जबलपुर का लव जिहाद मामला: विवाह आवेदन खारिज, सख्त कानून की मांग
जबलपुर के लव जिहाद मामले में अंकिता राठौर और हसनैन अंसारी की शादी आवेदन को खारिज किया गया। इस विवाद में हिंदूवादी संगठनों की प्रतिक्रिया और प्रशासनिक कदमों पर चर्चा।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक बहुचर्चित लव जिहाद मामले में हाल ही में बड़ा फैसला सुनाया गया है। अंकिता राठौर और हसनैन अंसारी के बीच प्रेम विवाह को लेकर दिए गए आवेदन को अपर कलेक्टर और विवाह अधिकारी नाथू राम गौड़ की कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह फैसला स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 की धारा 5 के तहत लिया गया है, जिसमें विवाह के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति के पते की सत्यता की जांच जरूरी है। कोर्ट ने पाया कि हसनैन अंसारी उस पते पर नहीं रह रहे थे, जो उन्होंने अपने आवेदन में दिया था। जांच में यह भी सामने आया कि हसनैन पिछले 10 साल से उस पते पर नहीं रह रहे थे, जिसके चलते उनका विवाह आवेदन निरस्त कर दिया गया।
यह मामला न केवल शादी के आवेदन की खारिजी तक सीमित है, बल्कि इसके बाद धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बड़े विवाद का रूप ले चुका है। इस फैसले पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने खुशी का इज़हार किया है और दोनों संगठनों ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस प्रकार के विवाह आवेदन से पहले बड़े अखबारों में नोटिफिकेशन दिया जाए, ताकि मामले में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने से पहले स्थिति स्पष्ट हो सके।
लव जिहाद विवाद और हिंदू संगठनों की आपत्ति
यह मामला इंदौर की अंकिता राठौर और जबलपुर के सिहोरा के हसनैन अंसारी के बीच एक अंतरधार्मिक विवाह को लेकर सामने आया था। 7 अक्टूबर 2024 को दोनों ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह के लिए आवेदन दिया था। हालांकि, हिंदूवादी संगठनों और अंकिता के माता-पिता ने इस विवाह का विरोध किया था। लड़की के माता-पिता ने इस शादी को लेकर अपहरण की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी और प्रशासन से मांग की थी कि उनकी बेटी को उनके सुपुर्द किया जाए।
हिंदूवादी संगठनों का कहना था कि मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की के बीच विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत वैध नहीं हो सकता, और इस प्रकार के विवाह धर्म परिवर्तन की संभावनाओं को जन्म देते हैं। इन संगठनों ने मई 2024 में जस्टिस अहलूवालिया द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया था, जिसमें इस प्रकार के विवाह को लेकर चिंता जताई गई थी।
इसी दौरान, हैदराबाद के विधायक टी. राजा सिंह ने भी इस मुद्दे पर कड़ा विरोध जताया था। उन्होंने सरकार से मांग की थी कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप किया जाए और कहा कि यदि ठोस कदम नहीं उठाए गए तो प्रदेश में ऐसे और लव जिहाद के मामले सामने आ सकते हैं। टी. राजा सिंह ने अंकिता को अपना फैसला बदलने की सलाह देते हुए कहा कि भविष्य में उसे इस निर्णय पर पछताना पड़ सकता है।
हाई कोर्ट का हस्तक्षेप और सुरक्षा की व्यवस्था
दिसंबर 2024 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पेशल हिंदू मैरिज एक्ट के तहत इस विवाह को मंजूरी दी थी। हालांकि, मामले में न तो प्रशासन और न ही हिंदूवादी संगठनों की आपत्तियां थमीं। कोर्ट ने इस दौरान साफ कहा था कि किसी भी जोड़े को विवाह का अधिकार प्राप्त है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से क्यों न हों। हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि शादी के दौरान जोड़े की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए और उन्हें एक माह तक पुलिस सुरक्षा दी जाए।
कोर्ट ने यह आदेश भी दिया था कि विवाह में कोई बाधा उत्पन्न होने पर पुलिस और प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह मामला केवल दो व्यक्तियों का नहीं बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। अदालत ने अंकिता के पिता द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट का उद्देश्य धर्म, जाति, और समुदाय की सीमाओं से परे जाकर विवाह को मान्यता देना है।
प्रशासन और समाज की प्रतिक्रिया
इस पूरे विवाद ने केवल कानूनी दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि समाज में फैली सांप्रदायिक चिंताओं को भी उजागर किया है। हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि ऐसे मामलों में सामाजिक और धार्मिक संगठन अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इस प्रकरण ने प्रशासनिक कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं, खासकर जब इस तरह के मामले में विवाद बढ़ने से पहले सरकार और प्रशासन को अधिक सख्त कदम उठाने की जरूरत थी।
वहीं, इस फैसले के बाद, विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के नेता सुमित सिंह ठाकुर ने इसे हिंदू समाज की जीत बताया और कहा कि यह निर्णय सामाजिक बदलाव की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। उनका मानना था कि इस प्रकार के मामलों में प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के विवादों से बचा जा सके।
मध्य प्रदेश का जबलपुर लव जिहाद मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि यह समाज में फैली धार्मिक और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को भी उजागर करता है। यह मामला स्पष्ट करता है कि समाज में अंतरधार्मिक विवाह को लेकर विचारधाराओं का टकराव जारी रहेगा, और इस प्रकार के मामलों में प्रशासन, न्यायपालिका और समाज को संतुलित तरीके से समाधान की दिशा में कदम उठाने होंगे।