मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ मेला: एक भयानक हादसा और त्रासदी की कहानी

महाकुंभ मेला 2025 में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ ने 10 से ज्यादा लोगों की जान ली और कई को अपनों से बिछड़ने का दर्द सहना पड़ा। जानिए इस घटना के कारण और घटनास्थल से जुड़े अनुभव।

मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ मेला: एक भयानक हादसा और त्रासदी की कहानी
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हादसा

महाकुंभ मेला हर बार एक अद्भुत और धार्मिक अनुभव होता है, जहां लाखों लोग आकर पुण्य अर्जित करने के लिए गंगा में स्नान करते हैं। लेकिन इस साल, 144 सालों बाद मौनी अमावस्या के अवसर पर हुआ एक हादसा, इस महान आयोजन पर एक काले धब्बे की तरह छा गया। इस पवित्र दिन में जहां श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ पुण्य की प्राप्ति के लिए जुटे थे, वहीं एक भीषण भगदड़ ने कई जिंदगियों को लील लिया और कई लोगों को अपनों से अलग कर दिया।

मृतकों की संख्या 10 तक पहुँच चुकी है, और यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। विशेष रूप से बुजुर्ग लोग इस हादसे का शिकार बने हैं, जिनकी तलाश में उनके परिजन दिन-रात परेशान हैं। कई लोग तो अब भी लापता हैं, और उनके परिवार वाले उनके बारे में जानकारी पाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। कई माएं अपनी मासूम संतान से बिछड़ चुकी हैं, और वे अपनी चिंता को लेकर फूट-फूट कर रो रही हैं। इस हादसे ने, जो एक समय उत्साह और उल्लास का प्रतीक था, पूरी मेला भूमि को करुण क्रंदन से भर दिया है।

घटना की सच्चाई और दुखभरे पल

प्यारी उम्मीदों के साथ, लोग रात के समय अमृत स्नान का पुण्य अर्जित करने के लिए मेला क्षेत्र की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन अचानक हालात बदल गए। प्रयागराज की उस पवित्र भूमि पर आधी रात के समय भगदड़ मच गई और उसका परिणाम भीषण हुआ। कुछ ही क्षणों में इस भीड़ में अपनों से बिछड़ने का दर्द, बच्चों से बिछड़ी माओं की चीखें, मेला परिसर को गूंज रही थीं। यह सब घटनाएँ किसी के लिए भी अविश्वसनीय थी।

यूपी की एक टीम ने घटनास्थल पर जाकर, उन लोगों से बातचीत की जिन्होंने इस दुर्घटना का सामना किया था, ताकि पता चल सके कि इस दुखद हादसे की असली वजह क्या थी।

भयंकर हादसे के गवाह

मध्य प्रदेश के पन्ना से आए जितेंद्र गोस्वामी ने घटना के बारे में बताया कि रात 1 बजे के करीब एक अनाउंसमेंट हुआ था कि अमृत वर्षा हो रही है और लोग उस समय स्नान करने के लिए जुट गए थे। इस दौरान, कुछ श्रद्धालु यह सोचकर इंतजार कर रहे थे कि वे 3-4 बजे स्नान करेंगे, जब मुख्य शाही स्नान होता। इस दौरान भीड़ काफी बढ़ गई, और आने-जाने का रास्ता एक ही था। ऐसे में, लोग न तो बाहर जा पा रहे थे और न ही अंदर आ पा रहे थे। इस कारण धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई और भगदड़ मच गई।

जितेंद्र ने बताया कि कई माएं अपने बच्चों को खो चुकी थीं। उन्होंने कहा कि एक बच्चा 5 साल का था, दूसरा 8 साल का और एक बच्चा तो 3 साल का था। इन बच्चों की खोज में माएं पूरी तरह से परेशान थीं और उनकी आवाजें इस भगदड़ के बीच गूंज रही थीं।

स्नान के समय में मची भगदड़ का दर्द

छतरपुर से आए एक और प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि रात 1:15 बजे के करीब इतनी बड़ी भीड़ आई कि लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ने लगे थे। इस भीड़ में, कुछ लोग दब गए थे। उन्होंने कहा, “हमने तो परिवार के बाकी लोगों को निकाल लिया, लेकिन मेरी मां इस भीड़ में दब गईं। किसी तरह से निकालने के बाद पता चला कि उनकी सांसें चल रही थीं, लेकिन आधे घंटे बाद पुलिस और एंबुलेंस आई। उस समय वहां कोई पुलिस या सिक्योरिटी नहीं थी।”

रविंद्र प्रताप सिंह, जो यूपी के गोरखपुर से आए थे, ने भी अपनी पत्नी के खोने का दुख साझा किया। उन्होंने बताया कि वह दोनों स्नान करके लौट रहे थे, लेकिन भारी भीड़ के बीच गिर गए। रविंद्र की पत्नी का नाम आशा सिंह था, और वह अभी भी लापता हैं। वह अपनी पत्नी को ढूंढ़ने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल रही थी।

जनता के लिए कोई इंतजाम नहीं?

दिल्ली के प्रीतम नगर से आई नीलम श्रीवास्तव ने भी अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने कहा कि वह भी भगदड़ में गिर गई थीं, लेकिन किसी तरह खुद को संभाल लिया। वह अपने साथियों को खोजने के लिए मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज पहुंची थीं। नीलम ने दुःख जताया कि साधु-संतों और नेताओं के लिए तो हर तरह की व्यवस्थाएँ थीं, लेकिन आम जनता के लिए कुछ भी नहीं था। उनका कहना था कि इस विशाल मेला में सुरक्षा की कमी थी, और श्रद्धालुओं के लिए कोई प्रभावी इंतजाम नहीं किए गए थे।

इस हादसे की वजह क्या थी?

इस भयंकर हादसे के पीछे मुख्य कारण यह था कि अमृत स्नान के समय, मेला क्षेत्र में आने-जाने के रास्ते एक ही थे। भीड़ बढ़ने के साथ स्थिति नियंत्रित नहीं रह पाई और श्रद्धालु आपस में टकरा गए। इस भगदड़ में कई लोग घायल हुए और कुछ अपनी जान गंवा बैठे। इसके अलावा, सुरक्षा और प्रशासन की व्यवस्था भी कमजोर साबित हुई, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

निष्कर्ष: महाकुंभ की सुरक्षा पर सवाल

महाकुंभ मेला भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है, लेकिन इस हादसे ने यह सवाल खड़ा किया है कि इस तरह के आयोजनों में सुरक्षा और व्यवस्था का स्तर क्या है। यह समय है कि प्रशासन और आयोजक भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए उचित कदम उठाएं, ताकि श्रद्धालुओं की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।