अमेरिका से डिपोर्ट 104 भारतीय: 'हथकड़ी' में बंधा सवाल, सियासत और संप्रभुता का संकट
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार पर राज्यसभा में बहस। जानें, विपक्ष के सवाल, जयशंकर का जवाब, कोलंबिया का उदाहरण और विनोद कापड़ी का वीडियो कैसे बना मुद्दा।
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राज्यसभा में बुधवार को केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई। मुद्दा था अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीय नागरिकों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार का। विपक्ष ने सरकार पर सवालों की बौछार करते हुए पूछा— जब कोलंबिया जैसा छोटा देश अमेरिका को लाल आंखें दिखा सकता है, तो भारत क्यों नहीं? विदेश मंत्री एस. जयशंकर के जवाब से लेकर वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी के वायरल वीडियो तक, यह मामला गरिमा बनाम कूटनीति की बहस में तब्दील हो गया है। आइए, हर पहलू को समझते हैं।
#DonalTrump ने अपनी एजेंसियों @USBPChief से जानबूझकर ये वीडियो जारी करवा करवा कर भारत को उसकी हैसियत दिखाने और भारत को अपमानित करने की कोशिश की है।
वक़्त आ गया है कि भारत को भी इस सनकी @realDonaldTrump को इसकी औक़ात दिखानी चाहिए।pic.twitter.com/le34gfZ35B — Vinod Kapri (@vinodkapri) February 6, 2025
क्या हुआ था? सैन्य विमान में बंधे 104 भारतीय
अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इस विमान में 104 भारतीय अवैध प्रवासी थे, जिन्हें हथकड़ी और पैरों में जंजीरें बांधकर लाया गया। विमान में सिर्फ एक शौचालय था, और यात्रा के दौरान उन्हें 40 घंटे तक बंधे रहने को मजबूर किया गया । एक प्रवासी ने बताया, खाने के लिए भी हथकड़ी नहीं हटाई गई। शौचालय जाने पर जंजीरें खोली गईं, लेकिन हमें घिसटकर जाना पड़ा । यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसने विरोध की आग भड़का दी।
कहां से आए प्रवासी?
- - पंजाब 30
- - हरियाणा और गुजरात: 33-33
- - उत्तर प्रदेश: 3
- - महाराष्ट्र और चंडीगढ़: 3 और 2
विपक्ष के 4 बड़े सवाल: सरकार क्यों चुप?
कांग्रेस सांसद णदीप सुरजेवाला ने सरकार पर निशाना साधते हुए चार सवाल उठाए:
- 1. अमानवीय परिस्थितियों का सच: क्या सरकार को पता था कि भारतीयों को बेड़ियों में बांधा जाएगा?
- 2. 7.5 लाख भारतीयों का भविष्य: क्या अमेरिका ऐसे ही 7.5 लाख भारतीयों को डिपोर्ट करेगा?
- 3. रोजगार संकट: क्या बेरोजगारी के कारण लोग अमेरिका भाग रहे हैं?
- 4. कोलंबिया से सीख: कोलंबिया ने अमेरिकी विमान को रोका, भारत क्यों नहीं?
विपक्ष का तर्क: जब छोटे देश अपने नागरिकों की गरिमा के लिए खड़े हो सकते हैं, तो भारत क्यों नहीं?
जयशंकर का जवाब: प्रक्रिया पुरानी, नियमों के अनुसार
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में कहा:
- - डिपोर्टेशन की प्रक्रिया 2012 से चल रही है। अमेरिका का ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट) हथकड़ी लगाने के नियमों का पालन करता है।
- - महिलाओं और बच्चों को बंधनों में नहीं रखा जाता।
- - 2009 से 2025 तक 18,750 भारतीय डिपोर्ट किए जा चुके हैं।
- - हम अमेरिका से बात कर रहे हैं ताकि दुर्व्यवहार न हो।
विपक्ष की प्रतिक्रिया: यह जवाब टालमटोल है। सरकार अमेरिका के सामने क्यों नहीं खड़ी हुई?
