MP Outsource Karmchari: प्रदर्शन तेज 8 सूत्रीय मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

MP Outsource Karmchari: आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों ने ग्वालियर सहित सभी जिलों में प्रदर्शन कर 8 सूत्रीय मांगों के साथ मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। नियमितीकरण, वेतन वृद्धि और अवकाश की मांगें प्रमुख।

MP Outsource Karmchari: प्रदर्शन तेज 8 सूत्रीय मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन
8 सूत्रीय मांगों को लेकर आउटसोर्स कर्मचारी का ज्ञापन

MP Outsource Karmchari: मध्यप्रदेश में आउटसोर्सिंग व्यवस्था के खिलाफ स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है। ग्वालियर सहित प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर बुधवार को मध्यप्रदेश संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले प्रदर्शन हुए और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे गए। ग्वालियर में कलेक्ट्रेट के बाहर हुए इस प्रदर्शन में कर्मचारियों ने अपनी 8 सूत्रीय मांगों को जोर-शोर से उठाया। कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगों पर ध्यान न दिया गया तो जल्द ही पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

आउटसोर्स कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी समस्याओं का समाधान तत्काल किया जाए। उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  1. नियमितीकरण और संविदा में समायोजन: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत पूर्व में सेवाएं दे चुके सपोर्ट स्टाफ को विभाग में रिक्त पदों पर नियमित किया जाए या NHM के तहत संविदा में शामिल किया जाए।
  2. आउटसोर्स कर्मचारियों का विभाग में समायोजन: विभिन्न पदों पर कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर नियमित किया जाए।
  3. संविदा नीति का पूर्ण लाभ: सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी संविदा नीति 2018 और 2023 के अनुसार महंगाई भत्ता सहित सभी लाभ दिए जाएं।
  4. वेतन वृद्धि: तीन साल से लगातार सेवाएं दे रहे आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन नियमों में बदलाव कर वेतन बढ़ाया जाए।
  5. महिला कर्मचारियों के लिए अवकाश: आउटसोर्स महिला कर्मचारियों को 6 माह का प्रसूति अवकाश, 15 दिन का मेडिकल अवकाश, 15 दिन का अर्जित अवकाश (EL), और आकस्मिक अवकाश दिया जाए।
  6. समान कार्य, समान वेतन: सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार आउटसोर्स कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
  7. निष्कासित कर्मचारियों की बहाली: बिना जांच के निष्कासित किए गए कर्मचारियों को वापस लिया जाए।
  8. निष्पक्ष जांच की मांग: भविष्य में बिना जांच के किसी भी आउटसोर्स कर्मचारी को सेवा से हटाया न जाए।

कर्मचारियों का दर्द: सौतेला व्यवहार और अनदेखी

मध्यप्रदेश संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने कहा, "आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। हमारी मांगों को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। यही वजह है कि हमें सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है।" उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

प्रदेश महामंत्री रणवीर सिकरवार ने भी कर्मचारियों की पीड़ा को बयां करते हुए कहा, "हम दिन-रात मेहनत कर स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रखते हैं, लेकिन बदले में हमें न तो उचित वेतन मिलता है और न ही सम्मान। हमारी मांगें जायज हैं, और इन्हें पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी है।"

आंदोलन की चेतावनी: क्या होगा अगला कदम?

ग्वालियर में हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आउटसोर्स कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। कलेक्ट्रेट के बाहर नारेबाजी और ज्ञापन सौंपने के बाद कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि यह केवल शुरुआत है। यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे पूरे मध्यप्रदेश में एकजुट होकर बड़े आंदोलन की रणनीति बनाएंगे।

आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति

मध्यप्रदेश में हजारों आउटसोर्स कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग सहित विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत हैं। ये कर्मचारी न्यूनतम वेतन पर लंबे समय तक काम करते हैं, लेकिन उन्हें न तो नियमित कर्मचारियों जैसे लाभ मिलते हैं और न ही उचित कार्यस्थल सुरक्षा। उनकी मांगें लंबे समय से लंबित हैं, जिसके चलते कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

सरकार की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार

फिलहाल, सरकार की ओर से इस प्रदर्शन और कर्मचारियों की मांगों पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। कर्मचारी संगठन ने स्पष्ट किया है कि वे अपनी मांगों को लेकर पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन को और तेज करेंगे।

कर्मचारियों की मांगों पर सरकार का अगला कदम

मध्यप्रदेश में आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों का यह आंदोलन एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा करता है। ये कर्मचारी न केवल बेहतर वेतन और कार्यस्थल सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, बल्कि अपने सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए भी लड़ रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और कर्मचारियों की मांगों का समाधान कब तक हो पाता है।