उज्जैन में माता जी की मूर्ति को कचरा गाड़ी में रखने पर बवाल: प्रशासन पर भड़के लोग

उज्जैन में फोरलेन निर्माण के दौरान माता जी और हनुमान जी की मूर्तियों को कचरा गाड़ी में रखने से लोगों में गुस्सा। नगर निगम की लापरवाही पर क्षेत्रवासियों का विरोध, कलेक्टर ने संभाला मोर्चा।

उज्जैन में माता जी की मूर्ति को कचरा गाड़ी में रखने पर बवाल: प्रशासन पर भड़के लोग
माता जी की मूर्ति को कचरा गाड़ी में रखने पर बवाल

उज्जैन में हाल ही में एक ऐसी घटना हुई जिसने स्थानीय लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भड़का दिया। मामला तब शुरू हुआ जब फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान एक मंदिर रास्ते में आ गया। इस मंदिर में माता जी और हनुमान जी की मूर्तियाँ थीं, जिन्हें नगर निगम के अधिकारियों ने न सिर्फ हटाया, बल्कि कचरा गाड़ी में रख दिया। इस हरकत से क्षेत्रवासियों और हिंदू संगठनों में भारी नाराजगी फैल गई। आइए, इस घटना को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या था।

क्या है पूरा मामला?

उज्जैन के कोठी रोड प्रशासनिक भवन से विक्रम नगर तक जाने वाले मार्ग पर फोरलेन सड़क का निर्माण चल रहा है। इस मार्ग पर तेजाजी महाराज और माता जी का एक पुराना मंदिर स्थित था, जो निर्माण कार्य में बाधा बन रहा था। मंदिर को हटाना जरूरी था, लेकिन इसके लिए कोई सम्मानजनक तरीका अपनाने की बजाय नगर निगम ने रातों-रात जेसीबी चलाकर मंदिर को तोड़ दिया। मंदिर में रखी माता जी की दो मूर्तियों और हनुमान जी की एक मूर्ति को हटाकर कचरा गाड़ी में डाल दिया गया। यह देखते ही स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।

क्षेत्रवासियों का कहना है कि ये मूर्तियाँ उनकी आस्था का प्रतीक थीं। वे इन्हें रोज पूजते थे, लेकिन नगर निगम ने उनकी भावनाओं की परवाह किए बिना इन्हें अपमानजनक तरीके से कचरा गाड़ी में रख दिया। लोगों ने सवाल उठाया कि क्या प्रशासन को इतना भी ख्याल नहीं था कि धार्मिक मूर्तियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए?

लोगों का गुस्सा और विरोध

जैसे ही लोगों ने देखा कि माता जी और हनुमान जी की मूर्तियों को कचरा गाड़ी में रखा जा रहा है, उन्होंने तुरंत इसका विरोध शुरू कर दिया। क्षेत्रवासियों ने जमकर हंगामा मचाया और नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी की। मौके पर भीड़ जमा हो गई और स्थिति बेकाबू होने लगी। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया और इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया। विहिप के महामंत्री अंकित चौबे ने कहा, "हमने पहले ही प्रशासन को बता दिया था कि मूर्तियों को किसी सुरक्षित जगह पर स्थापित करने के बाद ही मंदिर हटाया जाए। लेकिन नगर निगम ने हमारी बात को अनसुना कर दिया और यह शर्मनाक कदम उठाया।"

विरोध बढ़ता देख विहिप ने नगर निगम आयुक्त और इंजीनियर के खिलाफ माधव नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। लोगों ने मांग की कि मूर्तियों को जल्द से जल्द सम्मान के साथ किसी सुरक्षित स्थान पर प्राण प्रतिष्ठित किया जाए।

कलेक्टर ने संभाला मोर्चा

जब मामला तूल पकड़ने लगा और बवाल बढ़ गया, तो जिला कलेक्टर को हस्तक्षेप करना पड़ा। कलेक्टर ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला। उन्होंने मूर्तियों को कचरा गाड़ी से निकालकर मंदिर के पास सुरक्षित जगह पर रखवाया और लोगों को आश्वासन दिया कि इन मूर्तियों को जल्द ही उचित स्थान पर स्थापित किया जाएगा। कलेक्टर की इस पहल से भीड़ शांत हुई, लेकिन लोगों का गुस्सा अभी भी ठंडा नहीं हुआ है।

नगर निगम की सफाई और माफी

नगर निगम के अधिकारियों ने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा कि फोरलेन निर्माण के लिए मंदिर को हटाना जरूरी था। उनका दावा है कि मूर्तियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा था, लेकिन कचरा गाड़ी का इस्तेमाल करना उनकी गलती थी। अधिकारियों ने इसके लिए माफी मांगी, लेकिन लोगों का कहना है कि यह माफी उनकी आहत भावनाओं को ठीक नहीं कर सकती।

लोगों की मांग और भावनाएँ

क्षेत्रवासियों का कहना है कि जिन मूर्तियों को वे भगवान की तरह पूजते थे, उन्हें पहले कचरा गाड़ी में डाला गया और फिर मंदिर के बाहर सड़क पर छोड़ दिया गया। एक स्थानीय निवासी ने भावुक होते हुए कहा, "हमारी आस्था को इस तरह ठेस पहुँचाना गलत है। प्रशासन को चाहिए कि इन मूर्तियों को जल्द से जल्द किसी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित करवाए।" लोगों का यह भी आरोप है कि नगर निगम ने पहले से कोई योजना नहीं बनाई और बिना सोचे-समझे यह कदम उठा लिया।

विश्व हिंदू परिषद का रुख

विहिप के अंकित चौबे ने साफ कहा कि प्रशासन को पहले मूर्तियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी। उन्होंने बताया, "हमने फोरलेन निर्माण में कोई अड़चन नहीं डाली, बस इतना चाहा कि हमारी आस्था का सम्मान हो। लेकिन मूर्तियों को कचरा गाड़ी में डालकर नगर निगम ने हमारी भावनाओं को कुचल दिया।" संगठन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन की लापरवाही का नतीजा

यह घटना न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि लोगों की धार्मिक भावनाओं के प्रति कितनी असंवेदनशीलता बरती गई। मूर्तियों को कचरा गाड़ी में रखना न केवल अपमानजनक था, बल्कि यह स्थानीय लोगों के विश्वास को चोट पहुँचाने वाला कदम था। प्रशासन को भविष्य में ऐसी गलतियाँ न दोहराने के लिए पहले से योजना बनानी चाहिए और लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

फिलहाल, कलेक्टर के हस्तक्षेप से मामला शांत हो गया है, लेकिन लोगों में अभी भी नाराजगी बाकी है। उम्मीद है कि मूर्तियों को जल्द ही सम्मानजनक स्थान मिलेगा और यह विवाद पूरी तरह खत्म होगा।