बुरहानपुर साइबर सेल की सफलता: ऑनलाइन फ्रॉड के दो मामलों में पीड़ितों को वापस मिले 1.86 लाख रुपए

बुरहानपुर साइबर सेल और थाना कोतवाली पुलिस ने ऑनलाइन धोखाधड़ी के दो मामलों में त्वरित कार्रवाई कर पीड़ितों को ₹80,000 और ₹1,06,000 की राशि वापस दिलाई। जानिए कैसे साइबर क्राइम पोर्टल और हेल्पलाइन 1930 ने बचाई नागरिकों की मेहनत की कमाई।

बुरहानपुर साइबर सेल की सफलता: ऑनलाइन फ्रॉड के दो मामलों में पीड़ितों को वापस मिले 1.86 लाख रुपए
बुरहानपुर में साइबर फ्रॉड के खिलाफ जीत

साइबर सेल और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने बचाई नागरिकों की मेहनत की कमाई  

मध्य प्रदेश: डिजिटल युग में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन बुरहानपुर पुलिस और साइबर सेल की सक्रियता ने नागरिकों के विश्वास को मजबूत किया है। पिछले कुछ दिनों में साइबर अपराधों के दो मामलों में पीड़ितों को उनकी गंवाई हुई रकम वापस मिली है। पहले मामले में साइबर सेल ने ₹80,000 की राशि पीड़ित के खाते में वापस पहुंचाई, जबकि दूसरे मामले में थाना कोतवाली पुलिस ने एक ऑटो चालक के ₹1,06,000 सुरक्षित रिकवर कराए। यह सफलता साइबर हेल्पलाइन 1930 और साइबर क्राइम पोर्टल की कार्यप्रणाली की प्रभावशीलता को रेखांकित करती है।  

केस 1: ऑनलाइन ठगी के शिकार मलीक को मिले ₹80,000 वापस

साइबर क्राइम पोर्टल और बैंक समन्वय ने दिखाया रास्ता

3 फरवरी 2025 को बुरहानपुर साइबर सेल ने एक ऑनलाइन फ्रॉड के मामले में पीड़ित नागरिक को ₹80,000 की राशि वापस दिलाने में सफलता हासिल की। शिकायतकर्ता मलीक (नाम बदला हुआ) ने बताया कि उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन करके निवेश के बहाने ठग लिया। धोखाधड़ी की शिकायत मिलते ही साइबर सेल की टीम ने तत्परता दिखाई और साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) के जरिए संबंधित बैंक खातों को फ्रीज करवाया।  

कैसे हुई रिकवरी?

साइबर सेल प्रभारी डीएसपी प्रीतम सिंह ठाकुर के अनुसार, "पीड़ित के बैंक लेनदेन के डेटा और आईपी एड्रेस की ट्रैकिंग की गई। फ्रॉडर्स द्वारा इस्तेमाल किए गए खातों को पोर्टल के माध्यम से ब्लॉक कर दिया गया। इसके बाद बैंक नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय कर राशि वापस पीड़ित के खाते में ट्रांसफर की गई।"  

अधिकारियों ने दी सलाह:

  • किसी भी अनजान नंबर या लिंक पर विश्वास न करें।  
  • बैंक डिटेल्स शेयर करने से पहले सत्यापन अवश्य करें।  
  • धोखाधड़ी का शिकार होने पर तुरंत 1930 पर कॉल करें या साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराएं।  

केस 2: लोन किस्त के बहाने हुई ठगी, ऑटो चालक इरफान के ₹1,06,000 हुए वापस

थाना कोतवाली पुलिस ने 7 दिन में कराई रकम की वापसी  

दूसरा मामला थाना कोतवाली क्षेत्र का है, जहां एक ऑटो रिक्शा चालक इरफान (नाम बदला हुआ) के साथ लोन किस्त के बहाने ठगी हुई। इरफान को एक अंजान नंबर से फोन आया कि उसकी लोन की किस्त बकाया है और अगर तुरंत भुगतान नहीं किया गया, तो ब्याज बढ़ जाएगा। धोखेबाज ने इरफान को एक ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा, जिसके बाद उसका मोबाइल हैक हो गया और खाते से ₹1,06,000 निकाल लिए गए।  

पुलिस ने ऐसे किया काम:

थाना प्रभारी सीताराम सोलंकी ने बताया, "इरफान के शिकायत करने पर हमने तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज की। साइबर टीम ने ट्रांजैक्शन हिस्ट्री और ऐप की जांच की। पता चला कि हैकर्स ने रिमोट एक्सेस के जरिए पैसे ट्रांसफर किए थे। संबंधित बैंक खातों को फ्रीज करके 7 दिनों में रकम वापस दिलवाई गई।"  

पीड़ित की प्रतिक्रिया:

इरफान ने कहा, "मुझे नहीं लगता था कि पैसे वापस मिलेंगे, लेकिन पुलिस ने मेरी मदद की। अब मैं हर किसी को सलाह दूंगा कि अगर ऐसी घटना हो, तो घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत 1930 पर कॉल करें।"  

साइबर फ्रॉड से बचाव के टिप्स: बुरहानपुर साइबर सेल की गाइडलाइन

  • 1. अनजान लिंक और ऐप्स से रहें दूर: किसी भी लिंक पर क्लिक करने या ऐप डाउनलोड करने से पहले स्रोत की पुष्टि करें।  
  • 2. बैंक डिटेल्स गुप्त रखें: कभी भी ओटीपी, पैन नंबर, या CVV किसी के साथ साझा न करें।  
  • 3. साइबर हेल्पलाइन 1930 याद रखें: शिकायत दर्ज कराने में देरी न करें।  
  • 4. रेगुलर अपडेट करें सॉफ्टवेयर: मोबाइल और बैंकिंग ऐप्स को हमेशा अपडेटेड रखें।  

क्या कहते हैं अधिकारी?

बुरहानपुर के पुलिस अधीक्षक श्री देवेंद्र पाटीदार ने कहा, "साइबर अपराधों से निपटने के लिए हमारी टीम तकनीकी रूप से सशक्त है। हमने पिछले एक साल में 85% मामलों में पीड़ितों को राशि वापस दिलाई है।" 

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री अंतर सिंह कनेश ने जोड़ा, "जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। नागरिक साइबर सेल द्वारा आयोजित वर्कशॉप्स में भाग लें और सुरक्षित रहें।"  

निष्कर्ष: सतर्कता और सहयोग है जरूरी

बुरहानपुर के ये दोनों मामले साबित करते हैं कि साइबर फ्रॉड के खिलाफ लड़ाई में पुलिस-जनता का सहयोग अहम है। जहां साइबर सेल की तकनीकी विशेषज्ञता ने मामलों को सुलझाया, वहीं पीड़ितों की त्वरित शिकायत ने रकम वापसी का रास्ता खोला। आम नागरिकों को चाहिए कि वे साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करें और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें।  

साइबर सुरक्षा है आपकी जिम्मेदारी – सतर्क रहें, सुरक्षित रहें!