रेप केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला: पीड़िता को ही ठहराया जिम्मेदार, आरोपी को मिली जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप केस में आरोपी को जमानत दी और पीड़िता को ही जिम्मेदार ठहराया। जानिए नोएडा की छात्रा के साथ क्या हुआ और इस फैसले का असर।

रेप केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला: पीड़िता को ही ठहराया जिम्मेदार, आरोपी को मिली जमानत
सांकेतिक तस्वीर ( AI )

क्या आपने कभी सोचा कि एक रेप पीड़िता को उसी के साथ हुए हादसे का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसा ही एक फैसला सुनाया, जिसने सबको हैरान कर दिया। कोर्ट ने नोएडा की एक छात्रा के साथ हुए बलात्कार के मामले में आरोपी को जमानत दे दी और कहा कि अगर पीड़िता के आरोप सच भी हों, तो भी वह खुद अपनी मुसीबत के लिए जिम्मेदार है। यह बात सुनकर आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर पूरा मामला क्या है? कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा? और इस फैसले का समाज पर क्या असर होगा? चलिए, इस खबर को आम भाषा में समझते हैं और सारी बातें step-by-step जानते हैं।

क्या हुआ था नोएडा की छात्रा के साथ?

सब कुछ शुरू हुआ 21 सितंबर 2024 को। नोएडा की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली MA की छात्रा अपने दोस्तों के साथ दिल्ली घूमने निकली। उस दिन वो लोग हौज खास के "द रिकॉर्ड रूम" बार और रेस्टोरेंट में पहुंचे। वहां उसकी दो सहेलियों के साथ तीन लड़के भी थे, जिनमें से एक था निश्चल चांडक। रात के 3 बजे तक पार्टी चली, सबने शराब पी, और माहौल काफी गर्म हो गया। छात्रा ने भी खूब शराब पी ली, जिसके बाद उसे नशा हो गया और उसे किसी के सहारे की जरूरत पड़ी।

तभी निश्चल ने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा। नशे में होने की वजह से छात्रा उसकी बात मान गई और दोनों बार से बाहर निकल गए। रास्ते में निश्चल ने उसे गलत तरीके से छुआ, जिससे छात्रा को असहज होना चाहिए था। उसने निश्चल से अपने नोएडा वाले घर छोड़ने को कहा, लेकिन निश्चल उसे गुरुग्राम में अपने एक रिश्तेदार के फ्लैट पर ले गया। वहां उसने छात्रा के साथ दो बार बलात्कार किया। इस घटना ने उसकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया।

23 सितंबर को छात्रा ने हिम्मत जुटाकर नोएडा के सेक्टर 126 पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने निश्चल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 के तहत केस दर्ज किया। ये धारा बलात्कार के लिए कम से कम 10 साल की जेल या उम्रकैद और जुर्माने की सजा की बात कहती है। 79 दिन बाद, 11 दिसंबर 2024 को निश्चल को गिरफ्तार किया गया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

आरोपी ने कोर्ट में क्या कहा?

निश्चल ने जेल से बाहर आने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई। उसके वकीलों, सीनियर एडवोकेट विनय सरन और एडवोकेट बलबीर सिंह, ने कोर्ट में कुछ ऐसी दलीलें दीं, जो सुनने में अजीब लगती हैं। उनका कहना था:

  • पीड़िता बालिग है: छात्रा ने खुद माना कि वो बड़ी है और पीजी हॉस्टल में रहती है। वो अपनी मर्जी से दोस्तों के साथ बार गई और शराब पी। रात 3 बजे तक वहां रही, तो ये उसकी अपनी पसंद थी।
  • सहमति का दावा: निश्चल ने कहा कि ये बलात्कार नहीं, बल्कि सहमति से बना संबंध था। उसने ये भी दावा किया कि छात्रा को मदद चाहिए थी और वो खुद उसके साथ फ्लैट पर चलने को तैयार हुई।
  • पहला अपराध: निश्चल का कोई पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। वो 11 दिसंबर से जेल में है और जमानत मिलने पर कोर्ट का सहयोग करेगा।
  • आरोपों से इनकार: उसने फ्लैट पर ले जाने और रेप करने की बात से इनकार किया और कहा कि जो हुआ, वो दोनों की सहमति से हुआ।

इन दलीलों को सुनकर कोर्ट ने क्या सोचा, वो आगे जानते हैं।

कोर्ट ने क्यों दी जमानत?

