बाबा बागेश्वर का बड़ा बयान: छतरपुर स्टेशन का नाम बदलने पर क्या कहा, देखें वीडियो
बाबा बागेश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने छतरपुर स्टेशन का नाम बागेश्वर धाम रखने के लिए रेलवे विभाग को एक साल पहले पत्र भेजा था। जानिए उनके इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी है उन्होंने।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के मामले में बाबा बागेश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक अहम बयान दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने एक साल पहले ही रेलवे विभाग को पत्र भेजकर स्टेशन का नाम बागेश्वर धाम करने की मांग की थी। उनका यह बयान तब सामने आया जब हाल ही में बागेश्वर धाम के पास स्थित 'दुरियां गंज' नामक स्टेशन के नाम को बदलकर 'दरिया गंज' रखने के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस विवाद में बाबा बागेश्वर ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा कि यह स्टेशन उन श्रद्धालुओं के लिए है जो बागेश्वर धाम दर्शन के लिए आते हैं।
बाबा बागेश्वर ने कहा, "यहां आने वाले अधिकतर श्रद्धालु बागेश्वर धाम के दर्शन करने के लिए ही रुकते हैं। ऐसे में इस स्टेशन का नाम बागेश्वर धाम के नाम पर होना चाहिए, ताकि धाम की महिमा को पूरी दुनिया में फैलाया जा सके।" उनके इस बयान ने स्थानीय समुदाय और रेल विभाग के बीच नई बहस को जन्म दिया है।
पत्र भेजने का घटनाक्रम
बाबा बागेश्वर ने यह भी बताया कि उन्होंने एक साल पहले रेलवे विभाग को पत्र भेजकर स्टेशन का नाम बदलने की मांग की थी। उनका मानना है कि बागेश्वर धाम के नाम से स्टेशन को जोड़ने से न केवल इस धार्मिक स्थल की पहचान बढ़ेगी, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए भी यह एक उपयुक्त नाम होगा।
बागेश्वर धाम, जो छतरपुर जिले में स्थित है, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां लाखों श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं। बाबा बागेश्वर का यह कहना है कि यह स्थान उन लोगों के लिए एक श्रद्धा का केंद्र बन चुका है, जो यहां धार्मिक अनुष्ठान और पूजा के लिए आते हैं। उनके अनुसार, यदि रेलवे स्टेशन का नाम बागेश्वर धाम के नाम पर रखा जाता है तो यह नाम केवल इस स्थान के महत्व को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि यह दुनिया भर में बागेश्वर धाम की पहचान को भी बढ़ावा देगा।
विरोध प्रदर्शन
दूसरी ओर, पिछले कुछ दिनों से छतरपुर जिले के कुछ ग्रामीणों ने बागेश्वर धाम के पास स्थित दुरियां गंज स्टेशन के नाम को 'दरिया गंज' रखने के फैसले का विरोध किया था। उनका कहना था कि इस नाम परिवर्तन से स्थानीय लोगों की पहचान और संस्कृति को नुकसान हो सकता है। इस विरोध प्रदर्शन के चलते यह मुद्दा क्षेत्रीय राजनीति और सामुदायिक पहचान के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बन गया है।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब तक इस नाम परिवर्तन के पीछे स्थानीय लोगों की राय नहीं ली जाती, तब तक ऐसे फैसले सही नहीं हो सकते। इस मुद्दे ने बागेश्वर धाम के नाम के आसपास एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, जहां एक ओर धार्मिक पहचान की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय संस्कृति और भाषा की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है।
बाबा बागेश्वर की राय
बाबा बागेश्वर ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सिर्फ बागेश्वर धाम की महिमा को फैलाना है। उन्होंने कहा कि स्टेशन का नाम बागेश्वर धाम रखना सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक अच्छा कदम होगा।
"जब दुनिया भर से लोग बागेश्वर धाम के दर्शन करने आते हैं, तो उन्हें यहां की पहचान आसानी से मिलनी चाहिए। रेलवे स्टेशन का नाम बागेश्वर धाम रखने से न सिर्फ श्रद्धालुओं को सहूलियत होगी, बल्कि यह नाम धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगा," बाबा बागेश्वर ने अपने बयान में कहा।
स्थानीय प्रभाव और तर्क
स्थानीय ग्रामीणों और क्षेत्रीय नेताओं का मानना है कि नाम परिवर्तन के मामले में रेलवे विभाग को एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए। उनका कहना है कि ऐसे फैसले तभी सफल हो सकते हैं जब स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाए। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बागेश्वर धाम का नाम स्टेशन से जोड़ना, इस धार्मिक स्थल के महत्व को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए एक अच्छा कदम हो सकता है।
स्थानीय नेताओं का यह भी कहना है कि यदि रेलवे स्टेशन का नाम बागेश्वर धाम रखा जाता है, तो इस स्थान की पहचान और महिमा को एक नया आयाम मिलेगा। इससे बागेश्वर धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ सकती है। इसके अलावा, यह नाम स्थानीय पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा दे सकता है।
रेलवे विभाग के निर्णय पर बनी नजरें
छतरपुर स्टेशन के नाम को लेकर चल रहा विवाद अब एक नई दिशा में जा रहा है। बाबा बागेश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान इस मुद्दे को और भी गर्म कर सकता है। जहां एक ओर बागेश्वर धाम के नाम से स्टेशन को जोड़ने की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों और ग्रामीणों के विरोध के कारण यह मामला और भी जटिल हो सकता है। अब यह देखना होगा कि रेलवे विभाग इस विवाद को किस तरह से सुलझाता है और क्या स्थानीय समुदाय की राय को इसमें सम्मानित किया जाएगा।
यह मामला केवल स्टेशन के नामकरण का नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का भी है। बागेश्वर धाम की महिमा और महत्व को लेकर जो विचार हैं, वे इस विवाद को और भी दिलचस्प बना रहे हैं।