पराली जलाने पर इंदौर में बवाल! 770 किसानों पर FIR, जुर्माना 17 लाख – क्या आप भी लपेटे में हैं?
मध्यप्रदेश के इंदौर में प्रशासन ने पराली जलाने वाले 770 किसानों पर 16.71 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और 3 FIR दर्ज की। जानें पूरी खबर और नियमों की जानकारी।

मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में प्रशासन ने खेतों में पराली (फसल अवशेष) जलाने की घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाया है। स्वच्छता के मामले में देश के सबसे साफ शहर का तमगा हासिल करने वाले इंदौर की हवा को बचाने के लिए प्रशासन ने किसानों पर भारी जुर्माना लगाने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। पिछले चार दिनों में 770 किसानों पर 16.71 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि तीन खेत मालिकों के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है।
जिलाधिकारी ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी
जिलाधिकारी आशीष सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हम पराली जलाने वालों के खिलाफ नियमों के तहत सख्त कार्रवाई कर रहे हैं।" उन्होंने बताया कि आस-पास के गांवों में पराली जलाने से इंदौर की वायु गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है। इंदौर, जो अपनी स्वच्छता के लिए जाना जाता है, को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रशासन कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता।
चार दिनों में 770 किसानों पर कार्रवाई
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले चार दिनों में पराली जलाने के मामले में 770 किसानों पर कुल 16.71 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा, पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश भी जारी किया गया है। इस आदेश का मकसद पर्यावरण, लोगों और जीव-जंतुओं को पराली जलाने से होने वाले नुकसान से बचाना है।
FIR और कानूनी प्रावधान
प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन करने वाले खेत मालिकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत तीन केस दर्ज किए गए हैं। इस कानूनी प्रावधान के तहत दोषी को एक साल तक की जेल, 5,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि नियम तोड़ने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
कृषक संगठनों ने जताई आपत्ति
प्रशासन की इस सख्ती को लेकर कुछ किसान संगठन नाराजगी जता रहे हैं। मालवा-निमाड़ अंचल में संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा, "हम मानते हैं कि पराली जलाना गलत है, लेकिन किसानों पर अचानक भारी जुर्माना लगाना उचित नहीं है।" उन्होंने मांग की कि कृषि विभाग के अधिकारी गांवों में जाकर किसानों को पराली नष्ट करने के वैकल्पिक उपायों के बारे में जागरूक करें और जरूरी संसाधन उपलब्ध कराएं।
पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान
पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित होती है। धुआं सांस संबंधी बीमारियों का कारण बनता है और आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों, को परेशानी होती है। इंदौर जैसे शहर, जो स्वच्छता में अव्वल है, के लिए यह समस्या और भी गंभीर है।
क्या हैं वैकल्पिक उपाय?
किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार और कृषि विशेषज्ञ कई वैकल्पिक उपाय सुझा रहे हैं। इनमें पराली को खाद बनाने, बायोगैस उत्पादन, या फिर मशीनों के जरिए खेत में ही मिलाने जैसे तरीके शामिल हैं। हालांकि, इन उपायों को अपनाने के लिए किसानों को तकनीकी और आर्थिक सहायता की जरूरत है।
आगे की राह
इंदौर प्रशासन की यह कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके साथ-साथ किसानों को जागरूक करने और उन्हें वैकल्पिक संसाधन मुहैया कराने की जरूरत है। यदि प्रशासन और किसान संगठन मिलकर काम करें, तो पराली जलाने की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
इंदौर की इस पहल से अन्य शहरों को भी प्रेरणा मिल सकती है। स्वच्छ हवा और स्वस्थ पर्यावरण के लिए यह जरूरी है कि हम सब मिलकर ऐसी प्रथाओं को रोकें और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।