें आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। कुछ खबरों के मुताबिक, 2000 में अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले की तरह, इस हमले का मकसद भी कश्मीर की शांति को भंग करना था।
पीड़ितों की कहानियाँ
इस हमले ने कई परिवारों को हमेशा के लिए तोड़ दिया। मरने वालों में दिल्ली के एक न्यूली मैरिड कपल, रोहन और प्रिया, शामिल थे, जो अपनी पहली वेकेशन के लिए पहलगाम आए थे। इसके अलावा, एक स्कूल टीचर, मोहम्मद यूसुफ, भी इस हमले का शिकार बने, जो अपने बच्चों के साथ पिकनिक मना रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके परिवारों ने सरकार से इंसाफ की माँग की है। लोकल कम्युनिटी और पीड़ितों के रिश्तेदारों ने श्रीनगर में कैंडल मार्च निकालकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी।
सरकार का फौरन एक्शन
हमले के अगले दिन बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की ढाई घंटे की मीटिंग हुई। इसमें पाँच बड़े फैसले लिए गए:
- सिंधु जल संधि रद्द: भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को खत्म करने का ऐलान किया, जो पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है।
- पाकिस्तानी वीजा कैंसिल: भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें 48 घंटे में देश छोड़ने का ऑर्डर दिया।
- अटारी चेक पोस्ट बंद: भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर अटारी चेक पोस्ट को बंद कर दिया गया।
- पाकिस्तानी दूतावास पर कार्रवाई: भारत ने पाकिस्तानी डिप्लोमैट्स को 48 घंटे में देश छोड़ने का निर्देश दिया और उनके दूतावास की सिक्योरिटी हटा ली।
- कूटनीतिक कदम: भारत ने पाकिस्तान में अपने दूतावास कर्मियों की संख्या घटाने का फैसला किया।
हमले के बाद सिक्योरिटी फोर्सेस ने तुरंत मोर्चा संभाला। जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF ने अनंतनाग और आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किए। कुछ सोर्सेज के मुताबिक, NIA ने 200 से ज्यादा संदिग्धों को हिरासत में लिया और आतंकियों के ठिकानों को तबाह करने के लिए ड्रोन और इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया।
इन कदमों ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया। पाकिस्तानी डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि इस हमले में उनका कोई हाथ नहीं, लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
सर्वदलीय बैठक में एकजुटता
24 अप्रैल को दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक में सभी पॉलिटिकल पार्टियों ने एक मंच पर आकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई। मीटिंग की शुरुआत दो मिनट के मौन से हुई, जिसमें शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर कायम हैं। ये हमला बिना जवाब नहीं रहेगा।” गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल भी मीटिंग में मौजूद थे।
प्रमुख नेताओं के बयान
- कांग्रेस: कांग्रेस प्रेसिडेंट मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में शांति लाना बहुत जरूरी है। सभी पार्टियों ने इस हमले की निंदा की और सरकार को पूरा सपोर्ट देने का वादा किया।” लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, “ये वक्त एकजुट होने का है। हम सरकार के साथ हैं। दोषियों को सजा और पीड़ितों को इंसाफ मिलना चाहिए।”
- आम आदमी पार्टी (AAP): सांसद संजय सिंह ने कहा, “आतंकवाद पर अब करारा प्रहार करना होगा। देश की सारी पार्टियाँ इस मुद्दे पर एकजुट हैं।”
- एआईएमआईएम: AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने हमले की कड़ी निंदा की और सरकार को पूरा सपोर्ट देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा, “ये एक कायराना और अमानवीय हमला है। आतंकियों ने बेकसूर लोगों को उनकी धार्मिक पहचान पूछकर निशाना बनाया, जो बहुत ही निंदनीय है। हम इस दुख की घड़ी में सरकार के साथ पूरी तरह खड़े हैं। सरकार जो भी कदम उठाएगी, हम उसका समर्थन करेंगे। हमारे सरकार से वैचारिक मतभेद अपनी जगह हैं, और वो आगे भी रहेंगे, लेकिन नेशनल सिक्योरिटी के लिए हम पूरी तरह कमिटेड और जवाबदेह हैं।”
- समाजवादी पार्टी (SP): रामगोपाल यादव ने मीडिया से अपील की, “ऐसा कुछ न दिखाएँ जिससे देश में बंटवारे का मैसेज जाए। हम सरकार के हर कदम के साथ हैं।”
- जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला: उन्होंने श्रीनगर में एक अलग सर्वदलीय मीटिंग बुलाई और कहा, “हमारे मेहमान छुट्टियाँ मनाने आए थे, लेकिन उन्हें ताबूत में वापस भेजा गया। ये हम सबके लिए शर्मिंदगी की बात है।”
कश्मीर में जनता का गुस्सा
पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में पूरा बंद देखा गया। लोग सड़कों पर उतरे, पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की, और उनके झंडे जलाए। लोकल होटल ओनर्स, दुकानदारों, और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने कैंडल मार्च निकाला। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने प्रोटेस्ट को तीन दिन के लिए टालकर पीड़ितों के प्रति एकजुटता दिखाई।
आगे क्या?
इस हमले ने जम्मू-कश्मीर के टूरिज्म इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान पहुँचाया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमले के बाद सैकड़ों टूरिस्ट्स ने अपनी ट्रिप कैंसिल कर दी, जिससे लोकल होटल ओनर्स, गाइड्स, और टूर ऑपरेटर्स को भारी नुकसान हुआ। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टूरिज्म को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार को स्पेशल पैकेज और सिक्योरिटी मेजर्स की घोषणा करनी होगी।
भारत ने इस हमले की जानकारी इंटरनेशनल कम्युनिटी को दी, जिसके बाद कई देशों ने सपोर्ट दिखाया। अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट जेडी वेंस ने हमले की निंदा करते हुए इसे “मानवता के खिलाफ क्राइम” बताया। कनाडा और ब्रिटेन ने भी भारत के साथ हमदर्दी जताई। यूनाइटेड नेशंस ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की।
हमले के बाद सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सिक्योरिटी और सख्त करने का फैसला किया। कुछ सोर्सेज के मुताबिक, घाटी में 5,000 एक्स्ट्रा सिक्योरिटी फोर्सेस तैनात की जाएँगी। इसके अलावा, इंटेलिजेंस सिस्टम को मजबूत करने और बॉर्डर एरियाज में ड्रोन सर्विलांस बढ़ाने की प्लानिंग है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आतंकी घुसपैठ रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक जनसभा में कहा, “आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसी सजा मिलेगी, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।” ये बयान इस बात का इशारा है कि भारत इस हमले का जवाब देने को तैयार है।
एकजुट भारत का संकल्प
पहलगाम का ये आतंकी हमला सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि देश की एकता और संकल्प को मजबूत करने का मौका भी बन गया। सर्वदलीय बैठक में दिखी एकजुटता इस बात का सबूत है कि जब नेशनल सिक्योरिटी की बात आती है, तो भारत एक साथ खड़ा होता है। अब सबकी नजरें सरकार के अगले कदमों पर टिकी हैं।