छत्तीसगढ़ में जंगलराज: पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या और भ्रष्टाचार की सच्चाई

छत्तीसगढ़ में बीजेपी शासन के तहत पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या और भ्रष्टाचार की सच्चाई उजागर होती है। जानिए, ठेकेदार द्वारा पत्रकार की हत्या और उसके बाद के घटनाक्रम पर विशेष रिपोर्ट।

छत्तीसगढ़ में जंगलराज: पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या और भ्रष्टाचार की सच्चाई
फोटो मुकेश चंद्राकर

छत्तीसगढ़ में 2024 में हुई पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने न केवल राज्य के बल्कि पूरे देश के मीडिया और राजनीतिक परिदृश्य में भूचाल मचा दिया है। मुकेश चंद्राकर, एक साहसी पत्रकार, जिन्होंने भ्रष्टाचार और प्रशासनिक खामियों के खिलाफ आवाज उठाई थी, उनकी हत्या को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं कि इसे सरकार की नीतियों और राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके द्वारा उजागर की गई सच्चाई से जोड़कर देखा जा रहा है। खासतौर पर यह हत्या बस्तर क्षेत्र में स्थित एक ठेकेदार के हाथों हुई, जिसने कथित रूप से सड़क निर्माण में हुई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग के कारण पत्रकार को निशाना बनाया।

यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं है, बल्कि एक गहरे मुद्दे को उजागर करती है—वह है छत्तीसगढ़ में बीजेपी शासन के तहत बढ़ता हुआ भ्रष्टाचार, प्रशासन की लापरवाही, और कानून व्यवस्था की नाकामी। इस विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में हम पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले को और गहराई से समझेंगे और छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजनीतिक स्थिति, विशेषकर बीजेपी शासन के तहत भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था पर चर्चा करेंगे।

भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग पर हमला: मुकेश चंद्राकर का संघर्ष

मुकेश चंद्राकर, जिनका नाम अब भ्रष्टाचार और पत्रकारिता की स्वतंत्रता की लड़ाई के साथ जोड़ा जाता है, ने बस्तर जिले में सड़क निर्माण के दौरान हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि किस तरह ठेकेदारों ने सरकार द्वारा मंजूर किए गए निर्माण कार्यों में भारी गड़बड़ियां कीं, सामग्री की कमी की और अधिकारियों के साथ मिलीभगत से पैसे की हेरफेर की।

चंद्राकर के इस खुलासे ने ठेकेदारों के खिलाफ गुस्से को जन्म दिया। आरोप है कि ठेकेदार ने चंद्राकर को अपने घर बुलाया और उसे वहां हत्या कर दी। फिर, मृत शरीर को ठेकेदार के घर के सेप्टिक टैंक में डाल दिया और ऊपर से सीमेंट, बालू, और गिट्टी डालकर नए स्लैब को ढाल दिया ताकि सब कुछ छुपा दिया जाए। इस खौ़फनाक हत्या की सच्चाई धीरे-धीरे सामने आई और इसने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

बीजेपी का 'जंगलराज': एक विश्लेषण

कांग्रेस ने मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद राज्य सरकार पर आरोप लगाए और इसे बीजेपी के 'जंगलराज' के रूप में पेश किया। उनका कहना था कि इस घटना से यह साफ़ हो गया कि बीजेपी के शासन में न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार बढ़ा है, बल्कि कानून-व्यवस्था भी पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।

कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी के शासन में न केवल पत्रकारों, बल्कि आम नागरिकों को भी सुरक्षा का कोई भरोसा नहीं है। अगर पत्रकारों को खुलेआम मारा जा सकता है, तो राज्य में बाकी नागरिकों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। उनका कहना था कि बीजेपी की सरकार दिल्ली से 'रिमोट कंट्रोल' पर चलाई जा रही है और प्रदेश में हर स्तर पर अराजकता फैल चुकी है। भ्रष्टाचार और अनियंत्रित सत्ता ने प्रदेश को पूरी तरह से अपने शिकंजे में जकड़ लिया है।

इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इस हत्या के बाद मीडिया ने शायद ही इस मामले को गंभीरता से उठाया। पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन मीडिया की चुप्पी यह बताती है कि कहीं न कहीं सरकार और मीडिया के बीच सांठगांठ हो सकती है।

पत्रकारों के लिए खतरा: क्या छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता अब जोखिम भरी है?

मुकेश चंद्राकर की हत्या यह सवाल उठाती है कि क्या पत्रकारों को अपनी जान की सुरक्षा का कोई अधिकार नहीं है? क्या सत्ता के खिलाफ आवाज उठाना अब उन्हें मौत के मुंह में धकेलने का कारण बन सकता है?

