बुरहानपुर में आदिवासी संघर्ष: अंतराम अवासे के खिलाफ कोरकु समाज की मांग, प्रशासन से कठोर कार्रवाई की अपील
बुरहानपुर में आदिवासी संघर्ष के बीच अंतराम आवासे और उनके समर्थकों के खिलाफ कोरकु समाज ने प्रशासन से कठोर कार्रवाई की मांग की है। क्षेत्र में बढ़ सकती हैं अवैध वन कटाई और दहशत का माहौल प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। क्या प्रशासन इस पर प्रभावी कदम उठाएगा?

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में अंतराम आवासे पर पिछले वर्ष कलेक्टर द्वारा एक जिला बदर (District Banned) की कार्रवाई की गई थी, जो इलाके में चर्चा का विषय बन गया। इस कार्रवाई के बाद, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कलेक्टर के जिला बदर के आदेश को अवैध ठहराया और राज्य शासन पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया। इस फैसले के बाद, आदिवासी संगठन ने इसे अपनी बड़ी जीत मानते हुए प्रशासन के खिलाफ एक ठोस संदेश के रूप में पेश किया।
यह संघर्ष तब और बढ़ा, जब आदिवासी संगठन के नेता अंतराम आवासे अपने गांव लौटे। यहां उनका स्वागत ढोल नगाड़ों के साथ हुआ, और गांववासियों तथा संगठन के सदस्यों ने हाथों में तीर-कमान लेकर उनका जोरदार स्वागत किया। इस स्वागत के बाद यह घटनाक्रम नया मोड़ लेने लगा, जब दलित आदिवासी संगठन ने प्रशासन और वन विभाग पर वनों की अवैध कटाई करने का आरोप लगाया।
कोरकु आदिवासी समाज का दावा: 200 वर्षों से वनों पर निर्भरता
अब इस मुद्दे ने नया मोड़ लिया है, जब नेपानगर तहसील और आसपास के कोरकु आदिवासी समाज के लोग सामने आए। उन्होंने प्रशासन और कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन सौंपते हुए अपने अस्तित्व और परंपराओं की रक्षा की बात की। ज्ञापन में कहा गया कि कोरकु आदिवासी समाज के लोग पिछले 200 वर्षों से इस क्षेत्र में निवास कर रहे हैं और उनका जीवन वनों से जुड़ा हुआ है। वे तेंदूपत्ता, आंवला और जड़ी-बूटियों से अपना जीवन यापन करते हैं। इस समुदाय की परंपरा है कि विवाह के समय वे आंगन में एक पेड़ लगाकर विवाह करते हैं, जो प्रकृति के प्रति उनके प्रेम और सम्मान का प्रतीक है।
इसके अलावा, इन आदिवासियों ने बताया कि वे वनों पर निर्भर होकर नदी-नालों पर बांध बनाकर जल संग्रहण करते हैं, जिसका उपयोग कृषि कार्यों में किया जाता है। उनका यह भी कहना है कि इस क्षेत्र के 20 से 25 हजार गाय वनों पर निर्भर हैं। कुछ साल पहले क्षेत्र में भारी वन कटाई हुई थी, जिसका विरोध कोरकू आदिवासी समाज ने प्रशासन के साथ मिलकर किया और इसे अतिक्रमण मुक्त किया।
जिला बदर के आदेश का संघर्ष और हाईकोर्ट की टिप्पणी
पिछले साल, कलेक्टर ने अंतराम आवासे के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में उसे 1 वर्ष के लिए जिला बदर कर दिया था। जिला बदर के दौरान, क्षेत्र में अवैध वन कटाई और अन्य अपराधों पर रोक लगाई गई थी, जिससे वनों और शांति व्यवस्था की रक्षा हुई। लेकिन हाल ही में, उच्च न्यायालय ने कलेक्टर के जिला बदर के आदेश को निरस्त कर दिया, जिससे प्रशासन और स्थानीय आदिवासी संगठन के बीच तनाव बढ़ गया।
इसके बाद, अंतराम आवासे के समर्थकों ने ढोल-नगाड़ों के साथ एक रैली निकाली और उनका स्वागत किया। इस रैली के कारण क्षेत्र में फिर से दहशत का माहौल पैदा हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, क्षेत्र के लोगों और कोरकु आदिवासी समाज को खतरा महसूस हो रहा है और कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
समाज की सुरक्षा और अवैध वन कटाई पर चिंता
पिछले साल, बुरहानपुर के कलेक्टर ने अंतराम आवासे और उसके साथियों को आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने और बाहरी जिलों से अपने रिश्तेदारों को बुलाकर वनों की कटाई और दहशत फैलाने के आरोप में 23 जनवरी 2024 को एक साल के लिए जिला बदर का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद, क्षेत्र में अवैध वन कटाई, फसल चोरी, और अन्य अपराधों में कमी आई थी और शांति व्यवस्था बनी रही थी। लेकिन हाल ही में, उच्च न्यायालय ने इस जिला बदर आदेश को रद्द कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप खंडवा, खरगोन, बड़वानी और धार जैसे क्षेत्रों से अवैध अतिक्रमणकारियों ने अंतराम आवासे का ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत किया। इस प्रकार, क्षेत्र में फिर से दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया है, जो कानून व्यवस्था और स्थानीय जनता के लिए खतरे का कारण बन रहा है।
कोरकु आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने प्रशासन से यह मांग की है कि अगर इस रैली के आयोजन के लिए अनुमति नहीं ली गई थी, तो संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही, उनका यह भी कहना है कि क्षेत्र में अवैध वन कटाई और शांति भंग करने वालों के खिलाफ और कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। वे चाहते हैं कि कलेक्टर के जिला बदर आदेश की अवधि बढ़ाई जाए, ताकि क्षेत्र में शांति और वनों का संरक्षण किया जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र में पिछले चार-पाँच वर्षों से अंतराम आवासे और उनके समर्थक प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं। इससे स्थिति और बिगड़ी है। 21 जनवरी 2025 को प्रशासन को धमकाने की घटना ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है।
संगठन की मांग: उच्च स्तरीय जांच और कठोर कार्रवाई
कोरकु आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने शासन और प्रशासन से यह मांग की है कि इस क्षेत्र में अवैध वन कटाई और शांति भंग करने वालों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की जाए। साथ ही, उन अपराधियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि क्षेत्र में शांति और वनों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। उनका कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था या हिंसा को रोका जा सके।
बुरहानपुर के इस संघर्ष ने प्रशासन, अंतराम अवासे और उसके संगठन, आदिवासी कोरकू समाज और वन विभाग के बीच टकराव को और गहरा दिया है। जहां एक ओर आदिवासी कोरकू समाज अपने पारंपरिक अधिकारों और प्रकृति प्रेम को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन का मानना है कि अवैध वन कटाई और आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। परिणाम क्या होगा, यह भविष्य में स्पष्ट होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा। क्षेत्रीय प्रशासन और आदिवासी कोरकू समाज दोनों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है।