मां शिप्रा की स्थिति पर नाराज हुए साधु संत, गंदे पानी और नालों की वजह से उठाया उग्र आंदोलन का कदम
मां शिप्रा की सफाई को लेकर प्रशासन की नाकामी पर साधु संतों का गुस्सा, गंदे पानी और नालों का बहाव, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में मां शिप्रा के पानी की स्थिति को लेकर हाल ही में एक बड़ी घटना सामने आई। प्रशासन के सफाई के दावों के बावजूद साधु संतों ने शिप्रा नदी का निरीक्षण किया और उसकी दुर्दशा देख आक्रोश व्यक्त किया। ऋणमुक्तेश्वर घाट पर नदी के पानी को आचमन योग्य भी नहीं पाया गया, और पूरे इलाके में गंदगी और कचरे के ढेर लगे हुए थे। ये हालात केवल ऋणमुक्तेश्वर घाट तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि शिप्रा नदी के अन्य घाटों पर भी नालों और गंदगी की भरमार थी। इस स्थिति को देखकर साधु संतों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए चेतावनी दी कि अगर अब भी प्रशासन ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
मां शिप्रा की सफाई के दावे और वास्तविकता में अंतर
मां शिप्रा को लेकर प्रशासन के तमाम दावे सामने आते हैं, जिसमें यह कहा जाता है कि नदी को साफ और स्वच्छ किया गया है। लेकिन जब साधु संतों ने नदी का निरीक्षण किया, तो उनके सामने एक बिल्कुल अलग तस्वीर आई। ऋणमुक्तेश्वर घाट पर पानी इतना गंदा था कि उसे पीने के लिए भी उपयोग नहीं किया जा सकता था, और पूरी नदी कचरे से भरी हुई थी। यही नहीं, कई अन्य घाटों पर भी नालों का पानी मिल रहा था, जिसके कारण शिप्रा का पानी दूषित हो चुका था।
साधु संतों का कहना है कि प्रशासन को यह सब देखकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने प्रशासन से सवाल किया कि सिंहस्थ महाकुंभ आने में सिर्फ ढाई साल का समय बचा है, और इस स्थिति में मां शिप्रा के जल का क्या हाल होगा, यह सोचने वाली बात है।
प्रशासन की नाकामी पर साधु संतों का गुस्सा
स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दास महाराज ने कहा, "प्रशासन सिंहस्थ की तैयारी की बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन जिस मुख्य बिंदु यानी मां शिप्रा के जल से स्नान की बात है, उसे नजरअंदाज किया जा रहा है।" उन्होंने बताया कि शिप्रा नदी के विभिन्न हिस्सों में खुले तौर पर नाले मिल रहे हैं, जिनकी वजह से नदी का पानी पूरी तरह से काला पड़ चुका है। सड़ांध से वातावरण भी खराब हो गया है। रामेश्वर दास महाराज ने यह भी कहा कि प्रशासन को यह सब पता ही नहीं है कि शिप्रा नदी में खुलेआम नाले मिल रहे हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि पीएचई विभाग क्या कर रहा है, जो इन नालों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है।
कचरे से घिरी मां शिप्रा: महावीर नाथ की चिंता
ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर के पीर योगी महंत महावीर नाथ ने भी शिप्रा नदी की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि हर दिन वह नदी के घाटों को साफ करने का प्रयास करते हैं, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण नदी की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। महावीर नाथ ने कहा, "ऋणमुक्तेश्वर घाट पर हर रोज कचरा फैला हुआ है, और मैं हर दिन इसे साफ करने की कोशिश करता हूं। लेकिन प्रशासन की उपेक्षा से यह स्थिति और भी खराब होती जा रही है।"
महावीर नाथ ने प्रशासन से यह अपील की कि वे जल्दी से जल्दी शिप्रा नदी की सफाई पर ध्यान दें, ताकि सिंहस्थ महाकुंभ के समय पानी की स्थिति ठीक हो और श्रद्धालु बिना किसी समस्या के स्नान कर सकें।
साधु संतों का गुस्सा और उग्र आंदोलन की चेतावनी
साधु संतों ने जब शिप्रा नदी की स्थिति का निरीक्षण किया, तो उनकी नाराजगी साफ नजर आई। वे ऋणमुक्तेश्वर घाट तक पहुंचे और वहां पानी में उतरकर प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर इस स्थिति को तुरंत सुधारा नहीं गया, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। साधु संतों ने कहा कि वे केवल नदियों की सफाई की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि मां शिप्रा को निर्मल और प्रवाहमान बनाने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
साधु संतों का कहना था कि शिप्रा नदी की स्थिति सुधारने के लिए अगर प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो वे अगले कुछ महीनों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। उनका यह विरोध केवल मां शिप्रा की सफाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासन की नाकामी के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन का रूप ले सकता है।
सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारी और शिप्रा नदी की स्थिति
सिंहस्थ महाकुंभ, जो ढाई साल बाद आयोजित होने जा रहा है, मां शिप्रा के जल से स्नान की परंपरा का हिस्सा है। इस आयोजन के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं और वे मां शिप्रा के पवित्र जल में स्नान करने के लिए आते हैं। ऐसे में शिप्रा नदी की सफाई और स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। प्रशासन को इस बात का ध्यान रखना होगा कि नदी की सफाई में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
रामेश्वर दास महाराज और महावीर नाथ जैसे साधु संतों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर शिप्रा नदी की सफाई में जल्द सुधार नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। यह आंदोलन प्रशासन के खिलाफ न केवल शिप्रा नदी की सफाई की मांग करेगा, बल्कि यह पर्यावरण की रक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
शिप्रा नदी की सफाई के लिए प्रशासन को उठाने होंगे तत्काल कदम
मां शिप्रा की स्थिति उज्जैन के लोगों और श्रद्धालुओं के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। प्रशासन को अब सख्त कदम उठाने होंगे ताकि शिप्रा नदी की सफाई सुनिश्चित हो सके। साधु संतों का आंदोलन इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अगर प्रशासन समय रहते नहीं चेता, तो यह मुद्दा और भी गहरा सकता है। शिप्रा नदी को उसके प्राकृतिक रूप में लौटाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा, ताकि आने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में श्रद्धालु बिना किसी समस्या के स्नान कर सकें।