छत्तीसगढ़: पुलिस की महिला शिक्षिकाओं के साथ बर्बरता का वीडियो वायरल, भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप

छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार द्वारा बेरोजगारी का शिकार किए गए शिक्षकों के साथ पुलिस की बर्बरता और महिला शिक्षिकाओं के साथ अभद्रता पर गंभीर सवाल। कांग्रेस ने लगाए भाजपा सरकार पर आरोप।

छत्तीसगढ़: पुलिस की महिला शिक्षिकाओं के साथ बर्बरता का वीडियो वायरल, भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप
छत्तीसगढ़ पुलिस की बर्बरता

छत्तीसगढ़ में हाल ही में एक ऐसा घटनाक्रम हुआ जिसने ना केवल राज्य बल्कि पूरे देश में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। भाजपा सरकार के तहत 3000 से अधिक युवा शिक्षकों को बिना किसी कारण के नौकरी से निकाल दिया गया। यह घटनाएं न केवल बेरोजगारी की समस्या को उजागर करती हैं, बल्कि उन शिक्षकों के जीवन में आई कठिनाइयों और सरकारी दमन का भी पर्दाफाश करती हैं। खासतौर पर, इस घटनाक्रम के दौरान पुलिस द्वारा महिला शिक्षकों के साथ हुई बर्बरता ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दिया है, जो सरकार की नीतियों, प्रशासन की कार्यशैली और महिला अधिकारों पर केंद्रित है। जब शिक्षक अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे और धरने पर बैठे, तो उन्हें ना केवल अपनी आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ी, बल्कि पुलिस के बर्बर व्यवहार का भी शिकार होना पड़ा। विशेष रूप से महिला शिक्षकों के साथ पुलिस द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार ने इस घटना को और भी शर्मनाक बना दिया है।

बेरोजगारी और सरकारी नीतियों का शिकार युवा शिक्षक

छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने अचानक 3000 से अधिक युवा शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया। यह निर्णय उन शिक्षकों के लिए एक बड़ा आघात साबित हुआ, जिन्होंने वर्षों तक शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी थीं। इन शिक्षकों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई थी, क्योंकि वे पहले से ही कठिन हालातों में अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। नौकरी से निकाले जाने के बाद उनकी रोजी-रोटी का संकट गहरा गया था।

इस बेरोजगारी ने उन शिक्षकों को सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए मजबूर किया। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनकी आवाज सुनेगी और उनके अधिकारों का सम्मान करेगी। लेकिन सरकार ने उनके साथ न केवल संवेदनहीनता दिखाई, बल्कि उनके संघर्ष को और कठिन बना दिया। जब ये शिक्षक न्याय की उम्मीद में सड़कों पर उतरे और धरना देने लगे, तो सरकार ने उनका दमन करना शुरू कर दिया।

महिला शिक्षकों के साथ पुलिस की बर्बरता

जब शिक्षक अपनी मांगों के साथ धरने पर बैठे थे, तो उस समय छत्तीसगढ़ सरकार की पुलिस ने महिला शिक्षकों के साथ जो बर्बरता की, वह एक शर्मनाक घटना बन गई। महिला शिक्षिका ने बताया कि पुलिसकर्मी शराब के नशे में धुत थे और उनके साथ अभद्रता कर रहे थे। पुलिसकर्मियों ने महिला शिक्षिकाओं का दुपट्टा खींचा और उनके कपड़े तक फाड़ दिए। यह घटना केवल शारीरिक उत्पीड़न की नहीं थी, बल्कि मानसिक उत्पीड़न का भी रूप था, जिसमें महिला शिक्षक लगातार इस उत्पीड़न को महसूस कर रही थीं।

महिला शिक्षिका ने अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा, "शराब पिए पुलिसवालों ने हमारा दुपट्टा खींचा, हमारे कपड़े फाड़े। वो हमें यहां-वहां टच कर रहे थे।" यह बयान न केवल उस समय के पुलिस बल की शर्मनाक कार्यप्रणाली को उजागर करता है, बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महिलाओं के प्रति कथित असंवेदनशीलता और उनका सम्मान न करने की स्थिति को भी दर्शाता है।

