धुले में बस न रुकने पर ग्रामीणों का हाईवे पर हंगामा: चक्का जाम, प्रशासन की लापरवाही उजागर! पढ़ें पूरी खबर
धुले के देशशिरवाडे गांव में बस न रुकने के विरोध में ग्रामीणों ने नेशनल हाईवे पर चक्का जाम किया। सरपंच पर बस चढ़ाने की कोशिश से भड़का गुस्सा। जानें पूरी खबर।

- सरपंच पर बस चढ़ाने की कोशिश: धुले के देशशिरवाडे में ड्राइवर की हरकत से ग्रामीणों में आक्रोश।
- हाईवे पर चक्का जाम: बस न रुकने के विरोध में ग्रामीणों ने यात्री बसें रोकीं, मांग सुविधा की।
- प्रशासन का आश्वासन: परिवहन विभाग ने ड्राइवरों पर कार्रवाई और बस रुकवाने का वादा किया।
महाराष्ट्र के धुले जिले के देशशिरवाडे गांव में एक गंभीर घटना ने ग्रामीणों का गुस्सा भड़का दिया। गांव के सरपंच द्वारा यात्री बस को रुकवाने की कोशिश के दौरान बस ड्राइवर ने सरपंच पर बस चढ़ाने का प्रयास किया। इस घटना ने गांव वालों को आक्रोशित कर दिया, जिसके बाद सैकड़ों ग्रामीण और युवा बस स्टैंड पर जमा हो गए। उन्होंने नेशनल हाईवे पर चक्का जाम कर अपना विरोध दर्ज किया। ग्रामीणों की मांग थी कि गांव के बस स्टॉप पर यात्री बसें रुकें, ताकि स्कूली बच्चों और स्थानीय लोगों को सुविधा मिल सके।
चक्का जाम और ग्रामीणों का रोष
प्रदर्शनकारियों ने केवल यात्री बसों को रोककर हाईवे पर जाम लगाया। इस दौरान दोनों ओर बसों की लंबी कतारें लग गईं, लेकिन सरपंच और ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। गांव वालों ने महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम (MSRTC) को ज्ञापन सौंपा, जिसमें बस स्टॉप पर बसें रुकवाने की मांग की गई। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए हैं, फिर भी प्रशासन इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहा।
देशशिरवाडे गांव नेशनल हाईवे पर स्थित है और यहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके बावजूद स्कूली छात्रों और आम लोगों के लिए कोई भी बस रुकने को तैयार नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि दो साल पहले प्रशासन ने सभी बसों को देशशिरवाडे बस स्टॉप पर रुकने का आदेश जारी किया था, लेकिन बस ड्राइवर इस आदेश का पालन नहीं कर रहे।
ग्रामीणों की मदद और प्रशासन की उदासीनता
ग्रामीणों ने बताया कि नेशनल हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में सबसे पहले देशशिरवाडे के लोग ही मदद और बचाव कार्य में जुटते हैं। लेकिन अपनी जायज मांगों के लिए उन्हें हाईवे पर चक्का जाम करना पड़ रहा है, जो प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है। गांव वालों की एकमात्र मांग है कि स्कूली बच्चों और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए बस स्टॉप पर यात्री बसें रुकें।
इस रूट पर नंदुरबार, अक्कलकुवा, नवापुर और नाशिक से सैकड़ों बसें रोजाना गुजरती हैं। प्रशासन ने इन सभी बसों को रुकने का आदेश दिया है, लेकिन ड्राइवरों की मनमानी के कारण आदेश का पालन नहीं हो रहा। इस नाराजगी को लेकर ग्रामीणों ने चक्का जाम का रास्ता अपनाया।
प्रशासन का आश्वासन, आंदोलन स्थगित
लंबे समय तक चले इस आंदोलन के बाद महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों से बात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि कोई ड्राइवर बस नहीं रोकता, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, सभी बसों को बस स्टॉप पर रुकवाने का वादा किया गया। इस आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने चक्का जाम खत्म किया, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो भविष्य में और बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
ग्रामीणों की मांग और भविष्य की चेतावनी
देशशिरवाडे के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मांग सिर्फ सुविधा की है, न कि किसी तरह का विशेषाधिकार। स्कूली बच्चों को स्कूल जाने और स्थानीय लोगों को रोजमर्रा के काम के लिए बसों की जरूरत है। अगर प्रशासन और परिवहन विभाग इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेता, तो गांव वाले बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
प्रशासन के सामने चुनौती
यह घटना प्रशासन के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। अगर सरकारी आदेशों का पालन नहीं हो रहा, तो आम जनता की समस्याओं का समाधान कैसे होगा? देशशिरवाडे जैसे गांव, जो नेशनल हाईवे पर हैं और जहां बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं, वहां भी अगर बसें नहीं रुक रही हैं, तो यह प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है।
तत्काल कार्रवाई की जरूरत
देशशिरवाडे गांव की यह घटना न केवल स्थानीय समस्या को उजागर करती है, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में परिवहन व्यवस्था की खामियों को भी सामने लाती है। ग्रामीणों की मांग जायज है और प्रशासन को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में और बड़े आंदोलन देखने को मिल सकते हैं।