महाशिवरात्रि 2025: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में 10 दिनों तक होगा भव्य उत्सव, जानें श्रृंगार और पूजन का विशेष कार्यक्रम

इस साल महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में महाशिवरात्रि पर्व 10 दिनों तक मनाया जाएगा। जानिए 17 से 26 फरवरी तक बाबा महाकाल के विशेष श्रृंगार, पूजा विधि, और आयोजन की पूरी जानकारी।

महाशिवरात्रि 2025: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में 10 दिनों तक होगा भव्य उत्सव, जानें श्रृंगार और पूजन का विशेष कार्यक्रम
उज्जैन, महाशिवरात्रि 2025

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर इस वर्ष महाशिवरात्रि पर्व को लेकर अद्वितीय तैयारियों में जुटा है। पारंपरिक रूप से 9 दिनों तक मनाए जाने वाले इस उत्सव को इस बार 10 दिनों तक मनाया जाएगा। इसकी वजह है फाल्गुन कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का दो दिनों (19 और 20 फरवरी) तक रहना। इस दुर्लभ खगोलीय घटना के कारण शिव नवरात्रि का आयोजन 17 फरवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा, जिसमें भगवान महाकाल हर दिन एक नए स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे।  

क्यों खास है इस बार का पर्व?  

महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित महेश शर्मा के अनुसार, "शिव नवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्ण पंचमी से त्रयोदशी तक चलता है। इस वर्ष सप्तमी तिथि दो दिनों तक होने से पर्व की अवधि बढ़कर 10 दिन हो गई है।" यह संयोग 12 वर्षों बाद बना है, जिससे उत्सव की भव्यता और अधिक बढ़ गई है। मंदिर प्रशासन ने रंगाई-पुताई, गर्भगृह की सफाई, और रजत दरवाजों की चमक बढ़ाने जैसे कार्य पहले ही पूरे कर लिए हैं।  

10 दिनों का विस्तृत कार्यक्रम: भक्तों को मिलेंगे बाबा के दस स्वरूप  

1. प्रथम दिन (17 फरवरी): चंदन श्रृंगार

शिव नवरात्रि की शुरुआत फाल्गुन कृष्ण पंचमी (17 फरवरी) को सुबह 8 बजे कोटि तीर्थ स्थित कोटेश्वर महादेव के अभिषेक से होगी। इसके बाद 9:30 बजे गर्भगृह में बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। दिन भर रुद्र पाठ और भोग आरती के बाद संध्या पूजा के समय भगवान को चंदन से सजाया जाएगा।  

2. द्वितीय दिन (18 फरवरी): वस्त्र धारण

इस दिन बाबा महाकाल को विशेष वस्त्र पहनाए जाएंगे। श्रद्धालु इस दिन भगवान के राजसी वस्त्रों और मुकुट के दर्शन कर सकेंगे।  

3. तृतीय दिन (19 फरवरी): शेषनाग अवतार

फाल्गुन कृष्ण सप्तमी के पहले दिन बाबा को शेषनाग के रूप में सजाया जाएगा। इस श्रृंगार में नागदेव की प्रतिमा भगवान के गले और हाथों में स्थापित की जाती है।  

4. चतुर्थ दिन (20 फरवरी): घटाटोप स्वरूप

इस दिन भगवान का श्रृंगार एकांतिक ध्यान की मुद्रा में किया जाता है। घटाटोप स्वरूप में बाबा के सिर पर घड़ा रखा जाता है, जो जल तत्व का प्रतीक है।  

5. पंचम दिन (21 फरवरी): छबीना श्रृंगार

इस दिन बाबा को एक राजकुमार के समान सजाया जाता है। सोने-चांदी के आभूषण और रेशमी वस्त्रों से उनका श्रृंगार होगा।  

6. षष्ठम दिन (22 फरवरी): होल्कर परंपरा

महाकाल के इस स्वरूप को होल्कर राजवंश की परंपराओं के अनुसार सजाया जाता है। इसमें ऐतिहासिक वस्त्र और शस्त्रों का उपयोग किया जाता है।  

7. सप्तम दिन (23 फरवरी): मनमहेश रूप

इस दिन बाबा को मनमोहक स्वरूप में सजाया जाएगा। इस श्रृंगार में फूलों की मालाएं और रत्नजड़ित मुकुट चढ़ाए जाते हैं।  

8. अष्टम दिन (24 फरवरी): उमा-महेश दर्शन

भगवान शिव और माता पार्वती का संयुक्त स्वरूप इस दिन दिखाई देगा। बाबा महाकाल को पार्वती जी की प्रतिमा के साथ सजाया जाएगा।  

9. नवम दिन (25 फरवरी): तांडव नृत्य

इस दिन भगवान को तांडव मुद्रा में प्रस्तुत किया जाएगा। यह श्रृंगार उनके संहारक स्वरूप को दर्शाता है।  

10. दशम दिन (26 फरवरी): निराकार दुल्हा

महाशिवरात्रि के अंतिम दिन बाबा को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। इस दिन मंदिर में कई क्विंटल फूलों से सेहरा बनाया जाता है।  

श्रृंगार सामग्री की व्यवस्था: दान और समिति का सहयोग  

महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल के अनुसार, "भक्तों द्वारा दान की गई रजत मुकुट, मुंडमाला, और वस्त्रों का उपयोग श्रृंगार में किया जाता है। समिति इन्हें पहले से संग्रहित करती है।" इसके अलावा, मंदिर प्रबंधन फूल, चंदन, और अगरबत्तियों का खर्च स्वयं वहन करती है।  

तैयारियों में जुटा मंदिर प्रशासन  

  • सफाई और सजावट: गर्भगृह की दीवारों और रजत दरवाजों की विशेष सफाई की गई है।  
  • सुरक्षा व्यवस्था: भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए हैं।  
  • लाइव प्रसारण: मंदिर की वेबसाइट और सोशल मीडिया पर पूजा का सीधा प्रसारण किया जाएगा।  

क्यों महत्वपूर्ण है उज्जैन में महाशिवरात्रि?  

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उज्जैन में माता सती का हृदय गिरा था, जिससे यह स्थान शक्ति पीठ और शिव तीर्थ दोनों का केंद्र बन गया। महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती और इस पर्व पर किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान इसे अद्वितीय बनाते हैं।  

भक्तों के लिए जरूरी जानकारी  

  • समय: सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन।  
  • विशेष पास: ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से त्वरित दर्शन के टिकट उपलब्ध हैं।  
  • यातायात: नजदीकी रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से मंदिर तक निःशुल्क शटल सेवा।  

इस 10 दिवसीय उत्सव में शामिल होकर भक्त बाबा महाकाल के दिव्य स्वरूपों के साक्षी बन सकते हैं। मंदिर प्रशासन का संदेश है: "आइए, इस पावन अवसर पर सनातन परंपरा की महिमा में सहभागी बनें।"