ओपी मेहरा: एक ऐसा प्रेमी जिसने श्रीदेवी की तस्वीर से की शादी और आज भी निभा रहा है पति के सारे फर्ज

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के ओपी मेहरा ने दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी की तस्वीर से शादी की और आज भी उन्हें अपनी पत्नी मानते हैं। जानिए इस अनोखे प्रेम और समर्पण की पूरी कहानी, जहां गांव के लोग हर साल श्रीदेवी की पुण्यतिथि मनाते हैं।

ओपी मेहरा: एक ऐसा प्रेमी जिसने श्रीदेवी की तस्वीर से की शादी और आज भी निभा रहा है पति के सारे फर्ज
ओपी मेहरा, एक ऐसा प्रेमी जिसने श्रीदेवी की तस्वीर से शादी की

फिल्मी सितारों के प्रति दीवानगी किस हद तक जा सकती है, इसका जीवंत उदाहरण हैं मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के ददुनी गांव के रहने वाले ओपी मेहरा। इन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी की तस्वीर से शादी रचाई, बल्कि उनकी मृत्यु के बाद सभी धार्मिक रीति-रिवाज पूरे किए और आज भी हर साल उनकी पुण्यतिथि पर गांव को भोज कराते हैं। यह कहानी प्रेम, श्रद्धा और समर्पण का ऐसा संगम है, जो सुनने वाले को हैरान कर देता है।

श्रीदेवी के प्रति दीवानगी: जब तस्वीर से की शादी

ओपी मेहरा का नाम आज पूरे देश में इसलिए चर्चा में है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा एक ऐसी महिला को समर्पित कर दिया, जिससे उनकी मुलाकात तक नहीं हुई थी। यह महिला थीं बॉलीवुड की लीजेंड अभिनेत्री श्रीदेवी। ओपी मेहरा ने श्रीदेवी के प्रति अपने प्रेम को केवल दूर से देखने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उनकी एक तस्वीर से विवाह करके उन्हें अपनी जीवनसंगिनी बना लिया। 

ग्रामीणों के अनुसार, यह शादी कई साल पहले हुई थी। ओपी मेहरा ने हिन्दू रीति-रिवाजों का पालन करते हुए श्रीदेवी की तस्वीर के साथ सात फेरे लिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसके बाद से वे श्रीदेवी को ही अपना सब कुछ मानते आए हैं। 

2018 में श्रीदेवी की मृत्यु: जब टूट गया दिल

24 फरवरी 2018 को दुबई में श्रीदेवी की अचानक मृत्यु की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया था। लेकिन ओपी मेहरा के लिए यह खबर एक व्यक्तिगत त्रासदी थी। गांव वाले बताते हैं कि जब उन्हें श्रीदेवी के निधन की सूचना मिली, तो वे पूरी तरह टूट गए। उन्होंने पांच दिन तक अन्न-जल तक ग्रहण नहीं किया और एक पति की तरह सभी शोक संस्कार किए। 

पत्नी की मौत के बाद किए सभी रिवाज़

ओपी मेहरा ने श्रीदेवी के अंतिम संस्कार की रस्में भी पूरी कीं। गांव के लोगों के अनुसार, उन्होंने श्रीदेवी की तस्वीर को ही उनका प्रतीक मानकर सभी धार्मिक कर्मकांड किए। इस दौरान 101 कन्याओं को भोजन करवाया गया, जो हिन्दू परंपरा में पुण्य कर्म माना जाता है। यहां तक कि उन्होंने श्रीदेवी की आत्मा की शांति के लिए गांव में हवन और पाठ का आयोजन भी किया।

हर साल मनाई जाती है पुण्यतिथि: गांव का बन गया है रिवाज

श्रीदेवी की मृत्यु के बाद ओपी मेहरा ने एक नया रिवाज शुरू किया। हर साल 24 फरवरी को वे श्रीदेवी की पुण्यतिथि पर गांव में शोक सभा और श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इस दिन पूरा गांव एकत्रित होता है। श्रीदेवी की तस्वीर पर फूलमाला चढ़ाई जाती है, दो मिनट का मौन रखा जाता है, और फिर सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है। 

कन्या भोज: समाज सेवा का संदेश

ओपी मेहरा का मानना है कि श्रीदेवी की याद में कन्या भोज कराना एक पुण्य का काम है। इसलिए हर साल पुण्यतिथि पर वे गांव की सैकड़ों कन्याओं को भोजन करवाते हैं। ग्रामीण कुंजबिहारी चौधरी के मुताबिक, "ओपी मेहरा सिर्फ अपनी भावनाएं ही नहीं जता रहे, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी कायम कर रहे हैं।"

"श्रीदेवी मेरी पत्नी हैं": ओपी मेहरा का दृढ़ विश्वास

ओपी मेहरा आज भी श्रीदेवी को अपनी वैध पत्नी मानते हैं। उनका कहना है कि जिस दिन उन्होंने श्रीदेवी की तस्वीर से शादी की, उसी दिन उन्होंने यह प्रण लिया था कि वे किसी और से विवाह नहीं करेंगे। गांव वालों के अनुसार, ओपी मेहरा अक्सर श्रीदेवी की तस्वीर से बातें करते नजर आते हैं। उनके घर में श्रीदेवी की फोटो एक पूजास्थल की तरह सजी रहती है, जहां वे रोजाना फूल और प्रसाद चढ़ाते हैं।

गांव वालों का सहयोग: एक अनोखी बंधन की मिसाल

ददुनी गांव के लोग ओपी मेहरा के इस समर्पण को पूरे दिल से समर्थन देते हैं। हर साल होने वाली श्रद्धांजलि सभा में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं। ग्रामीण महिलाएं श्रीदेवी की तस्वीर पर माला चढ़ाने के लिए लाइन में खड़ी होती हैं, जबकि पुरुष और बच्चे इस आयोजन को सफल बनाने में मदद करते हैं। यहां तक कि गांव के बुजुर्ग भी इस कार्यक्रम को एक "सामाजिक एकता का प्रतीक" मानते हैं।

समाज की प्रतिक्रिया: प्रेम है या पागलपन?

ओपी मेहरा की इस अटूट श्रद्धा पर समाज के विचार अलग-अलग हैं। कुछ लोग इसे "सच्चे प्रेम" की मिसाल मानते हैं, तो कुछ इसे "अतिशोक्ति" कहते हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. के अनुसार, "यह एक तरह का पैरासोशल रिलेशनशिप है, जहां व्यक्ति किसी सार्वजनिक हस्ती के साथ भावनात्मक जुड़ाव महसूस करता है। हालांकि, ओपी मेहरा का मामला इससे आगे है, क्योंकि उन्होंने इसे अपनी वास्तविक जिंदगी का हिस्सा बना लिया।"

प्रेम की परिभाषा को चुनौती देती एक कहानी

ओपी मेहरा की यह कहानी साबित करती है कि प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। चाहे वह व्यक्ति आपके सामने हो या सिर्फ एक तस्वीर के रूप में, भावनाएं उसे अपना बना लेती हैं। आज जबकि श्रीदेवी इस दुनिया में नहीं हैं, ओपी मेहरा का यह समर्पण उन्हें अमर बनाए हुए है। शायद यही वजह है कि ददुनी गांव हर साल 24 फरवरी को न सिर्फ एक अभिनेत्री को याद करता है, बल्कि एक ऐसे इंसान के जज्बे को सलाम करता है, जिसने प्रेम को नए अर्थ दिए हैं।