ऑपरेशन सिंदूर: भारत ने कैसे लिया पहलगाम हमले का बदला, पूरी इनसाइड स्टोरी

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर पहलगाम हमले का बदला लिया। जानें रणनीति, हथियार और पूरी कहानी।

ऑपरेशन सिंदूर: भारत ने कैसे लिया पहलगाम हमले का बदला, पूरी इनसाइड स्टोरी
ऑपरेशन सिंदूर की इनसाइड स्टोरी

हाइलाइट्स
  • आतंक पर प्रहार: ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 9 आतंकी ठिकानों को राफेल-सुखोई से उड़ाया, पहलगाम हमले का लिया बदला
  • डोभाल का मास्टरस्ट्रोक: अजीत डोभाल की गुप्त रणनीति से जैश-लश्कर के ठिकाने तबाह, पीएम मोदी की हरी झंडी
  • भारत का इंसाफ: 70-100 आतंकी ढेर, राजनाथ सिंह बोले- ‘न्याय हुआ’, सेना का ट्वीट- “Jai Hind!”

22 अप्रैल 2025 का दिन हर हिंदुस्तानी के लिए एक दर्द भरा ज़ख्म बन गया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में, बेसरन घाटी के खूबसूरत नज़ारों के बीच, आतंकियों ने टूरिस्ट्स पर बेरहमी से गोलियां चला दीं। 26 मासूम लोग मारे गए। जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक थे। आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं को निशाना बनाया, कई नवविवाहित जोड़ों का सुहाग उजाड़ दिया। देश में गुस्सा भड़क उठा। ठीक 15 दिन बाद, 7 मई 2025 की आधी रात को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर आतंकियों को करारा जवाब दिया। आइए, आपको बताते हैं इस ऑपरेशन की पूरी इनसाइड स्टोरी, जैसे कोई दोस्त गपशप में बताए।  

क्यों पड़ा नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’?

पहलगाम हमले में आतंकियों ने खासतौर पर पुरुषों को निशाना बनाया, खासकर नवविवाहितों को। उनकी विधवाओं की मांग का सिंदूर देखकर देश का खून खौल उठा। इसलिए इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया, जो भारतीय संस्कृति में सुहाग की निशानी है। ये नाम पीएम नरेंद्र मोदी ने सुझाया था, जो इस ऑपरेशन की हर पल निगरानी कर रहे थे। ये सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि उन मासूमों के खून का बदला था, जिन्हें आतंकियों ने बेरहमी से मारा।  

कहां-कहां हुए हमले?

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें बहावलपुर, कोटली, मुजफ्फराबाद, मुरीदके और बाग जैसे इलाके शामिल थे। खास बात ये कि बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का 200 एकड़ में फैला हेडक्वार्टर पूरी तरह तबाह कर दिया गया। इस हेडक्वार्टर में मस्जिद, स्कूल, अस्पताल और ट्रेनिंग कैंप थे, जहां आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती थी। इसके अलावा, लश्कर-ए-तैयबा का मुरीदके स्थित ठिकाना भी नेस्तनाबूद हुआ।  

रणनीति: कैसे बनी प्लानिंग?

इस ऑपरेशन की कमान थी एनएसए अजीत डोभाल के हाथों में, जिन्हें पीएम मोदी का ‘हनुमान’ कहा जाता है। 22 अप्रैल के हमले के बाद से ही डोभाल ने खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर प्लानिंग शुरू कर दी थी। RAW ने टारगेट्स की सटीक लोकेशन दी, जिसमें जैश और लश्कर के बड़े कमांडर शामिल थे। 16 दिन तक चली तैयारी में हर कदम को गुप्त रखा गया। एक छोटा सा कंट्रोल रूम बनाया गया, जहां से डोभाल ने ऑपरेशन को लीड किया। पीएम मोदी ने आखिरी हरी झंडी दी, और 7 मई की रात, ठीक 12:37 बजे, हमले की शुरुआत हो गई।

कौन से हथियार इस्तेमाल हुए?

भारत ने इस ऑपरेशन में अपनी तीनों सेनाओं—थल सेना, नौसेना और वायुसेना—की ताकत दिखाई। राफेल और सुखोई-30 फाइटर जेट्स ने आसमान से बम बरसाए। राफेल में मेटयॉर, स्कैल्प और हैमर मिसाइलें थीं, जो सटीक निशाना लगाने में माहिर हैं। इसके अलावा, कामिकेज ड्रोन (लोइटरिंग मुनिशन) का भी इस्तेमाल हुआ, जो सीधे टारगेट पर जाकर धमाका करते हैं। सैटेलाइट इमेज से पुष्टि हुई कि मरकज सुभान अल्लाह जैसे ठिकानों के ट्रेनिंग कैंप, हथियार डिपो और कमांड सेंटर पूरी तरह तबाह हो गए।  

क्या हुआ नतीजा?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 70 से 100 आतंकी मारे गए, जिनमें जैश के टॉप कमांडर मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर और यूसुफ अजहर जैसे नाम शामिल हो सकते हैं। पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। लाहौर और सियालकोट के एयरपोर्ट 48 घंटे के लिए बंद कर दिए गए। पाकिस्तानी मीडिया ने इसे ‘कायराना हमला’ बताया, लेकिन भारत ने साफ-साफ बता दिया कि ना तो कोई सैन्य ठिकाना और ना ही आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ‘इंसाफ’ का नाम दिया, और सेना ने ट्वीट करके कहा, “इंसाफ हो गया। जय हिंद!”

दुनिया की प्रतिक्रिया

ऑपरेशन के बाद अजीत डोभाल ने अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और रूस जैसे देशों को इसकी जानकारी दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “उम्मीद है ये लड़ाई जल्द खत्म होगी।” चीन ने संयम बरतने की सलाह दी, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि ये कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध।  

आगे क्या?

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई की कोशिश कर सकता है, जैसे 2019 के बालाकोट हमले के बाद हुआ था। लेकिन भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी तैयारी कर रखी है। ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को बता दिया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ चुप नहीं रहेगा। ये उन महिलाओं को समर्पित था, जिनका सुहाग आतंकियों ने छीना।