उमरिया जिले के किसानों का भुगतान लंबित, अधिकारी निराश, मुख्यमंत्री से मदद की अपील
उमरिया जिले के किसान परेशान हैं, धान का भुगतान न होने से उनका आर्थिक संकट बढ़ रहा है। किसानों ने मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है, जबकि अधिकारी स्थिति में सुधार की बजाय अपनी मस्ती में मस्त हैं।

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के किसान इस समय बहुत कठिनाई में हैं। जिले के कई किसान 11 लाख 57 हजार 600 क्विंटल से भी अधिक धान बेच चुके हैं, लेकिन उनके मेहनत की कमाई का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। किसानों की समस्याओं को लेकर उनकी परेशानियाँ बढ़ती जा रही हैं, और वे लगातार भुगतान के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। इस स्थिति ने किसानों को खून के आंसू रुलाने पर मजबूर कर दिया है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
अब तक जिले में 19666 किसानों ने अपनी धान की फसल बेची है, जिसका कुल उठाव 81830 क्विंटल 70 किलो हुआ है, जबकि ट्रांसपोर्टरों ने 2 लाख 85 हजार 670 क्विंटल 30 किलो धान उठाया है। बावजूद इसके, किसानों को उनकी मेहनत का भुगतान नहीं हो सका है। किसान लगातार अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा है। इस समस्या को लेकर किसानों में काफी गुस्सा है, और वे इस स्थिति से तंग आ चुके हैं।
किसानों का गुस्सा और भुगतान में देरी
अब जरा सोचिए, 19666 किसानों द्वारा बेची गई धान का कुल भुगतान योग्य रकम 266 करोड़ 24 लाख रुपये है। इसमें से केवल 61 करोड़ 93 लाख रुपये का ही भुगतान हुआ है, जबकि 204 करोड़ 7 लाख रुपये का भुगतान अभी बाकी है। इसका मतलब यह हुआ कि अभी तक केवल 4442 किसानों को ही भुगतान किया गया है, जबकि 15224 किसान अब भी भुगतान के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। यह स्थिति किसानों के लिए बेहद परेशान करने वाली है। वे अपने बच्चों की पढ़ाई, परिवार की देखभाल और अपनी अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इस पैसे का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कई बार यह कहा है कि किसानों का भुगतान शीघ्र किया जाए और उनकी कोई भी तकलीफ न हो, लेकिन जिले के अधिकारी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। जिला आपूर्ति अधिकारी और एआरसीएस (आरसीएस) के अधिकारी, जो एनसीसीएफ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, किसानों के मुद्दों को अनदेखा कर रहे हैं। इन अधिकारियों का एकमात्र उद्देश्य सिर्फ अपनी पद की शान बढ़ाना और समितियों में घूमना है, किसानों की समस्याओं से इनका कोई लेना-देना नहीं है।
किसानों की शिकायतें और अधिकारियों की उपेक्षा
ग्राम बरही निवासी किसान मनोज साहू ने बताया कि वे 7 दिसंबर को धान बेचने के लिए केंद्र पर गए थे, लेकिन अब तक उन्हें कोई भुगतान नहीं मिला। ग्राम बरही में दो सौ से ढाई सौ किसान हैं, जिन्होंने धान बेचा, लेकिन किसी का भी पैसा अब तक नहीं आया है। किसानों की चिंता यह है कि वे अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस पैसे का इंतजार कर रहे हैं। कई किसानों की तो शादी-ब्याह के खर्चे भी अटके हुए हैं, और वे इस स्थिति से बेहद परेशान हैं।
जब इस मामले पर एनसीसीएफ के जिला प्रबंधक जयदीप डूडी से संपर्क किया गया, तो उनका कहना था कि उन्हें परिवहन की अनुमति देर से मिली, जिसके कारण 20 और 21 दिसंबर से ही परिवहन की प्रक्रिया शुरू हो पाई। उन्होंने यह भी बताया कि जिन किसानों का पहले उठाव हुआ है, उनका भुगतान पहले किया जाएगा और जिनका उठाव हाल ही में हुआ है, उनका भुगतान जल्द ही किया जाएगा। लेकिन किसानों का कहना है कि यह समस्याएं सिर्फ अधिकारियों की लापरवाही और देरी के कारण पैदा हुई हैं।
किसानों की अपील और सरकारी उपेक्षा
किसान अब सरकार से यह पूछ रहे हैं कि उन्होंने भाजपा को वोट क्यों दिया था, अगर उन्हें ऐसे ही दिन देखने के लिए मजबूर किया जाएगा। किसानों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, तो वे अपने वोट के फैसले पर पुनः विचार करेंगे। उनका कहना है कि यदि सरकार किसानों का भुगतान नहीं करवा पाई, तो यह उनके लिए एक बड़ा झटका होगा और वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना जारी रखेंगे।
किसानों का मानना है कि सरकार के पास इस समस्या का समाधान करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और प्रशासनिक विफलता के कारण उन्हें भुगतान नहीं मिल पा रहा है। इसलिए किसानों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और उनके लंबित भुगतान को शीघ्र जारी करने का आदेश दें।
कृषि विभाग की कार्यशैली पर सवाल
किसानों का कहना है कि कृषि विभाग के अधिकारी किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं और उनकी उपेक्षा कर रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में कई योजनाएं बनाई हैं, इन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन न होना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बचते हुए अपना काम पूरा करने की बजाय केवल अपने निजी फायदे के लिए काम कर रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता और किसानों की उम्मीदें
किसानों की यह स्थिति इस बात का संकेत है कि कृषि क्षेत्र में सुधार की जरूरत है, और अगर सरकार किसानों के मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेगी, तो किसानों का विश्वास टूट सकता है। सरकार और अधिकारी इस बात को समझें और किसानों के लंबित भुगतान को शीघ्र जारी करें, ताकि वे अपनी दैनिक ज़रूरतें पूरी कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।
किसानों की उम्मीदें अब सरकार से हैं कि वे उनके पैसे दिलाने के लिए ठोस कदम उठाएं और अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।