जबलपुर के टिमरी गांव में खूनी संघर्ष, दो परिवारों के बीच झड़प में चार की मौत, पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
जबलपुर के पाटन तहसील के टिमरी गांव में दो परिवारों के बीच खूनी संघर्ष में चार लोग मारे गए, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस की कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। पढ़ें पूरी खबर।

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के पाटन तहसील के टिमरी गांव में सोमवार सुबह एक खूनी संघर्ष ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। दो परिवारों के बीच हुई यह हिंसक झड़प चार लोगों की मौत का कारण बनी, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना एक पुरानी रंजिश का परिणाम बताई जा रही है, जो पिछले कुछ महीनों से खेत में जुआ खेलने को लेकर चल रही थी। घटना के बाद गांव में तनावपूर्ण माहौल है और स्थानीय लोगों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उसने पहले की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण यह घटना घटी।
घटना का विवरण
सोमवार सुबह टिमरी गांव में पाठक दुबे और साहू परिवार के बीच विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। दोनों पक्षों के लोग एक-दूसरे से भिड़ गए और लाठी और तलवारों से हमला कर दिया। इस संघर्ष में पाठक परिवार के सतीश पाठक और मनीष पाठक, वहीं दुबे परिवार के अनिकेत दुबे और समीर दुबे की मौत हो गई। वहीं, विपिन दुबे और मुकेश दुबे गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें तत्काल मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है और लोग गुस्से में हैं।
पुरानी रंजिश का परिणाम
सूत्रों के मुताबिक, यह खूनी संघर्ष पुरानी रंजिश का नतीजा है। दोनों परिवारों के बीच खेत में जुआ खेलने को लेकर विवाद चल रहा था, जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए इस हिंसक झड़प का कारण बना। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले भी दोनों पक्षों के बीच कई बार बहस हो चुकी थी, लेकिन पुलिस ने इन मामलों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया, जिससे यह घटना घटित हुई।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
घटना के बाद गांव में आक्रोशित लोगों ने मृतकों के शवों को सड़क पर रखकर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। उनका आरोप था कि पुलिस ने पहले की शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण यह संघर्ष हुआ। मृतक सतीश पाठक के पिता गणेश पाठक ने कहा कि उनके परिवार को पहले से जान का खतरा था, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा प्रदान नहीं की। उन्होंने यह भी बताया कि वह पहले नूनसर पुलिस चौकी में शिकायत करने गए थे, लेकिन महाकाल पुलिस ने उन्हें यह कहकर भगा दिया कि यह मामला पाटन थाना क्षेत्र का है। इसके बाद पाटन पुलिस थाने पहुंचे, तो वहां से भी उन्हें जवाब मिला कि पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है और प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
पाटन विधायक का हस्तक्षेप
घटना की जानकारी मिलने के बाद पाटन के विधायक अजय बिश्नोई भी मौके पर पहुंचे। विधायक ने गांववालों से शांति बनाए रखने की अपील की और समझाया कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और प्रशासन की मदद से घटना में शामिल दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। हालांकि, इस घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर।
गांव में तनावपूर्ण माहौल
घटना के बाद गांव में तनाव का माहौल है और पुलिस की भारी फोर्स मौके पर तैनात की गई है। पाटन के एसडीओपी लोकेश डावर ने बताया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल गांव में भेजा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस के आला अधिकारी लगातार घटना की जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं।
कानून-व्यवस्था पर सवाल
यह घटना एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करती है। जहां एक ओर पुलिस का कहना है कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायतों पर उचित कार्रवाई नहीं की, जिससे यह हिंसक संघर्ष हुआ। गांववालों का कहना है कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण यह घटना घटी और अब वे आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
न्याय की मांग
घटनास्थल पर पहुंचे मृतक के परिवार के सदस्य और स्थानीय लोग लगातार न्याय की मांग कर रहे हैं। मृतक सतीश पाठक के पिता ने कहा कि अगर पुलिस ने समय रहते उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया होता तो यह घटना नहीं होती। अब उनका एक ही सवाल है कि आखिर कब तक इस तरह के अपराध होते रहेंगे और क्यों पुलिस को इस पर सही समय पर कदम नहीं उठाने दिया जाता।
पुलिस की लापरवाही और ग्रामीण सुरक्षा
जबलपुर के पाटन क्षेत्र के टिमरी गांव में हुआ यह खूनी संघर्ष पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाता है। जहां एक ओर विधायक और पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचे हैं, वहीं ग्रामीणों का गुस्सा यह बताता है कि पुलिस ने पहले की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। इस घटना ने यह भी साबित कर दिया कि ग्रामीण इलाकों में पुलिस की लापरवाही और सुरक्षा की कमी से कानून-व्यवस्था की स्थिति हमेशा संकट में रहती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या आरोपियों को सजा मिल पाती है।