कांग्रेस की ग्वालियर जिला अध्यक्ष के लिए OBC चेहरे की तलाश, दावेदारों में घमासान
कांग्रेस पार्टी ग्वालियर में जिला अध्यक्ष पद के लिए ओबीसी चेहरे की तलाश में है। पार्टी के दावेदारों के बीच घमासान तेज़ हो गया है। जानिए कौन होंगे कांग्रेस के नए जिला अध्यक्ष?
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ग्वालियर, मध्य प्रदेश: प्रदेश में कांग्रेस का वर्चस्व कम होता जा रहा है, लेकिन पार्टी के नेता अब फिर से अपनी साख को मजबूत करने और आम जनता के बीच विश्वास स्थापित करने के लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं। ग्वालियर में कांग्रेस जिला अध्यक्ष का चयन एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। पिछले कुछ समय से यह कुर्सी सामान्य वर्ग के नेताओं के हाथ में रही है, लेकिन अब पार्टी ओबीसी (अर्थात अन्य पिछड़ा वर्ग) के नेता को अपना नया जिला अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है। इस बदलाव की संभावना इसलिए भी प्रबल मानी जा रही है, क्योंकि पार्टी को जातीय समीकरणों को संतुलित करने और कार्यकर्ताओं में नया उत्साह पैदा करने की जरूरत महसूस हो रही है।
कांग्रेस की नजर ओबीसी पर, दावेदारों की बढ़ी खेमेबाजी
ग्वालियर जिले में कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जिला अध्यक्ष बनने की दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन पार्टी की रणनीति अब पूरी तरह से जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जा रही है। पार्टी के संगठन प्रभारी चंदन यादव के ग्वालियर दौरे के दौरान, जो बैठक आयोजित की गई थी, उसमें मोर्चा और संगठन के अध्यक्षों के साथ गहरी चर्चा की गई। इस बंद कमरे की बैठक में जिन नामों पर चर्चा हुई, उसमें सबसे प्रमुख नाम सुरेंद्र यादव का है, जो पार्टी में लंबे समय से सक्रिय हैं। इसके अलावा मौजूदा जिला अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र शर्मा सहित कुछ अन्य नाम भी चर्चा में हैं।
संगठन की मीटिंग में दावेदारों के नामों पर चर्चा
चंदन यादव की ग्वालियर यात्रा के दौरान हुई बैठक में जिला पदाधिकारियों को शामिल नहीं किया गया था, जिससे पार्टी के भीतर अंदरूनी राजनीति की भी झलक देखने को मिली। खबरों के अनुसार, संगठन प्रभारी की बैठक में मोर्चा और संगठन के अध्यक्षों ने दिग्गज नेताओं का नाम तक नहीं लिया, जिनका नाम इस पद के लिए चर्चा में था। इससे साफ है कि पार्टी के भीतर कुछ वरिष्ठ नेता शायद संगठन और मोर्चा के अध्यक्षों के लिए उपयुक्त नहीं माने जा रहे हैं। इसके बावजूद, दावेदारों के बीच चुनावी जोड़-तोड़ तेज़ हो गई है।
ओबीसी चेहरे पर पार्टी की नजर
ग्वालियर में कांग्रेस पार्टी के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपने कार्यकर्ताओं और जनता के बीच अपनी उपस्थिति को मजबूत कैसे कर सकती है। ऐसे में, जातीय समीकरणों को संतुलित करने के लिए ओबीसी चेहरे पर मुहर लगाना एक मुमकिन विकल्प साबित हो सकता है। पार्टी की रणनीति यह है कि ओबीसी नेता को जिला अध्यक्ष के रूप में प्रस्तुत किया जाए ताकि पार्टी में नया उत्साह और समर्पण पैदा हो सके। इससे न केवल ओबीसी समुदाय को कांग्रेस के प्रति विश्वास बढ़ेगा, बल्कि पार्टी के भीतर हो रही खेमेबाजी को भी एक दिशा मिलेगी।
दावेदारों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा
कांग्रेस के लिए जिला अध्यक्ष का चुनाव अब सिर्फ एक पद का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह पार्टी के भीतर के शक्ति संतुलन को बदलने का बड़ा अवसर बन गया है। ग्वालियर और भोपाल में लॉबिंग का दौर तेज़ हो गया है, जहां कांग्रेस के बड़े नेता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए प्रयासरत हैं। दावेदारों के बीच बढ़ती खेमेबाजी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी के अंदर चुनावी समीकरणों के साथ-साथ व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं भी अहम भूमिका निभा रही हैं।
कांग्रेस के लिए ग्वालियर जिला अध्यक्ष का चुनाव एक अहम कदम हो सकता है, जो पार्टी की राजनीति और भविष्य को प्रभावित करेगा। ऐसे में देखना होगा कि ओबीसी चेहरा पार्टी के लिए कितना लाभकारी साबित होता है और किस नेता को यह महत्वपूर्ण पद मिलता है।