उज्जैन गौशाला गायों के लापता होने का मामला: संतों ने की प्रशासन से जांच की मांग

उज्जैन के खाचरौद स्थित श्री नंदराज गौशाला से गायों के लापता होने के मामले में संत कृष्णानंद और गंगा गिरी महाराज ने प्रशासन से तुरंत जांच की अपील की है। गायों की गुमशुदगी पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

उज्जैन गौशाला गायों के लापता होने का मामला: संतों ने की प्रशासन से जांच की मांग
, उज्जैन के गौशाला में गायों के लापता होने का मामला

मध्य प्रदेश के उज्जैन के खाचरौद स्थित श्री नंदराज गौशाला में गायों के लापता होने का मामला काफी तूल पकड़ चुका है। यहां से गायों के गायब होने के बारे में संत कृष्णानंद महाराज ने लगभग दस दिन पहले प्रशासन से शिकायत की थी, जिसके बाद यह मामला अब सुर्खियों में आ गया है। संत कृष्णानंद महाराज ने आरोप लगाया था कि लेकोड़िया स्थित श्री नंदराज गौशाला से करीब 498 गायें गायब हो गई हैं, जो कि एक गंभीर मामला है।

शिकायत में क्या कहा था संत कृष्णानंद महाराज ने?

संत कृष्णानंद महाराज ने प्रशासन को दी गई शिकायत में कहा था कि मध्यप्रदेश सरकार प्रति गाय के हिसाब से गौशाला को अनुदान देती है, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में गायों की संख्या में बड़ा फर्क दिख रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक गौशाला में 1000 गायों का होना दिखाया जा रहा था, जबकि पशु चिकित्सक की रिपोर्ट में सिर्फ 500 गायों का जिक्र किया गया था।

महाराज का कहना था कि सरकारी अनुदान के अनुसार 1000 गायों के लिए 20 रुपये प्रति गाय की दर से राशि मिल रही थी, लेकिन अब सवाल उठता है कि बाकी गायें कहां गईं। उनका यह भी कहना था कि यदि गौशाला में 1000 गायें थीं, तो फिर सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 500 गायें ही क्यों दिखायी जा रही हैं।

गायों के लापता होने पर गौशाला समिति की सफाई

संत कृष्णानंद महाराज के आरोपों के बाद गौशाला समिति के सदस्यों ने अपनी सफाई पेश की। समिति के सदस्यों ने कहा कि गायों को दूसरी गौशालाओं में भेजने का निर्णय लिया गया था, हालांकि जब मीडिया में यह बात सामने आई, तो उन्होंने इससे मना कर दिया। समिति के सदस्यों का दावा था कि गायों की संख्या में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, लेकिन संत कृष्णानंद और अन्य संतों का आरोप था कि गायों के लापता होने का मामला गंभीर है और इसकी जांच होनी चाहिए।

स्वामी कृष्णानंद महाराज का जन्मदिवस और श्रद्धांजलि समारोह

स्वामी कृष्णानंद महाराज का आज जन्मदिवस था, और इस मौके पर उनके भक्त आश्रम पहुंचे। जन्मदिवस के दौरान गायों की लापता होने की घटना को लेकर एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में न केवल भक्तों, बल्कि साधु-संतों ने भी गौ माता की श्रद्धांजलि अर्पित की। विशेष रूप से स्वामी जी के भक्तों ने इस अवसर पर अपने सिर के बाल मुंडवाए और गायों के लापता होने की घटना के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की।

स्वामी कृष्णानंद ने मंच से क्षेत्रीय विधायक तेज बहादुर सिंह चौहान पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विधायक बनने के बाद यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि आश्रम में उनका स्वागत होगा। स्वामी जी ने चेतावनी दी कि अब से विधायक तेज बहादुर सिंह के लिए इस आश्रम के दरवाजे बंद हैं।

गंगा गिरी महाराज ने भी आवाज उठाई

गंगा गिरी महाराज, जो पहले कई वर्षों से गौशाला का संचालन कर रहे थे, ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह पिछले कुछ समय से बाहर थे और इस दौरान गायों की गुमशुदगी की घटना हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दुष्ट तत्वों ने गायों को गायब कर दिया। गंगा गिरी महाराज ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से अपील की कि इस मामले पर तत्काल संज्ञान लिया जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।

मुख्यमंत्री से अपील और प्रशासन की भूमिका

गंगा गिरी महाराज की अपील के बाद प्रशासन में हलचल मच गई है। संतों और भक्तों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच के आदेश दिए हैं। फिलहाल इस मामले में जांच जारी है, लेकिन अब तक गायों के लापता होने की वजह स्पष्ट नहीं हो पाई है।

संत कृष्णानंद महाराज और गंगा गिरी महाराज दोनों ने प्रशासन से यह उम्मीद जताई है कि जल्दी ही गायों के लापता होने का रहस्य सामने आएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

विधायक की भूमिका और आगामी राजनीति

इस मामले में विधायक तेज बहादुर सिंह चौहान की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। स्वामी कृष्णानंद महाराज के आरोपों के बाद विधायक ने खुद को इस विवाद से दूर रखने की कोशिश की है, लेकिन संतों का कहना है कि अब उन्हें राजनीति से परे जाकर इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।

गायों की गुमशुदगी की यह घटना अब न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन और नेता इस मुद्दे पर कितनी गंभीरता से काम करते हैं और क्या गायों की गुमशुदगी का रहस्य कभी हल हो पाता है या नहीं।

गायों के लापता होने का यह मामला न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धार्मिक स्थानों पर भी कुछ अराजक तत्वों की मौजूदगी हो सकती है। स्वामी कृष्णानंद महाराज और गंगा गिरी महाराज जैसे संतों के आक्रोश को देखते हुए प्रशासन को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी होगी। अब यह देखना होगा कि क्या प्रशासन और धार्मिक समुदाय मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकाल पाते हैं और क्या गायों का सच्चा हक मिल पाता है।