झाबुआ में पटवारी 12,500 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा, लोकायुक्त इंदौर की बड़ी कार्रवाई

इंदौर लोकायुक्त ने झाबुआ के पटवारी विशाल गोयल को 12,500 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा। सीमांकन के लिए रिश्वत मांगने की शिकायत पर ट्रैप कार्रवाई की गई। पढ़ें पूरी खबर।

झाबुआ में पटवारी 12,500 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा, लोकायुक्त इंदौर की बड़ी कार्रवाई
लोकायुक्त पुलिस के हत्थे चढ़ा पटवारी

हाइलाइट्स
  • झाबुआ के पटवारी विशाल गोयल को 12,500 रुपये की रिश्वत लेते लोकायुक्त ने रंगे हाथों पकड़ा
  • रमेश राणजी की शिकायत पर इंदौर लोकायुक्त ने पेटलावद में ट्रैप कार्रवाई को अंजाम दिया
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपी के खिलाफ विश्राम गृह में कार्रवाई जारी

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त इकाई ने एक बार फिर सख्त कार्रवाई की है। पेटलावद तहसील के पटवारी विशाल गोयल को 12,500 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। यह कार्रवाई लोकायुक्त भोपाल के महानिदेशक श्री योगेश देशमुख के निर्देश पर इंदौर लोकायुक्त इकाई द्वारा की गई। इस मामले में शिकायतकर्ता रमेश राणजी ने अपनी और अपनी पत्नी की जमीन के सीमांकन के लिए रिश्वत मांगे जाने की शिकायत दर्ज की थी। 

मामला क्या है?

झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील के ग्राम करणगढ़ निवासी रमेश राणजी (उम्र 45 वर्ष) और उनकी पत्नी के नाम 2-2 बीघा कृषि भूमि है। रमेश ने अपनी जमीन का सीमांकन करवाने के लिए लोक सेवा केंद्र के जरिए ऑनलाइन आवेदन किया था। इस आवेदन के बाद पटवारी विशाल गोयल, जो हल्का नंबर 13, मोई चारिणी में तैनात हैं, ने सीमांकन के लिए 15,000 रुपये की रिश्वत मांगी। रमेश ने इसकी शिकायत 22 मई 2025 को इंदौर लोकायुक्त कार्यालय में पुलिस अधीक्षक श्री राजेश सहाय से की। 

शिकायत की जांच के बाद लोकायुक्त ने सत्यापन किया, जिसमें रिश्वत की मांग सही पाई गई। इसके बाद रमेश और पटवारी के बीच बातचीत हुई, जिसमें गोयल 12,500 रुपये में रिश्वत लेने को तैयार हो गया। 

कैसे हुई कार्रवाई?

लोकायुक्त इकाई ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 24 मई 2025 को एक ट्रैप दल का गठन किया। इस दल का नेतृत्व डीएसपी सुनील तालान ने किया, जिसमें निरीक्षक दिनेश भोजक, प्रधान आरक्षक प्रमोद यादव, आरक्षक रामेश्वर निंगवाल, शैलेंद्र बघेल, आशीष आर्य, कृष्ण अहिरवार और वाहन चालक शेरसिंह ठाकुर शामिल थे। 

ट्रैप दल ने सुनियोजित तरीके से कार्रवाई को अंजाम दिया। रमेश ने जैसे ही पटवारी विशाल गोयल को 12,500 रुपये की रिश्वत दी, लोकायुक्त की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। यह कार्रवाई पेटलावद के विश्राम गृह में की गई। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है, और आगे की कार्रवाई जारी है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती

यह कार्रवाई लोकायुक्त के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाती है। मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लोकायुक्त लगातार सक्रिय है। इस तरह की कार्रवाइयों से न केवल भ्रष्ट अधिकारियों में डर पैदा होता है, बल्कि आम जनता में भी विश्वास बढ़ता है कि उनकी शिकायतों पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई हो सकती है। 

रमेश राणजी जैसे आम नागरिकों की हिम्मत की भी सराहना होनी चाहिए, जिन्होंने रिश्वतखोरी के खिलाफ आवाज उठाई और लोकायुक्त का सहयोग किया। इस कार्रवाई से यह संदेश भी जाता है कि कोई भी भ्रष्टाचारी कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता। 

लोकायुक्त की भूमिका

लोकायुक्त संगठन मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत तंत्र के रूप में काम कर रहा है। इस तरह की ट्रैप कार्रवाइयां न केवल भ्रष्टाचारियों को पकड़ने में मदद करती हैं, बल्कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ावा देती हैं। इंदौर लोकायुक्त इकाई ने इस मामले में अपनी तत्परता और पेशेवर रवैये का परिचय दिया है। 

आगे क्या?

आरोपी पटवारी विशाल गोयल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई चल रही है। इस मामले में जांच पूरी होने के बाद कोर्ट में मामला पेश किया जाएगा। लोकायुक्त ने यह भी अपील की है कि अगर कोई नागरिक रिश्वतखोरी का शिकार होता है, तो वह बिना डरे लोकायुक्त कार्यालय से संपर्क करे। 

इस कार्रवाई से साफ है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मध्य प्रदेश में कोई ढील नहीं बरती जाएगी। लोकायुक्त की इस सक्रियता से आम जनता को भी यह भरोसा मिलता है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और भ्रष्टाचारियों को सजा जरूर मिलेगी।