यह घटना पत्रकारिता के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है। राज्य सरकार की नाकामी और ठेकेदारों द्वारा अपने काले कामों को छिपाने के लिए किए गए हिंसक प्रयास ने यह साबित कर दिया कि यदि आप भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते हैं तो आप सिर्फ एक आलोचक नहीं बल्कि एक टारगेट बन सकते हैं।

क्या अब पत्रकारों को अपनी रिपोर्टिंग के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ेगी? यह सवाल छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता जगत में गूंज रहा है। पत्रकारों को इस तरह की घटनाओं के बाद पहले से कहीं ज्यादा सतर्क रहना होगा, लेकिन क्या राज्य सरकार उनके लिए उचित सुरक्षा व्यवस्था प्रदान कर रही है? यह एक बड़ा सवाल बन चुका है।

पत्रकार संगठन और सामाजिक संगठनों की भूमिका

मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद पत्रकार संगठन, मानवाधिकार संगठन, और सामाजिक संस्थाओं ने इस मामले में गंभीर हस्तक्षेप किया है। प्रेस क्लब, भारतीय पत्रकार संघ (IJA), और छत्तीसगढ़ राज्य पत्रकार संघ ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसके खिलाफ आवाज उठाई। इन संगठनों ने हत्या में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की अपील की।

सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार आयोग ने भी इस हत्या को सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश के रूप में देखा और राज्य सरकार से मांग की कि वे मामले की निष्पक्ष जांच करें और आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए हर संभव कदम उठाएं। मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया और अधिकारियों से मामले की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की मांग की।

यह घटनाएं यह दर्शाती हैं कि पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए अब केवल प्रशासनिक स्तर पर नहीं, बल्कि समाज में भी समर्थन की आवश्यकता है। जब तक समाज और मीडिया मिलकर इस तरह की घटनाओं के खिलाफ खुलकर नहीं बोलेंगे, तब तक पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर खतरा बना रहेगा।

बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर लगातार हमले किए। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार अपराधियों को संरक्षण देती है, जबकि बीजेपी ने इस हत्या पर चुप्पी साधी हुई है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार के तहत केवल भ्रष्टाचार बढ़ा है और अपराधियों को एक तरह से खुला संरक्षण मिला हुआ है।

वहीं, बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया और इसे एक अकेला मामला बताया। हालांकि, बीजेपी के लिए यह बचाव काफी कमजोर साबित हो रहा है क्योंकि इस हत्या के बाद जनता में गहरा असंतोष फैल चुका है।

न्याय की उम्मीद: मुकेश चंद्राकर के परिवार को कब मिलेगा इंसाफ?

मुकेश चंद्राकर के परिवार के लिए यह समय बहुत ही कठिन है। एक साहसी पत्रकार को खोने के बाद उनके परिवार के लिए न्याय की उम्मीद अब बेहद जरूरी है। सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि वह इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगी और पत्रकार की हत्या में शामिल सभी दोषियों को कड़ी सजा दिलवाएगी।

लेकिन क्या राज्य सरकार इस पर कार्रवाई करेगी? क्या ठेकेदार और उनके सहयोगियों को सजा मिलेगी या यह मामला भी समय की धुंध में खो जाएगा? यह सवाल न केवल छत्तीसगढ़ के बल्कि पूरे देश के लोगों के मन में है।

मुकेश चंद्राकर कौन थे?

मुकेश चंद्राकर एक साहसी और समर्पित पत्रकार थे, जिन्होंने बस्तर क्षेत्र में अपनी रिपोर्टिंग से महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया। 2021 में बीजापुर में मुठभेड़ के दौरान माओवादियों द्वारा पकड़े गए सीआरपीएफ जवान राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई में मुकेश चंद्राकर ने अहम भूमिका निभाई थी। उनके प्रयासों के कारण राज्य पुलिस ने उन्हें राकेश्वर सिंह की सुरक्षित रिहाई के लिए श्रेय दिया।

मुकेश ने नक्सलवाद, मुठभेड़ों और बस्तर क्षेत्र के विभिन्न संवेदनशील मुद्दों पर लगातार रिपोर्टिंग की। उनका एक दशक से ज्यादा का पत्रकारिता अनुभव था, और उन्होंने एक प्रमुख राष्ट्रीय समाचार चैनल के स्ट्रिंगर के रूप में काम किया। इसके साथ ही, उन्होंने "बस्तर जंक्शन" नामक एक यूट्यूब चैनल भी चलाया, जिसने 159,000 से ज्यादा सब्सक्राइबर्स को आकर्षित किया। उनकी रिपोर्टिंग न केवल खबरों को दर्शाती थी, बल्कि बस्तर के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को भी सामने लाती थी।

निष्कर्ष: क्या छत्तीसगढ़ में अब कोई सुरक्षित है?

मुकेश चंद्राकर की हत्या केवल एक अपराध नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और सामाजिक तंत्र की विफलता का प्रतीक बन चुकी है। बीजेपी सरकार के तहत भ्रष्टाचार और प्रशासनिक ढांचे में खामियां पूरी तरह से सामने आ चुकी हैं। मुकेश चंद्राकर जैसे पत्रकारों की हत्या यह दर्शाती है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति कितनी नाजुक हो चुकी है।

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि जब तक पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक हम किसी भी नागरिक की सुरक्षा की उम्मीद नहीं कर सकते। छत्तीसगढ़ के नागरिकों को न्याय की उम्मीद है, और यह समय है कि राज्य सरकार और न्यायपालिका इस उम्मीद पर खरा उतरें।