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने निश्चल की जमानत मंजूर कर ली। लेकिन उनके फैसले और टिप्पणी ने सबको चौंका दिया। कोर्ट ने दो मुख्य आधारों पर ये फैसला लिया:

  1. पीड़िता को जिम्मेदार ठहराया: जज ने कहा कि छात्रा MA की पढ़ाई कर रही है, तो वो समझदार है। उसे पता होना चाहिए था कि वो क्या कर रही है। अगर उसके आरोप सच भी मान लें, तो भी वो खुद अपनी मुसीबत के लिए जिम्मेदार है। मतलब, शराब पीना और रात में बाहर रहना उसके लिए मुसीबत का कारण बना।
  2. मेडिकल रिपोर्ट: पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में उसकी हाइमन (योनि की झिल्ली) फटी हुई मिली, लेकिन डॉक्टर ने ये नहीं कहा कि ये जबरदस्ती या यौन हिंसा की वजह से हुआ। इससे कोर्ट को लगा कि शायद ये सहमति से हुआ हो सकता है।

जस्टिस संजय ने कहा, "सबूतों, हालातों और वकीलों की दलीलों को देखते हुए, निश्चल को जमानत मिलनी चाहिए।" लेकिन उनकी ये टिप्पणी कि "पीड़िता ने खुद मुसीबत को न्योता दिया," लोगों को गलत लगी।

भारत में बलात्कार का कानून क्या कहता है?

अब सवाल ये है कि भारत का कानून बलात्कार को कैसे देखता है? पहले ये नियम इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 375 में थे, जो अब BNS की धारा 63 और 64 में आ गए हैं। आसान भाषा में समझें तो:

  • अगर कोई महिला "नहीं" कहती है, लेकिन फिर भी उसके साथ जबरदस्ती की जाती है, तो ये रेप है।
  • अगर वो नशे में, बेहोश, या डरी हुई है और "हां" नहीं कह सकती, तो भी ये रेप है।
  • 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ उसकी मर्जी से भी संबंध बने, तो वो रेप माना जाता है, क्योंकि कानून में नाबालिग की सहमति मान्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं, "रेप का मतलब सिर्फ जबरदस्ती संबंध बनाना नहीं। किसी के निजी अंगों को छूना, दबाना, या कुछ गलत डालना भी रेप की श्रेणी में आता है। इस केस में पीड़िता कहती है कि रेप हुआ, जबकि निश्चल कहता है कि ये सहमति से था। जांच पूरी होने पर ही सच सामने आएगा।"

सजा क्या है?

  • सामान्य रेप केस में कम से कम 7 साल की जेल, उम्रकैद तक हो सकती है, और जुर्माना भी।
  • गंभीर मामलों में 10 साल से उम्रकैद तक की सजा।

इस फैसले का क्या असर होगा?

इस फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं कि कोर्ट की टिप्पणी "विक्टिम शेमिंग" (पीड़िता को शर्मिंदा करना) है। उनका कहना है:

  • न्याय पर भरोसा कम होगा: ऐसी टिप्पणियां सुनकर लोग सोचेंगे कि रेप पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिलेगा। इससे पीड़ित आगे आने से डरेंगी।
  • गलत संदेश: समाज में ये धारणा बन सकती है कि शराब पीना या देर रात बाहर रहना ही रेप का कारण है, जो गलत है।
  • सुप्रीम कोर्ट की सलाह का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट को महिलाओं से जुड़े मामलों में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। लेकिन ये टिप्पणी उससे उलट है।

पिछले कुछ समय में इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऐसे फैसले चर्चा में रहे हैं। जैसे, 17 मार्च 2024 को कोर्ट ने कहा था कि किसी लड़की के निजी अंग पकड़ना या उसे खींचना रेप नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को उस पर भी सख्ती दिखानी पड़ी थी।

आगे क्या होगा?

क्या निश्चल निर्दोष साबित हो जाएगा? एडवोकेट अश्विनी दुबे कहते हैं, "अभी सिर्फ जमानत मिली है। ट्रायल बाकी है। जांच के बाद कोर्ट तय करेगा कि रेप हुआ या नहीं। अगर दोषी पाया गया, तो उसे 10 साल से उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।" अगर पीड़िता को ये फैसला गलत लगता है, तो वो सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।

ऐसे मामले पहले भी हुए हैं

  • अक्टूबर 2024: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 साल की लड़की से रेप के आरोपी को जमानत दी, क्योंकि उसने शादी का वादा किया था और लड़की ने जबरदस्ती से इनकार किया था।
  • जून 2024: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने एक कॉलेज स्टूडेंट को रेप केस में जमानत दी, क्योंकि सबूत कमजोर थे और पीड़िता ने विरोध नहीं किया।

क्या सोचते हैं आप?

ये मामला सिर्फ एक कोर्ट के फैसले तक सीमित नहीं है। ये बताता है कि हमारा समाज और कानून रेप पीड़ितों के साथ कितनी संवेदनशीलता रखता है। क्या शराब पीने या देर रात बाहर रहने का मतलब ये है कि कोई भी आपके साथ कुछ भी कर सकता है? या फिर हमें ऐसी सोच बदलने की जरूरत है? इस फैसले से पीड़ितों का हौसला टूट सकता है, और हमें सोचना चाहिए कि न्याय प्रणाली को और बेहतर कैसे बनाया जाए।