उमरिया: निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का अल्टीमेटम, 15 दिन में कार्रवाई की मांग
उमरिया में निजी स्कूलों की फीस वृद्धि और मनमानी के खिलाफ अभिभावकों ने रैली निकालकर कलेक्टर को 8 बिंदुओं का ज्ञापन सौंपा। 15 दिन का अल्टीमेटम, नहीं तो धरना और अनशन की चेतावनी।

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के निजी स्कूलों की मनमानी से तंग आकर अभिभावकों ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की है। सैकड़ों अभिभावकों ने स्टेशन चौराहे से कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकाली और 8 बिंदुओं का ज्ञापन सौंपकर सख्त कार्रवाई की मांग की। अभिभावकों ने जिला प्रशासन को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें मांग पूरी न होने पर धरना, प्रदर्शन और अनशन की चेतावनी दी गई है। आखिर क्यों अभिभावकों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है? आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं।
निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान
उमरिया जिले में निजी स्कूलों के संचालक अपनी मनमानी पर उतारू हैं। हर साल फीस में बेतहाशा वृद्धि, बार-बार ड्रेस में बदलाव, निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें थोपना, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव जैसे मुद्दों ने अभिभावकों का जीना मुहाल कर दिया है। कई स्कूलों में विज्ञान प्रयोगशाला, खेल का मैदान, या कंप्यूटर कक्ष तक नहीं हैं। कुछ स्कूल तो महज चार कमरों में चल रहे हैं। इसके बावजूद, जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि पड़ोसी जिलों में कलेक्टरों ने निजी स्कूलों पर सख्ती बरतते हुए उनकी मान्यता रद्द की और अतिरिक्त फीस वापस करवाई।
अभिभावक संघ के संगठक बिजेंद्र सिंह अब्बू ने कहा, "निजी स्कूल जब चाहे फीस बढ़ा देते हैं। किताबें ऐसी दुकानों से खरीदनी पड़ती हैं, जहां कमीशनखोरी का खेल चलता है। शिक्षकों की योग्यता पर भी सवाल हैं। हमने कलेक्टर साहब से इन सभी मुद्दों पर बात की है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही स्कूल संचालकों और अभिभावकों के साथ बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। लेकिन हमने साफ कर दिया है कि अगर 15 दिन में कार्रवाई नहीं हुई, तो हम कलेक्टर कार्यालय के सामने आमरण अनशन करेंगे।"
अभिभावकों का गुस्सा, जिला प्रशासन की चुप्पी
रैली में शामिल जागरूक अभिभावक अभिषेक तिवारी ने बताया, "हमने 8 बिंदुओं का विस्तृत ज्ञापन सौंपा है, जिसमें फीस वृद्धि, ड्रेस, जूते, किताबें, बुनियादी ढांचे, और स्कूल बस के अतिरिक्त किराए जैसे मुद्दे शामिल हैं। अगर 15 दिन में मांगें पूरी नहीं हुईं, तो हम धरना और प्रदर्शन करेंगे।" अभिभावकों की शिकायत है कि नई शिक्षा नीति का जिले में पालन नहीं हो रहा। स्कूल अपनी मर्जी से नियम तोड़ रहे हैं, और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
ज्ञापन सौंपने के दौरान एडीएम शिव गोविंद मरकाम ने अभिभावकों से मुलाकात की और पांच अभिभावकों को कलेक्टर धरणेंद्र कुमार जैन से मिलवाया। कलेक्टर ने डीईओ को तलब कर स्कूलों से जानकारी मांगने के निर्देश दिए और कार्रवाई का भरोसा दिलाया। हालांकि, जब मीडिया ने कलेक्टर से कैमरे पर बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। अभिभावकों का कहना है कि संवेदनशील मुद्दों पर कलेक्टर का चुप रहना उनकी कार्यशैली का हिस्सा बन गया है।
शिक्षा विभाग की लापरवाही
एडीएम शिव गोविंद मरकाम ने कहा, "अभिभावकों ने 8 बिंदुओं का ज्ञापन सौंपा है, जिसमें फीस, गणवेश, किताबें, स्कूल बस का किराया, शिक्षकों की योग्यता, और बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दे उठाए गए हैं। कलेक्टर ने डीईओ को बुलाकर स्कूल संचालकों के साथ बैठक करने और जानकारी जुटाने को कहा है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति सामान्य होगी।"
हालांकि, शिक्षा विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बीईओ, डीईओ, बीआरसीसी, और डीपीसी द्वारा स्कूलों की मान्यता और नवीनीकरण के समय ठीक से जांच नहीं की जाती। अगर शुरुआत में ही पारदर्शिता बरती जाए, तो अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य के लिए सड़कों पर उतरने की नौबत न आए।
अभिभावकों का अल्टीमेटम, क्या होगा असर?
अभिभावकों की एकजुटता और 15 दिन का अल्टीमेटम जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस बार निजी स्कूलों पर लगाम कसेगा, या अभिभावकों को अनशन तक जाना पड़ेगा? पड़ोसी जिलों में सख्त कार्रवाई के उदाहरण सामने हैं, जहां स्कूलों की मान्यता रद्द की गई और फीस वापसी करवाई गई। उमरिया के अभिभावक भी यही उम्मीद कर रहे हैं।
आगे की राह
उमरिया में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का गुस्सा अब सड़कों पर है। उनकी मांगें जायज हैं, और प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना होगा। अगर 15 दिन में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना और अनशन तय है। अब देखना यह है कि क्या जिला प्रशासन अभिभावकों की पुकार सुनेगा, या यह आंदोलन और तेज होगा।