इस घटनाक्रम में एक और महत्वपूर्ण पहलू सामने आया है। छत्तीसगढ़ में महिलाओं के लिए पर्याप्त महिला पुलिस बल की उपलब्धता होने के बावजूद, महिला शिक्षिकाओं के साथ उस समय पुरुष पुलिस बल का प्रयोग किया गया। शिक्षिकाओं ने आरोप लगाया कि अगर महिला पुलिस बल मौजूद था तो उन्हें वहां से हटाने के लिए उनका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया। उन्होंने इसे और भी अशोभनीय बताया, क्योंकि महिलाओं के साथ अन्य महिलाओं द्वारा शालीनता से व्यवहार किया जाता, लेकिन यहाँ पर पुरुष पुलिस ने उनकी असहमति को कुचलने के लिए अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल किया। यह घटना महिला सुरक्षा के प्रति संवेदनहीनता और गैर जिम्मेदाराना रवैया को उजागर करती है।

कांग्रेस का भाजपा सरकार पर आरोप

इस घटना के बाद कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने दावा किया कि भाजपा सरकार ने पहले बेरोजगार किए गए शिक्षकों के साथ अन्याय किया और फिर उनकी मांगों को दबाने के लिए पुलिस को दुरुपयोग किया। कांग्रेस ने सोशल मीडिया X पर इस घटना का वीडियो भी शेयर किया, जिसमें महिला शिक्षिकाएं अपनी तकलीफों और उनके साथ हुए दुर्व्यवहार की कहानी सुना रही थीं। कांग्रेस ने इसे भाजपा सरकार के महिला विरोधी सोच और घिनौनी राजनीति का उदाहरण बताया।

कांग्रेस ने आगे कहा, "छत्तीसगढ़ की BJP सरकार ने हजारों शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया, उन्हें बेरोजगार बना दिया। जब ये शिक्षक न्याय मांगने के लिए धरने पर बैठे, तो BJP सरकार ने उन्हें मरवाया। इतना ही नहीं, पुरुष पुलिसवालों से महिला शिक्षकों के साथ अभद्रता करवाई गई।" कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने युवाओं को बेरोजगार बनाकर उन्हें सामाजिक और आर्थिक संकट में डाल दिया है और उनकी न्यायपूर्ण मांगों का कोई सम्मान नहीं किया।

राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस का विरोध

कांग्रेस ने इस घटना को लेकर केवल छत्तीसगढ़ सरकार की ही नहीं, बल्कि केंद्र की भाजपा सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा की महिला विरोधी सोच ने न केवल छत्तीसगढ़ के शिक्षकों के लिए, बल्कि पूरे देश में महिलाओं के लिए एक खतरनाक संदेश भेजा है। पार्टी ने यह भी कहा कि भाजपा के नेतृत्व में युवाओं को बेरोजगार बनाया गया और जब उन्होंने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया, तो उन्हें पुलिस द्वारा हिंसा का शिकार बनाया गया।

कांग्रेस ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने न्याय के लिए संघर्ष कर रहे शिक्षकों को दमन का सामना करवा दिया और महिलाओं के साथ पुलिस की बर्बरता ने इस सरकार की असलियत को उजागर किया है। इस पूरे घटनाक्रम को भाजपा सरकार के घिनौने चेहरे के रूप में पेश किया गया।

महिला सुरक्षा और न्याय की आवश्यकता

यह घटना यह साबित करती है कि न केवल बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यदि राज्य की पुलिस ऐसी स्थिति में अपना नियंत्रण खोकर शिक्षकों के साथ बर्बरता करती है, तो यह केवल राज्य सरकार की असंवेदनशीलता को नहीं, बल्कि पूरी प्रणाली की विफलता को दर्शाता है। महिला शिक्षिकाओं के साथ हुई यह हिंसा और अपमान केवल उस समय की घटना नहीं, बल्कि इस देश में महिलाओं के अधिकारों पर लगातार हो रहे हमलों का एक उदाहरण है।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या भाजपा सरकार महिलाओं के अधिकारों को गंभीरता से लेती है? क्या यह सरकार बेरोजगारी और असमानता की समस्या को सही तरीके से हल करने के बजाय, उन लोगों को दबाने की कोशिश करती है जो न्याय की मांग कर रहे हैं?

महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल

यह घटना केवल छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार की विफलता को ही उजागर नहीं करती, बल्कि पूरे देश में महिला सुरक्षा, बेरोजगारी और प्रशासन की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अब यह समय है कि सरकारें उन युवाओं और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करें और उनके संघर्षों को समझने का प्रयास करें। वहीं, यह घटनाक्रम एक चेतावनी भी है कि यदि हम भविष्य में अपनी प्रणालियों को सुधारना चाहते हैं, तो हमें ऐसे बर्बर और अमानवीय व्यवहारों को पूरी तरह से समाप्त करना होगा।