MP: बुरहानपुर में गर्भवती बाघिन की रहस्यमयी मौत, पेट में थे 3 शावक – पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा राज?
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में शाहपुर रेंज के जंगल में एक गर्भवती बाघिन का शव मिला। पोस्टमार्टम में तीन शावकों का पता चला। क्या है मौत का कारण? पढ़ें पूरी खबर।

- बुरहानपुर में गर्भवती बाघिन की मौत, पेट में थे 3 शावक – कारण बना रहस्य
- वन विभाग अलर्ट: डॉग स्क्वॉड और एक्सपर्ट्स की टीम ने की जांच, केस दर्ज
- मेलघाट कनेक्शन या जंगल की आग? बाघिन की मौत पर उठे सवाल
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के शाहपुर रेंज में चौंडी वन परिक्षेत्र (कक्ष क्रमांक 428) में एक मादा बाघ (बाघिन) का शव मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया। वन विभाग के मैदानी अमले को स्थानीय सूचना मिली थी कि जंगल में एक बाघ का शव पड़ा है। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), नई दिल्ली, तथा मुख्य वन्य जीव संरक्षक, मध्य प्रदेश के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई शुरू की।
घटना स्थल की जांच और पोस्टमार्टम
वन विभाग ने घटना स्थल और आसपास के क्षेत्र की गहन छानबीन की। डॉग स्क्वॉड की मदद से जंगल में संदिग्ध गतिविधियों की जांच की गई, और स्थल को सुरक्षित किया गया। पांच विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों के पैनल ने बाघिन का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि बाघिन गर्भवती थी, और उसके गर्भ में तीन शावक थे। राहत की बात यह रही कि बाघिन के शरीर के सभी अंग सुरक्षित पाए गए, जिससे किसी भी तरह की अवैध गतिविधि की आशंका को खारिज किया गया।
पोस्टमार्टम में शामिल विशेषज्ञों में शामिल थे:
- डॉ. प्रशांत देशमुख (NTCA प्रतिनिधि)
- डॉ. हमजा नसीम, वन्यजीव चिकित्सक, वन विहार भोपाल
- डॉ. हीरामसिंह भांवर, उप संचालक, पशु चिकित्सा, बुरहानपुर
- डॉ. अंजू अचाले, पशु चिकित्सा, बुरहानपुर
- डॉ. रविंद्र, पशु चिकित्सा, बुरहानपुर
पोस्टमार्टम के बाद निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत बाघिन के शव का अंतिम संस्कार (भस्मीकरण) किया गया। इस दौरान मुख्य वन संरक्षक खंडवा श्री रमेश राणा, वनमंडलाधिकारी बुरहानपुर विद्याभूषण मिश्रा, उप वनमंडलाधिकारी अजय सारण, तहसीलदार शाहपुर योगेंद्र मिश्रा राठौर, सरपंच ग्राम पंचायत जम्बूपानी लालमसिंह भदौरिया, और NTCA प्रतिनिधि डॉ. प्रशांत देशमुख सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। पूरी प्रक्रिया की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई।
बाघिन की मौत का कारण: अभी रहस्य
बाघिन की मौत का सटीक कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, स्थानीय लोग सलाई गेंद इकट्ठा करने के लिए जंगल में आग लगा देते हैं, जिसके कारण बाघिन की मौत हो सकती है। हालांकि, इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है। वन विभाग ने इस मामले में वन अपराध प्रकरण दर्ज कर अग्रिम जांच शुरू कर दी है।
क्या यह बाघिन मेलघाट टाइगर रिजर्व की थी?
बुरहानपुर का जंगल पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है। मेलघाट के वन्यजीवों का बुरहानपुर के जंगलों में आना-जाना आम बात है। इसलिए, यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह बाघिन बुरहानपुर के जंगल की थी या मेलघाट टाइगर रिजर्व से आई थी। वन विभाग इसकी जांच कर रहा है, और जल्द ही इसकी स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
वन विभाग की कार्रवाई और स्थानीय मीडिया पर प्रतिबंध
बुरहानपुर वनमंडलाधिकारी श्री विद्याभूषण मिश्रा ने बताया कि NTCA और मुख्य वन्य जीव संरक्षक के दिशा-निर्देशों के अनुसार त्वरित कार्रवाई की गई। घटना स्थल को सुरक्षित करने के साथ-साथ डॉग स्क्वॉड की मदद से छानबीन की गई। हालांकि, स्थानीय सूत्रों का कहना है कि वन विभाग ने मीडिया को घटना स्थल का कवरेज करने से रोका, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं।
वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियां
यह घटना एक बार फिर वन्यजीव संरक्षण के सामने मौजूद चुनौतियों को उजागर करती है। बाघ भारत के जंगलों का गौरव हैं, और उनकी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन, जंगल में आग लगाने जैसी मानवीय गतिविधियां और वन्यजीवों के आवास में अतिक्रमण उनकी जान को खतरे में डाल रहे हैं। बुरहानपुर और मेलघाट जैसे क्षेत्रों में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और सख्त निगरानी की जरूरत है।
आगे की राह
वन विभाग इस मामले की गहन जांच कर रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद बाघिन की मौत का कारण स्पष्ट हो सकता है। साथ ही, यह भी पता चल सकेगा कि क्या यह बाघिन मेलघाट टाइगर रिजर्व की थी या बुरहानपुर के जंगल की। वन्यजीव अधिनियम के तहत दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास कितने जरूरी हैं। बाघों जैसे दुर्लभ प्राणियों को बचाने के लिए हमें अपने पर्यावरण और जंगलों की रक्षा करनी होगी।