खरगोन: भोंगर्या हाट का उल्लास: आदिवासी संस्कृति की अनूठी छटा

मध्य प्रदेश के खरगौन जिले के भगवानपुरा में 7 मार्च से भोंगर्या हाट की धूम शुरू होने वाली है। आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजकर इस उत्सव में शामिल होंगे। पढ़ें पूरी जानकारी।

खरगोन: भोंगर्या हाट का उल्लास: आदिवासी संस्कृति की अनूठी छटा
भोंगर्या हाट: आदिवासी संस्कृति का जीवंत उत्सव!

मध्य प्रदेश के खरगौन जिले के भगवानपुरा क्षेत्र में 7 मार्च से भोंगर्या हाट की धूम शुरू होने वाली है। यह आदिवासी समुदाय का एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है, जो होली से पहले आयोजित किया जाता है। सात दिनों तक चलने वाले इस हाट में आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजकर शामिल होते हैं और मांदल की थाप पर बासुरी की धुन में थिरकते हुए अपनी संस्कृति की छठा बिखेरते हैं।  

भोंगर्या हाट का महत्व

भोंगर्या हाट आदिवासी समाज के लिए न केवल एक बाजार है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। इस हाट में आदिवासी समुदाय के लोग खरीदारी करने के साथ-साथ एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर खुशियां बांटते हैं। यह उत्सव उमंग, मस्ती और लोकसंस्कृति का अनूठा संगम है।

पारंपरिकता का संरक्षण

आधुनिकता के इस दौर में भी भोंगर्या हाट में बैलगाड़ी का चलन जारी है। आदिवासी समुदाय के लोग आज भी बैलगाड़ी पर सवार होकर हाट में पहुंचते हैं। यह उनकी पारंपरिक जीवनशैली और संस्कृति के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

भोंगर्या हाट में आदिवासी युवक-युवतियां पारंपरिक परिधानों में सजकर शामिल होते हैं। मांदल की थाप और बासुरी की धुन पर वे थिरकते हुए अपनी संस्कृति की झलक पेश करते हैं। यह नृत्य न केवल मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि यह आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत रखता है।

सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी

भोंगर्या हाट में सिर्फ आदिवासी समुदाय ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के नेता और सामाजिक संगठन भी शामिल होते हैं। सामाजिक संगठन नशा मुक्ति के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास करते हैं, जबकि राजनीतिक दल इस मौके का उपयोग जनसंपर्क के लिए करते हैं।

भोंगर्या हाट का आर्थिक पहलू

भोंगर्या हाट आदिवासी समुदाय के लिए आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां लोग खरीदारी करते हैं और स्थानीय उत्पादों को बेचते हैं। यह हाट उनके लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है।

भोंगर्या हाट की तिथियां और स्थान

इस साल भोंगर्या हाट की शुरुआत 7 मार्च से होगी और यह 13 मार्च तक चलेगा। हाट के आयोजन की तिथियां और स्थान इस प्रकार हैं:

  • 7 मार्च (शुक्रवार): ग्राम बरुड
  • 8 मार्च (शनिवार): भगवानपुरा और गढ़ी
  • 9 मार्च (रविवार): भग्यापुर और कामोद
  • 10 मार्च (सोमवार): बिष्टान
  • 11 मार्च (मंगलवार): पीपलझोपा और मोहना
  • 12 मार्च (बुधवार): धुलकोट और सिरवेल
  • 13 मार्च (गुरुवार): काबरी और सरवर देवला

13 मार्च की शाम को होली का दहन किया जाएगा, जो इस उत्सव के समापन का प्रतीक होगा।

भोंगर्या हाट का सामाजिक प्रभाव

भोंगर्या हाट न केवल आदिवासी समुदाय के लिए एक उत्सव है, बल्कि यह सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है। इस हाट में शामिल होकर लोग एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं और अपनी खुशियां साझा करते हैं। यह उत्सव उनके लिए एक मंच प्रदान करता है, जहां वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रख सकते हैं।  

पारंपरिक जीवन शैली को दर्शाता है

भगवानपुरा क्षेत्र में आयोजित होने वाला भोंगर्या हाट आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह उत्सव न केवल उनकी पारंपरिक जीवनशैली को दर्शाता है, बल्कि यह उनकी आर्थिक और सामाजिक जरूरतों को भी पूरा करता है। भोंगर्या हाट की गूंज पूरे वनांचल में सुनाई देती है और यह आदिवासी समुदाय के लिए उमंग और मस्ती का पर्याय बन गया है।