मध्य प्रदेश में धार्मिक नगरों में शराबबंदी का ऐलान, 17 प्रमुख स्थानों पर होगी निषेध
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य के 17 प्रमुख धार्मिक नगरों में शराबबंदी का ऐलान किया। यह निर्णय धार्मिक और सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य के 17 प्रमुख धार्मिक नगरों में शराबबंदी का ऐलान किया है। 23 जनवरी, 2025 को नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने इस फैसले की घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि जिन स्थानों पर धार्मिक महत्व अधिक है, वहां शराब की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित की जाएगी। इस कदम के माध्यम से न केवल समाज को बेहतर दिशा में ले जाने की कोशिश की जा रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक स्थलों की पवित्रता को भी बनाए रखा जाएगा।
नशाखोरी और सामाजिक सुधार की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कदम का उद्देश्य नशे की आदतों को खत्म करना और परिवारों को शराब से होने वाली समस्याओं से मुक्ति दिलाना है। उन्होंने कहा कि शराब के कारण समाज में कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जिनमें परिवारों का टूटना और सामाजिक बुराइयों का फैलना शामिल है। इस फैसले को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारा उद्देश्य है कि इन धार्मिक नगरों में शराब की दुकानों पर ताले लगाए जाएं, ताकि यहां के लोग और पर्यटक शुद्ध वातावरण में रह सकें।"
नर्मदा परिक्रमा वासियों के लिए विशेष प्रबंध
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले समय में नर्मदा परिक्रमा वासियों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। नर्मदा नदी के किनारे उनके लिए आश्रय स्थल और स्नान घाट बनाए जाएंगे, जिससे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को सुविधा हो सके। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नर्मदा के आंचल को हरा-भरा बनाए रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण के कार्य किए जाएंगे।
सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम
मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के नजरिए से भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "जब से भगवान राम अयोध्या में मुस्कुराए हैं, तब से सांस्कृतिक अनुष्ठानों का एक नया दौर शुरू हुआ है। इसी दिशा में, हम यह कदम उठा रहे हैं ताकि हमारे धार्मिक नगरों को पवित्र और संरक्षित रखा जा सके।"
17 प्रमुख धार्मिक नगरों की सूची
आइए, जानते हैं उन 17 प्रमुख धार्मिक नगरों के बारे में जहां शराबबंदी लागू की जाएगी:
- उज्जैन - महाकालेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध, उज्जैन एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- ओरछा - भगवान रामराजा सरकार का निवास स्थल, एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल।
- मंडला - नर्मदा नदी के प्रसिद्ध घाट और धार्मिक स्थल।
- महेश्वर - नर्मदा किनारे स्थित प्राचीन मंदिरों और पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है।
- दतिया - पीतांबरा माई का प्रसिद्ध मंदिर यहां स्थित है।
- ओंकारेश्वर - भगवान ममलेश्वर का मंदिर, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- मुलताई - ताप्ती नदी का उद्गम स्थल, धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण।
- जबलपुर - भेड़ाघाट और नर्मदा के किनारे स्थित एक धार्मिक नगर।
- नलखेड़ा - मां बगलामुखी माता का प्रसिद्ध मंदिर।
- सलकनपुर - देवी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध, जहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
- चित्रकूट - भगवान राम ने यहां वनवास के दौरान कुछ समय बिताया था।
- मंदसौर - भगवान पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर।
- मैहर - मां शारदा का प्रसिद्ध मंदिर, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
- बरमान घाट और मंडेलश्वर - ये दोनों स्थान नर्मदा के प्रमुख घाट हैं।
- पन्ना - जुगल किशोर भगवान का प्राचीन मंदिर।
- सांची - यह स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
- अमरकंटक - नर्मदा का उद्गम स्थल और नर्मदा मंदिर।
शराबबंदी से धार्मिक स्थलों की पवित्रता में सुधार
मुख्यमंत्री ने इस फैसले के बारे में और अधिक विस्तार से बताते हुए कहा कि यह एक बड़ा सामाजिक और धार्मिक कदम है। उनका मानना है कि शराबबंदी से न केवल धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनी रहेगी, बल्कि इससे पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। धार्मिक नगरी में शराब की दुकानें बंद होने से उन स्थानों के माहौल में बदलाव आएगा और लोग एक स्वस्थ वातावरण में रहेंगे।
नशे से मुक्ति के लिए समाज में बदलाव
सीएम ने इसके साथ ही यह भी बताया कि नर्मदा परिक्रमा वासियों के लिए सरकार समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करेगी। नर्मदा नदी के किनारे उनके लिए स्थायी आश्रय स्थल, स्नान घाट और शौचालय जैसी सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। नर्मदा नदी के संरक्षण और पर्यावरणीय सुधार पर भी सरकार ध्यान देगी, ताकि नर्मदा की पवित्रता बनी रहे और नदी के किनारे का पर्यावरण हरा-भरा बने।
समाज सुधार की दिशा में सरकार का प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को राज्य के सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया और उम्मीद जताई कि इससे समाज में सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि नशाखोरी की आदत को खत्म करने के लिए शराबबंदी जैसे कदम उठाए जा रहे हैं ताकि एक स्वस्थ और प्रगतिशील समाज की नींव रखी जा सके।
ऐतिहासिक कदम और सामाजिक प्रभाव
यह ऐलान मध्य प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, खासकर उन धार्मिक स्थानों पर जहां देशभर से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। अब इन स्थलों पर शराब की बिक्री बंद होने से न केवल धार्मिक महत्व बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
नशे से मुक्ति और बेहतर भविष्य की दिशा
इस फैसले का उद्देश्य केवल धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखना नहीं है, बल्कि शराब से होने वाली सामाजिक समस्याओं और परिवारों के टूटने जैसी स्थितियों को भी समाप्त करना है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी नागरिकों से अपील की कि वे इस कदम को समर्थन दें और अपने परिवारों को नशे से दूर रखें।
यह निर्णय प्रदेश के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे न केवल धार्मिक स्थलों की महिमा बढ़ेगी, बल्कि यह कदम राज्य में सामाजिक सुधार की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 23 जनवरी को गोटेगांव में इस ऐतिहासिक फैसले की घोषणा की कि मध्य प्रदेश के 17 प्रमुख धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू की जाएगी। इस कदम से न केवल धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनी रहेगी, बल्कि समाज में सुधार और नशे की समस्याओं को भी कम किया जाएगा।
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