बाबा महाकाल के अद्भुत पंचमुखारविंद दर्शन – उज्जैन में एक बार होते हैं ऐसे दिव्य दर्शन

उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिव नवरात्रि के अंतिम दिन भक्तों को बाबा महाकाल के पांच अद्भुत स्वरूपों में दर्शन का दुर्लभ अवसर मिलता है। जानें, क्या है पंचमुखारविंद दर्शन और उनके महत्व के बारे में।

बाबा महाकाल के अद्भुत पंचमुखारविंद दर्शन – उज्जैन में एक बार होते हैं ऐसे दिव्य दर्शन
महाकाल

हर वर्ष की तरह इस बार भी मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल के दर्शन एक विशेष रूप में हुए। शिव नवरात्रि के अंतिम दिन फाल्गुन शुक्ल द्वितीया पर भक्तों को बाबा महाकाल के पाँच स्वरूपों के दर्शन का अत्यंत दुर्लभ अवसर प्राप्त हुआ। यह दर्शन एक साथ पांच स्वरूपों में होते हैं और इन्हें "पंचमुखारविंद दर्शन" कहा जाता है। ऐसे अद्भुत दर्शन साल में केवल एक बार, खासतौर पर इस दिन ही होते हैं। इस अवसर पर, भक्तों को महाकाल के छबीना, मनमहेश, उमा-महेश, होलकर और शिव तांडव रूपों में दर्शन होते हैं।

महाकाल मंदिर में प्रतिवर्ष होता है विशेष पंचमुखारविंद दर्शन

श्री महाकालेश्वर मंदिर, जो कि भारत के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में एक है, में प्रतिवर्ष शिव नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का आयोजन फाल्गुन कृष्ण पंचमी से लेकर फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी महाशिवरात्रि तक नौ दिनों तक होता है। इस दौरान मंदिर में बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिससे भक्तों को बाबा के विभिन्न रूपों के दर्शन का मौका मिलता है।

मंदिर के पुजारी पं. महेश शर्मा के अनुसार, भगवान शिव को पंचानन कहा जाता है, क्योंकि वे पांच स्वरूपों में सृष्टि का कल्याण करते हैं। और यह वही समय होता है, जब फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान महाकाल अपने भक्तों को एक साथ पांच स्वरूपों में दर्शन देते हैं। महाकाल के इन पांच रूपों के दर्शन को "पंचमुखारविंद दर्शन" कहा जाता है, जो केवल साल में एक ही बार होते हैं। यह वो दिन है, जब भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया था।

पंचमुखारविंद दर्शन का महत्व

महाकाल के पंचमुखारविंद दर्शन का विशेष महत्व है। मंदिर के सहायक प्रशासक, मूलचंद जूनवाल ने बताया कि इस दिन महाकाल के पांच रूपों का श्रृंगार संध्या पूजा के बाद किया जाता है। इसके बाद, भक्तों को शयन आरती तक इन पांच रूपों के दर्शन होते हैं। इन रूपों में बाबा महाकाल का छबीना रूप, मनमहेश रूप, उमा-महेश रूप, होलकर रूप और शिव तांडव रूप शामिल हैं।

इस दिन को लेकर मान्यता है कि जो श्रद्धालु शिव नवरात्रि के दौरान महाकाल के दर्शन नहीं कर पाते हैं, वे यदि पंचमुखारविंद दर्शन कर लेते हैं तो उन्हें पूरी शिव नवरात्रि के पुण्य का फल प्राप्त हो जाता है। इसका कारण यह है कि यह दिन भगवान शिव के पांच रूपों के दर्शन का दिन होता है और इन रूपों के दर्शन से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

महाकाल के पाँच स्वरूपों के दर्शन

बाबा महाकाल के जिन पाँच स्वरूपों के दर्शन इस दिन होते हैं, उनका महत्व भी बहुत अधिक है:

  1. छबीना रूप: यह रूप भगवान शिव के सबसे प्रिय रूपों में से एक है, जो भक्तों को अपनी मोहक छवि और सौम्यता से आकर्षित करता है।
  2. मनमहेश रूप: इस रूप में महाकाल अपने आदर्श और सबसे महान रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। यह रूप विशेष रूप से भक्तों की आत्मा को शांति और सुख प्रदान करता है।
  3. उमा-महेश रूप: इस रूप में भगवान शिव अपनी पत्नी उमा (देवी पार्वती) के साथ होते हैं। यह रूप भक्तों को संयम और परिश्रम की शिक्षा देता है।
  4. होलकर रूप: इस रूप में महाकाल ने मालवा क्षेत्र की होलकर राजवंश को आशीर्वाद दिया था। इस रूप के दर्शन से विशेष रूप से साम्राज्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  5. शिव तांडव रूप: इस रूप में भगवान शिव अपने तांडव नृत्य के रूप में प्रकट होते हैं, जो संहार और पुनर्निर्माण का प्रतीक है। यह रूप भक्तों को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

क्यों खास हैं पंचमुखारविंद दर्शन?

यह विशेष अवसर केवल एक दिन ही आता है, जब बाबा महाकाल के पाँच स्वरूप एक साथ भक्तों के सामने प्रकट होते हैं। यही कारण है कि इस दिन को लेकर श्रद्धालु बहुत उत्साहित रहते हैं और बड़ी संख्या में मंदिर में आते हैं। इस दिन के दर्शन से न केवल भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा में एक नई दिशा मिलती है, बल्कि उन्हें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

पुजारी पं. महेश शर्मा ने बताया कि इस दिन, विशेष रूप से मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। बाबा महाकाल के दर्शन से हर भक्त को उनके जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और वे अपने जीवन में शांति और समृद्धि का अनुभव करते हैं।

पंचमुखारविंद दर्शन: एक अनमोल अवसर

पंचमुखारविंद दर्शन एक अत्यधिक पवित्र और अद्भुत अनुभव है, जिसे हर श्रद्धालु को कम से कम एक बार अपने जीवन में जरूर अनुभव करना चाहिए। यह अवसर केवल एक बार साल में आता है और इस दिन के दर्शन से भक्तों को महाकाल के पाँच स्वरूपों के दर्शन का पुण्य लाभ मिलता है। अगर आप भी बाबा महाकाल के भक्त हैं, तो इस दिन का महत्व और इस अवसर के साथ जुड़े अनुभवों को जरूर समझें और इसका लाभ उठाएं।