उज्जैन: 12वीं का टॉपर बना एक दिन का विधायक, लोगों की समस्याएं सुनीं, विकास कार्यों का किया भूमि पूजन

उज्जैन के नागदा में 12वीं के टॉपर साहित्य श्री सेन को एक दिन का विधायक बनाया गया। उन्होंने 1 करोड़ के विकास कार्यों का भूमिपूजन किया और लोगों की समस्याएं सुनीं। पढ़िए यह प्रेरणादायक कहानी।

उज्जैन: 12वीं का टॉपर बना एक दिन का विधायक, लोगों की समस्याएं सुनीं, विकास कार्यों का किया भूमि पूजन
1 दिन का विधायक
हाइलाइट्स
  • 12वीं टॉपर साहित्य एक दिन का विधायक बना
  • 1 करोड़ के विकास कार्यों का भूमिपूजन किया
  • जनता की समस्याएं सुनीं, बच्चों को प्रेरित किया

सोचो जरा, आप स्कूल में पढ़ते हो और एक दिन के लिए आपको विधायक बना दिया जाए! सुनने में फिल्मी लगता है न? लेकिन उज्जैन के नागदा में ऐसा सच में हुआ। 12वीं कक्षा में टॉप करने वाले साहित्य श्री सेन को एक दिन के लिए विधायक की कुर्सी मिली। साहित्य ने न सिर्फ विकास कार्यों का भूमिपूजन किया, बल्कि लोगों की समस्याएं भी सुनीं। चलो, इस मजेदार और प्रेरणादायक कहानी को थोड़ा करीब से जानते हैं।

कौन हैं साहित्य श्री सेन?

साहित्य कोई आम छात्र नहीं है। इस लड़के ने 12वीं में 96.20% अंक लाकर पूरे मध्य प्रदेश में 10वां और उज्जैन जिले में पहला स्थान हासिल किया। उनकी इस मेहनत को देखते हुए नागदा के विधायक तेज बहादुर सिंह चौहान ने सोचा, "क्यों न इसे एक दिन का विधायक बनाकर बच्चों को प्रेरित किया जाए?" बस फिर क्या, साहित्य को विधायक वाला पूरा प्रोटोकॉल मिला—गाड़ी, सम्मान और जिम्मेदारी भी!

एक दिन में क्या-क्या किया?

साहित्य ने विधायक बनते ही कमाल कर दिया। उन्होंने करीब 1 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का भूमिपूजन और उद्घाटन किया। इसमें बैरछा में 65 लाख का उप-स्वास्थ्य केंद्र, 98.53 लाख की लागत से स्कूल में 7 नई क्लासरूम, सीसी रोड और पीएम आवास योजना के मकान शामिल थे। मजेदार बात ये कि इन शिलालेखों पर विधायक के तौर पर साहित्य का नाम भी लिखा गया। लोग तो देखते ही रह गए कि ये नया विधायक कौन है!

इसके अलावा, साहित्य ने जनता दरबार भी लगाया। वहां एक छात्रा ने बताया कि आधार नंबर में गड़बड़ी की वजह से उसे शिक्षा के अधिकार योजना का फायदा नहीं मिल रहा। साहित्य ने तुरंत बीआरसी और स्कूल संचालक को बुलाया और कहा, "जल्दी से इसे ठीक करो।" एक दिन में ही इतना कुछ कर देना—वाह, साहित्य भाई!

लोगों का क्या रिएक्शन रहा?

जब साहित्य को विधायक की गाड़ी में देखा गया, तो लोग हैरान हो गए। कुछ ने तो सोचा, "ये क्या माजरा है?" लेकिन जब उन्हें पता चला कि ये तेज बहादुर सिंह चौहान का नया प्रयोग है, तो सबने तारीफ शुरू कर दी। लोगों ने कहा, "ऐसा सोचने के लिए बड़ा दिल चाहिए। बच्चों को प्रेरणा देने का इससे अच्छा तरीका क्या हो सकता है?"

क्यों खास है ये प्रयोग?

उज्जैन जिले में शायद पहली बार ऐसा हुआ कि किसी छात्र को विधायक बनाया गया। तेज बहादुर सिंह चौहान का मकसद साफ था—बच्चों को पढ़ाई के लिए मोटिवेट करना। उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि बच्चे समझें कि मेहनत का फल कितना शानदार हो सकता है।" और सच में, ये प्रयोग बच्चों के लिए एक मिसाल बन गया।

सिर्फ टॉपर्स के लिए नहीं, सबके लिए सबक

ये पहल सिर्फ साहित्य जैसे टॉपर्स को इनाम देने की बात नहीं है। ये हर उस बच्चे को प्रेरित करती है जो मेहनत करना चाहता है। आजकल पढ़ाई का इतना प्रेशर है कि बच्चे थक जाते हैं। ऐसे में ये प्रयोग बताता है कि शिक्षा सिर्फ नंबरों का खेल नहीं, बल्कि नए अनुभवों और मौकों का रास्ता भी है। साहित्य को तो ये दिन जिंदगी भर याद रहेगा। शायद वो आगे चलकर नेता ही बन जाए, कौन जानता है!

नागदा में खुशी की लहर

नागदा के लोग इस बात से बहुत खुश हैं। माता-पिता और टीचर्स ने इस कदम की तारीफ की। साथ ही, इससे इलाके के विकास कार्यों पर भी रोशनी पड़ी। उज्जैन, जो अपनी महाकाल की नगरी के लिए मशहूर है, अब शिक्षा के क्षेत्र में भी नई मिसाल कायम कर रहा है।

आखिर में

तो दोस्तों, उज्जैन के इस अनोखे प्रयोग ने साबित कर दिया कि पढ़ाई के दम पर आप कुछ भी हासिल कर सकते हो—यहां तक कि एक दिन के लिए विधायक की कुर्सी भी! साहित्य श्री सेन की कहानी हर छात्र के लिए एक प्रेरणा है। अब अगली बारी तुम्हारी है—पढ़ो, मेहनत करो और ऐसे मौके अपने नाम करो!