मध्य प्रदेश: देह व्यापार पर सख्ती, सेक्स वर्कर्स को राहत - जानें नई नीति!

मध्यप्रदेश पुलिस का नया आदेश- ढाबों और होटलों में छापेमारी के दौरान पकड़ी गई सेक्स वर्कर्स को आरोपी नहीं बनाया जाएगा। अब फोकस सिर्फ वैश्यालय चलाने वालों पर।

मध्य प्रदेश: देह व्यापार पर सख्ती, सेक्स वर्कर्स को राहत - जानें नई नीति!
अब सेक्स वर्कर्स नहीं होंगी आरोपी

मध्य प्रदेश में ढाबों और होटलों में चल रहे अनैतिक देह व्यापार को लेकर पुलिस ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। अब छापेमारी के दौरान पकड़ी जाने वाली महिला सेक्स वर्कर्स को आरोपी नहीं माना जाएगा। यह फैसला विशेष पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा) प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव की ओर से जारी एक नए आदेश के तहत लिया गया है। इस आदेश को सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) और भोपाल व इंदौर के पुलिस कमिश्नरों तक पहुंचा दिया गया है। 

क्या कहता है नया आदेश?

विशेष पुलिस महानिदेशक ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया है कि अक्सर देखा जाता है कि कुछ जिलों में होटल और ढाबा संचालक पैसे लेकर अपने परिसरों को वैश्यालय के रूप में इस्तेमाल करने देते हैं। जब पुलिस इन जगहों पर छापा मारती है, तो वहां मौजूद महिलाओं को भी आरोपी बना दिया जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आदेश में कहा गया है कि इन महिलाओं को पीड़ित या शोषित की तरह देखा जाना चाहिए, न कि अपराधी की तरह। 

यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई (क्रिमिनल अपील नंबर 135/2010, बुद्धदेव कर्मास्कर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य) में कहा था कि स्वैच्छिक लैंगिक कार्य अवैध नहीं है। अवैध सिर्फ वैश्यालय चलाना है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि छापेमारी के दौरान सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार करना, सजा देना या परेशान करना गलत है। मध्यप्रदेश पुलिस ने अब इस फैसले को आधार बनाते हुए अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 के तहत कार्रवाई के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। 

अब किस पर होगी कार्रवाई?

नए नियमों के तहत पुलिस का पूरा ध्यान उन होटल और ढाबा संचालकों पर होगा, जो अपने परिसरों को देह व्यापार के लिए किराए पर देते हैं। छापेमारी के दौरान पकड़ी गई महिलाओं को न तो हिरासत में लिया जाएगा और न ही उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होगी। इस बदलाव का मकसद कानून का सही पालन करना और शोषित महिलाओं को राहत देना है। पुलिस महानिदेशक ने सभी अधिकारियों को इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है। 

सामाजिक संगठनों ने किया स्वागत

महिला सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने इस कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि देह व्यापार में शामिल ज्यादातर महिलाएं मजबूरी या शोषण की शिकार होती हैं। उन्हें अपराधी मानने के बजाय, असली गुनहगारों यानी वैश्यालय चलाने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला और अब मध्यप्रदेश पुलिस का यह नया आदेश उनकी इस मांग को पूरा करता दिख रहा है। 

मध्यप्रदेश पुलिस की नई रणनीति

मध्यप्रदेश पुलिस अब इस नई रणनीति के जरिए अनैतिक देह व्यापार को जड़ से खत्म करने की कोशिश में जुट गई है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि शोषित महिलाओं के अधिकारों का हनन न हो। पहले कई मामलों में देखा गया था कि छापेमारी के बाद महिलाओं को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया जाता था, जबकि असली अपराधी बच निकलते थे। अब इस स्थिति में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। 

महिलाओं के लिए राहत की बात

यह बदलाव उन महिलाओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो मजबूरी में इस धंधे में धकेल दी जाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी महिलाओं को अपराधी की जगह पीड़ित मानकर उन्हें समाज में दोबारा जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। मध्यप्रदेश पुलिस का यह कदम न सिर्फ कानून के सही इस्तेमाल को दर्शाता है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण को भी मजबूत करता है। 

एक नई शुरुआत

मध्यप्रदेश में अनैतिक देह व्यापार के खिलाफ यह नया कदम एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हो सकता है। पुलिस अब उन असली अपराधियों को निशाना बनाएगी, जो इस गैरकानूनी धंधे को चला रहे हैं। साथ ही, शोषित महिलाओं को राहत और सम्मान देने की दिशा में भी काम होगा। आने वाले दिनों में इस नीति के असर को देखना दिलचस्प होगा।