ग्वालियर में राशन घोटाला: 4,841 मृतकों के नाम पर हर महीने 7.79 लाख रुपए का राशन लूटा जा रहा है
ग्वालियर जिले में 4,841 मृतकों के नाम पर हर महीने 7.79 लाख रुपए का राशन लूटा जा रहा है। प्रशासनिक जांच में यह बड़ा घोटाला सामने आया है। पढ़ें कैसे यह फर्जीवाड़ा पूरे ग्वालियर-चंबल संभाग में फैला हुआ है और इसकी जांच कैसे की जा रही है।
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मध्य प्रदेश: ग्वालियर जिले में एक बड़ा राशन घोटाला सामने आया है, जिसमें 4,841 मृतकों के नाम पर हर महीने 7.79 लाख रुपए का राशन लूटा जा रहा है। यह खुलासा प्रशासन द्वारा की गई जांच में हुआ है। जांच में पाया गया कि सरकारी राशन दुकानों से कई परिवार ऐसे लोगों का भी राशन ले रहे हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। अकेले ग्वालियर जिले में ऐसे 5,227 लोगों की सूची सामने आई है, जिनमें से 4,841 प्राथमिकता वाले राशन कार्ड धारक हैं।
कैसे हो रहा है यह घोटाला?
प्रशासनिक जांच में पता चला कि इन मृतकों के नाम पर राशन कार्ड जारी किए गए हैं और उनके परिवार हर महीने राशन ले रहे हैं। इन परिवारों को प्रति सदस्य 161 रुपए में तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल मिलता है। इस हिसाब से हर महीने ग्वालियर जिले में 242 क्विंटल गेहूं और चावल का नुकसान हो रहा है, जिसकी कीमत 7,79,401 रुपए है।
UIDAI की भूमिका और निरस्त आधार
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने मध्य प्रदेश के 3.13 लाख मृतकों के आधार कार्ड निरस्त किए और इसकी सूची राज्य सरकार को भेजी। राज्य सरकार ने यह सूची जिलों को भेजी, जिसके बाद यह राशन घोटाला सामने आया। UIDAI के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि कई लोग मृत होने के बावजूद सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं।
ग्वालियर-चंबल संभाग में फैला हुआ है यह फर्जीवाड़ा
यह फर्जीवाड़ा सिर्फ ग्वालियर जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे ग्वालियर-चंबल संभाग में फैला हुआ है। इस संभाग के जिलों में लगभग 25,000 ऐसे लोग हैं, जो मरने के बाद भी नियमित रूप से राशन ले रहे हैं। यह स्थिति यह दर्शाती है कि सरकारी योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में गंभीर खामियां हैं।
प्रशासन की कार्रवाई
इस घोटाले के बाद ग्वालियर प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है। जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी विपिन श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने राशन कार्ड धारकों की सूची को दुकानवार छांटकर दे दी है। इसमें सत्यापन कराया जा रहा है कि किस घर का कौन सा सदस्य मृत हो गया है। उनका नाम पोर्टल से हटा दिया जाएगा। अब तक 300 लोगों के नाम सत्यापन के बाद पोर्टल से हटा दिए गए हैं।
श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि कोई भी परिवार अपने यहां मृत व्यक्ति की जानकारी नहीं देता, जिससे यह समस्या और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि यह खुलासा आधार कार्ड निरस्त होने के कारण हुआ है और अब शेष लोगों के नाम भी जल्द ही पोर्टल से हटा दिए जाएंगे।
खाद्य विभाग की जिम्मेदारी
इस पूरे मामले में खाद्य विभाग की जिम्मेदारी भी सवालों के घेरे में है। नियमित तौर पर राशन कार्ड धारकों की समीक्षा करना विभाग का कर्तव्य है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से ऐसे घोटाले हो रहे हैं, जिनसे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।
ग्वालियर जिले में सामने आया यह राशन घोटाला सरकारी योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में गंभीर खामियों को उजागर करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी योजनाओं को लागू करने में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है। प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसे घोटाले न हों। इसके लिए खाद्य विभाग को नियमित तौर पर राशन कार्ड धारकों की समीक्षा करनी चाहिए और मृतकों के नाम तुरंत हटा दिए जाने चाहिए।
इस घोटाले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंच रहा है या नहीं। यदि ऐसे घोटाले जारी रहते हैं, तो सरकारी योजनाओं का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा और गरीबों तक सही मदद नहीं पहुंच पाएगी।