अशोक जाटव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बाबा साहब अंबेडकर को सम्मान न देने का आरोप लगाया
इंदौर में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक जाटव ने कांग्रेस पर बाबा साहब अंबेडकर को सम्मान न देने और कश्मीर के मुद्दे पर गंभीर आरोप लगाए। जानिए इस बयान के बारे में विस्तार से।
इंदौर, मध्य प्रदेश: भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक जाटव ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 55 साल तक देश पर राज किया, लेकिन बाबा साहब अंबेडकर को कभी उनका सही सम्मान नहीं दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को लेकर कई आरोप लगाए और कश्मीर मुद्दे पर भी अपनी राय जाहिर की। इस बयान ने राजनीतिक चर्चा में जोरदार उथल-पुथल मचा दी है।
अशोक जाटव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बाबा साहब अंबेडकर, जो भारतीय संविधान के निर्माता हैं, उन्हें कांग्रेस सरकार ने कभी वह सम्मान नहीं दिया, जो उनका हक था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब भी भाजपा या कोई और संगठन बाबा साहब अंबेडकर को सम्मान देने की कोशिश करता है, कांग्रेस इसका विरोध करती है और आरोप लगाती है। जाटव ने कहा कि यह कांग्रेस का दोहरा रवैया है, जो अपनी राजनीति को साधने के लिए बाबा साहब के योगदान को नकारने की कोशिश करती है।
कांग्रेस की 55 साल की सत्ता और अंबेडकर का अपमान
अशोक जाटव ने कहा कि कांग्रेस ने 55 साल तक भारत में शासन किया, लेकिन कभी भी बाबा साहब अंबेडकर को सम्मान देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने यह भी बताया कि जब कांग्रेस का शासन था, तब अंबेडकर को उनकी जन्मभूमि या उनके योगदान के लिए कोई प्रमुख सम्मान नहीं दिया गया। जाटव के अनुसार, भाजपा ने हमेशा अंबेडकर को सम्मान देने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस ने इस पर कई तरह के आरोप लगाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस अपने नेताओं के दावे को सही मानती है, तो उसे इस संदर्भ में अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करना चाहिए।
कश्मीर और धारा 370 पर जाटव की टिप्पणी
इस दौरान अशोक जाटव ने कश्मीर के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में बाबा साहब अंबेडकर ने कश्मीर में धारा 370 का विरोध किया था। जाटव ने यह सवाल उठाया कि अगर कांग्रेस को भारतीय संविधान में विश्वास था, तो कश्मीर में क्यों देश का संविधान लागू नहीं किया गया। उनका कहना था कि यह कांग्रेस की नीतियों की विफलता का परिणाम था, जो देश की एकता और अखंडता के खिलाफ था।
उन्होंने कश्मीर के विशेष दर्जे को लेकर कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि अगर कांग्रेस संविधान के प्रति अपनी निष्ठा दिखाती, तो कश्मीर में भी देश का संविधान लागू किया जाता। यह उनकी सोच और उनकी नीतियों की गंभीर आलोचना थी, जो जाटव ने कांग्रेस के खिलाफ की।
कश्मीर के नेताओं और कांग्रेस नेताओं पर सवाल
अशोक जाटव ने कश्मीर के नेताओं और दिल्ली में बैठे कुछ कांग्रेस नेताओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इन नेताओं का डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए। जब मीडिया ने उनसे पूछा कि वे किस नेताओं की बात कर रहे हैं, तो जाटव ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि वह किसके बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप से नहीं कहा। उनका यह बयान उस समय विवादास्पद हो गया जब उन्होंने कहा कि कश्मीर के नेताओं की कुछ तस्वीरें निकाली जाएं और उनका डीएनए टेस्ट कराया जाए, ताकि यह साफ हो सके कि उनके बारे में जो उन्होंने कहा, वह सच है या नहीं।
अशोक जाटव के इस बयान से राजनीतिक माहौल में हलचल मच गई और कई लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी। कुछ लोगों ने उनके बयान को काफी गंभीर माना, जबकि कुछ ने इसे केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा बताया।
कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला
अशोक जाटव के इस बयान ने कांग्रेस और भाजपा के बीच के आरोप-प्रत्यारोप के सिलसिले को और तेज कर दिया है। कांग्रेस जहां भाजपा पर कई आरोप लगाती है, वहीं भाजपा के नेता भी कांग्रेस को उसी तरह घेरने का मौका नहीं छोड़ते। इस बार अशोक जाटव ने बाबा साहब अंबेडकर और कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस की नीतियों को कटघरे में खड़ा किया है, और इसके बाद राजनीतिक बहस तेज हो गई है।
भले ही इस बयान ने कुछ नया नहीं कहा हो, लेकिन यह इस बात को दर्शाता है कि आने वाले समय में कांग्रेस और भाजपा के बीच की यह राजनीतिक लड़ाई और तीव्र हो सकती है, खासकर जब बात बाबा साहब अंबेडकर जैसे राष्ट्रीय हीरो की हो।
कांग्रेस पर बाबा साहेब अंबेडकर के सम्मान और कश्मीर मुद्दे पर गंभीर आरोप
अशोक जाटव का बयान न केवल कश्मीर के मुद्दे पर बल्कि बाबा साहब अंबेडकर के सम्मान को लेकर भी कांग्रेस पर गंभीर आरोप है। उनका यह कहना कि कांग्रेस ने कभी भी अंबेडकर को सम्मान नहीं दिया, एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो राजनीतिक रूप से काफी चर्चा में रहेगा। इसके साथ ही, कश्मीर के विशेष दर्जे और संविधान के मुद्दे पर उनके सवाल कांग्रेस की नीतियों को चुनौती देते हैं।
यह बयान एक बार फिर से यह साबित करता है कि भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर निरंतर चलता रहेगा, और इस तरह के बयान राजनीति में नई बहसों का जन्म देते हैं।