कोलंबिया का उदाहरण: कैसे एक छोटे देश ने दिखाई रीढ़
पिछले महीने, कोलंबिया ने अमेरिकी सैन्य विमान को अपने यहां उतरने से रोक दिया, क्योंकि उसमें अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाकर ले जाया जा रहा था। कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने कहा— हम अपने नागरिकों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं होने देंगे। उन्हें सिविल विमान से सम्मानपूर्वक लाएं। विपक्ष ने पूछा— भारत ने यह साहस क्यों नहीं दिखाया?
विनोद कापड़ी का वीडियो: सोशल मीडिया पर तूफान
वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल द्वारा जारी वीडियो को साझा करते हुए सरकार से सवाल किया:
क्या यह वीडियो देखकर किसी भारतीय का सीना दर्द से नहीं भर जाता? क्या यह हमारी गरिमा के साथ खिलवाड़ नहीं है? सरकार को तुरंत अमेरिका से जवाब मांगना चाहिए!
यह वीडियो, जिसमें भारतीयों को जंजीरों में बांधकर ले जाया जा रहा था, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसने सरकार के रवैये पर सवाल खड़े कर दिए और जनता में आक्रोश पैदा किया।
अन्य दलों की आवाज: गरिमा नहीं बचाई
- - डीएमके के तिरुचि शिवा: अमेरिका में फंसे भारतीयों को वापस लाने की कोई योजना क्यों नहीं?
- - तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले: मोदी जी ने पुतिन से बात की, लेकिन अमेरिका के सामने चुप क्यों?
- - आप के संजय सिंह: सैन्य विमान को उतरने की अनुमति देना शर्मनाक!
- - सपा के रामगोपाल यादव: क्या अमेरिका से इनकी संपत्ति वापस लाने की बात हुई?
सरकार का पक्ष: कूटनीति या चुप्पी?
केंद्र सरकार का कहना है कि:
- - डिपोर्टेशन अमेरिकी कानून के तहत हुआ।
- - भारतीय दूतावास नागरिकों की सहायता कर रहा है।
- - अमेरिका के साथ रिश्ते बनाए रखने को प्राथमिकता दी जा रही है।
आलोचना: सरकार अमेरिकी दबाव में है। कोलंबिया ने दिखाया कि गरिमा के लिए खड़ा होना जरूरी है।
प्रवासियों की पीड़ा: पत्नी के गहने गिरवी रखकर गए थे अमेरिका
रणदीप सुरजेवाला ने मार्मिक सवाल उठाया: क्या सरकार जानती है कि ये लोग घर बेचकर, कर्ज लेकर अमेरिका जाते हैं? यह सरकार की नाकामी है कि उन्हें रोजगार नहीं मिला।
आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में 7.5 लाख भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश गरीबी और बेरोजगारी से पलायन करने वाले हैं ।
गरिमा बनाम कूटनीति: भारत के लिए चुनौती
यह विवाद सिर्फ 104 प्रवासियों तक सीमित नहीं है। यह सवाल उठाता है कि क्या भारत अपने नागरिकों की गरिमा की रक्षा करते हुए अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संतुलित कर सकता है? कोलंबिया का उदाहरण दिखाता है कि छोटे देश भी मजबूती से खड़े हो सकते हैं। अब देखना है कि केंद्र सरकार कूटनीतिक चुप्पी तोड़ेगी या गरिमा की लड़ाई लड़ेगी।
निष्कर्ष: क्या सीखा जाएगा?
अमेरिका से डिपोर्टेशन का मामला राजनीतिक बहस से आगे बढ़कर राष्ट्रीय गर्व और मानवाधिकारों का मुद्दा बन गया है। जयशंकर के पुराने आंकड़े और विपक्ष के तीखे सवाल इस बहस को और गहरा करते हैं। विनोद कापड़ी के वीडियो ने जनता की आवाज को मजबूती दी है। अब सवाल यह है: क्या भारत अपने नागरिकों के लिए कोलंबिया की तरह खड़ा होगा?