मध्य प्रदेश आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा केस: कोर्ट में गर्मागर्म बहस, रिमांड पर विवाद, और जांच में नए खुलासे

मध्य प्रदेश आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा केस में नई उठापटक। वकील राकेश पराशर ने गिरफ्तारी को अवैध बताया, रिमांड पर विवाद, और जांच में नए खुलासे। पढ़ें पूरी खबर।

मध्य प्रदेश आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा केस: कोर्ट में गर्मागर्म बहस, रिमांड पर विवाद, और जांच में नए खुलासे
आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा

मध्य प्रदेश आरटीओ के कांस्टेबल सौरभ शर्मा के मामले में कोर्ट में आज गर्मागर्म बहस हुई। सौरभ के वकील राकेश पराशर ने गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि सौरभ शर्मा कोर्ट के आदेश पर खुद ही सरेंडर करने आ रहे थे, लेकिन कोर्ट के गेट से ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस की ओर से रिमांड की अर्जी आई, जिसका वकील राकेश पराशर ने जोरदार विरोध किया।

गिरफ्तारी को लेकर विवाद

वकील राकेश पराशर ने कोर्ट में दलील दी कि सौरभ शर्मा की गिरफ्तारी पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने बताया कि सौरभ कोर्ट के आदेश पर खुद ही सरेंडर करने आ रहे थे, लेकिन कोर्ट के गेट से ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस ने रिमांड की अर्जी दाखिल की, जिसका वकील ने पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त पुलिस की हिरासत में सौरभ की जान को खतरा है और रिमांड के दौरान उन्हें टॉर्चर किया जा सकता है।

राकेश पराशर ने आगे कहा कि सौरभ का कस्टडी रिमांड एक साजिश के तहत मांगा जा रहा है। उन्होंने कोर्ट से सौरभ की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की और कहा कि पूरी पूछताछ वीडियो कैमरे के सामने होनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने सौरभ को रोज वकील से मिलने और मेडिकल चेकअप की सुविधा देने की भी मांग की।

कोर्ट का फैसला

वकील की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने सौरभ शर्मा को सात दिन के रिमांड पर भेजने का फैसला किया। हालांकि, कोर्ट ने वकील की सुरक्षा संबंधी मांगों पर कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया। इसके बाद वकील राकेश पराशर ने एक बार फिर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि रिमांड के दौरान सौरभ की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

लोकायुक्त पुलिस का जवाब

वकील की ओर से सुरक्षा को लेकर चिंता जताए जाने के बाद लोकायुक्त डीजी जयदीप प्रसाद ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस की हिरासत में सौरभ को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने बताया कि रिमांड के दौरान सौरभ और उसके सहयोगियों से पूछताछ की जाएगी और यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि उन्होंने कहां-कहां और किस-किस के नाम पर संपत्ति अर्जित की है। हालांकि, उन्होंने पूछताछ के दौरान वीडियोग्राफी कराने से इंकार कर दिया और कहा कि जरूरत पड़ने पर सौरभ को घटना से जुड़े अलग-अलग स्थानों पर भी ले जाया जाएगा।

सौरभ शर्मा पर आरोप

सौरभ शर्मा पर आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। छापेमारी के दौरान उनके ठिकानों से जांच एजेंसियों को अरबों रुपए की संपत्ति और उससे जुड़े दस्तावेज मिले हैं। इसी के साथ, सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह गौर पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। चेतन की गाड़ी में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नगद मिले थे। यह कार चेतन सिंह गौर के नाम पर पंजीकृत है। वहीं, तीसरे आरोपी शरद जायसवाल को सौरभ का सहयोगी बताया जा रहा है। आरोप है कि शरद के जरिए ही सौरभ ने अपनी काली कमाई को ठिकाने लगाया था।

जांच में नए खुलासे

जांच एजेंसियों का कहना है कि सौरभ शर्मा और उनके सहयोगियों ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने आरटीओ के पद का दुरुपयोग करके करोड़ों रुपए की काली कमाई की। जांच में यह भी पता चला है कि सौरभ ने कई जगहों पर प्रॉपर्टी खरीदी है और उन्हें दूसरों के नाम पर रजिस्टर्ड किया है। इसके अलावा, उन पर आरोप है कि उन्होंने कई बैंक खातों का इस्तेमाल करके काले धन को सफेद किया।

आगे की कार्रवाई

अब कोर्ट ने सौरभ शर्मा को सात दिन के रिमांड पर भेज दिया है। इस दौरान पुलिस उनसे और उनके सहयोगियों से पूछताछ करेगी। वहीं, वकील राकेश पराशर ने सौरभ की सुरक्षा को लेकर कोर्ट में गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि रिमांड के दौरान सौरभ को किसी भी प्रकार की हिंसा या टॉर्चर का सामना नहीं करना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कोर्ट से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि पूरी पूछताछ वीडियो कैमरे के सामने हो।

इस मामले में अब आगे की कार्रवाई की जांच एजेंसियों और कोर्ट पर निर्भर करेगी। हालांकि, यह केस अब राज्य में भ्रष्टाचार और काले धन के मामले में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। लोगों की नजर अब कोर्ट और पुलिस की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई है।