बुरहानपुर में कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा: कृषि विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम
बुरहानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र में 1 जनवरी को कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें 152 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने खेती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

बुरहानपुर जिले के ग्राम सांडस कला में 1 जनवरी को कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा एक महत्वपूर्ण कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों और वैज्ञानिकों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान करना और कृषि विकास को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर जिले के 152 किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
यह आयोजन आत्मा कृषि विभाग बुरहानपुर और कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मिलकर आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में उपसंचालक कृषि विभाग श्री एम. एस. देवके, उपसंचालक उद्यानिकी श्री राजू बडवाया, और जन अभियान परिषद से श्रीमती सुप्रिती यादव की उपस्थिति ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इसके अलावा, कृषि एवं उद्यान विभाग के कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी इस परिचर्चा में शामिल हुए और किसानों के सवालों का जवाब दिया।
कार्यक्रम में किसानों और वैज्ञानिकों के बीच चर्चा
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संदीप कुमार ने की, जिन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की परिचर्चाओं का आयोजन किसानों को नई कृषि तकनीकों और उन्नत खेती के तरीकों से परिचित कराने के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से किसानों को न केवल तकनीकी जानकारी मिलती है, बल्कि वे अपने अनुभवों और समस्याओं को वैज्ञानिकों के साथ साझा भी कर सकते हैं।
इस कार्यक्रम में प्रगतिशील कृषक श्री देवेन्द्र शर्मा धाबा ने तरबूज और गेंदा की खेती के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार इन फसलों की खेती से लाभ प्राप्त किया जा सकता है और इसके लिए कौन-कौन सी विशेष तकनीकों का पालन करना चाहिए। साथ ही, उन्होंने इन फसलों की उन्नत किस्मों के बारे में भी बताया, जो किसानों को अधिक उपज और बेहतर मुनाफा दिला सकती हैं।
रबी फसलों में कीट प्रबंधन पर विशेष चर्चा
वहीं, इस कार्यक्रम में विषय वस्तु विशेषज्ञ (पौध संरक्षण) श्री कार्तिकेय सिंह ने रबी फसलों में कीट प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रबी फसलों के दौरान किसानों को किस प्रकार के कीटों और रोगों का सामना करना पड़ सकता है और उनका प्रबंधन कैसे किया जा सकता है। उन्होंने प्राकृतिक और रासायनिक उपायों के बारे में बताया और किसानों को अधिक से अधिक जैविक तरीकों का पालन करने की सलाह दी।
किसान हमेशा अपनी फसल की सुरक्षा के लिए परेशान रहते हैं, इसलिए कीट प्रबंधन और रोग नियंत्रण पर की गई यह चर्चा किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुई। श्री कार्तिकेय सिंह ने यह भी बताया कि रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नियंत्रित मात्रा में करना चाहिए ताकि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर कम से कम असर पड़े।
उर्वरक प्रबंधन और गेंहू फसल बीज उत्पादन
इस परिचर्चा में उर्वरक प्रबंधन पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। किसानों को बताया गया कि उर्वरकों का उचित प्रयोग कैसे किया जाए, ताकि फसलों का बेहतर उत्पादन हो सके और साथ ही मृदा की गुणवत्ता भी बनी रहे। कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने किसानों को उर्वरक चयन और उनका समय पर उपयोग करने के बारे में महत्वपूर्ण सलाह दी।
इसके अलावा, गेंहू फसल के बीज उत्पादन पर भी चर्चा की गई। बीज की गुणवत्ता और सही चयन के महत्व पर बल दिया गया, क्योंकि उच्च गुणवत्ता वाले बीज ही उच्च उत्पादकता सुनिश्चित करते हैं। इसके साथ ही किसानों को गेंहू बीजों के संरक्षण और संचारित करने के विभिन्न तरीकों से भी अवगत कराया गया।
कृषि योजनाओं की जानकारी
कार्यक्रम के दौरान, कृषि विभाग ने किसानों को विभिन्न सरकारी कृषि योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को वित्तीय सहायता और कृषि उन्नति के लिए विभिन्न सुविधाएं प्रदान करना है। किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए जरूरी दस्तावेज और प्रक्रिया के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकर किसानों को यह प्रेरणा मिली कि वे अपनी कृषि गतिविधियों को और भी बेहतर बना सकते हैं और सरकारी सहायता का पूरा लाभ उठा सकते हैं। किसानों को इन योजनाओं के बारे में जागरूक करने से, उनके आर्थिक हालात में सुधार हो सकता है और उनकी कृषि से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी हो सकता है।
समापन
कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा ने यह साबित कर दिया कि किसानों और वैज्ञानिकों के बीच संवाद और जानकारी का आदान-प्रदान कृषि विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रकार के कार्यक्रम किसानों को नई तकनीकों और जानकारी से अवगत कराते हैं, जिससे उनकी कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।
इस आयोजन में किसानों को प्रगतिशील खेती, उर्वरक प्रबंधन, कीट प्रबंधन और कृषि योजनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली, जिसे वे अपनी खेती में प्रभावी रूप से लागू कर सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र और आत्मा कृषि विभाग के इस संयुक्त प्रयास को किसानों ने सराहा और उनके लिए यह कार्यक्रम कृषि के क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर अग्रसर होने का एक अवसर बन गया।
यह कार्यक्रम न केवल किसानों के लिए, बल्कि कृषि क्षेत्र में विकास और उन्नति की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। किसानों को दी गई जानकारी से निश्चित ही उनके कृषि कार्यों में सुधार होगा और वे भविष्य में अधिक उत्पादन और लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
समापन में आभार
कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि जब किसानों और वैज्ञानिकों के बीच सहयोग और संवाद बढ़ता है, तो कृषि क्षेत्र में विकास की दिशा मजबूत होती है।