रिहायशी इलाकों में ईंट भट्टों का खतरा: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर
बुरहानपुर में बढ़ती आबादी और निर्माण कार्यों के कारण ईंट भट्टों की संख्या बढ़ रही है, जिससे वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। जानें समाधान और पर्यावरण-अनुकूल उपाय।

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में बढ़ती आबादी और नए निर्माण कार्यों की वजह से ईंट भट्टों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कई ईंट भट्टे रिहायशी इलाकों के पास संचालित हो रहे हैं, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
ईंट भट्टों से निकलने वाला प्रदूषण और उसका प्रभाव
पर्यावरणविद् डॉ. मनोज अग्रवाल के अनुसार, ईंट भट्टों में कोयला, लकड़ी, पेट्रोलियम उत्पाद और कई बार कचरा जलाकर ईंटें पकाई जाती हैं। इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में धुआं, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो हवा को प्रदूषित कर स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती हैं।
1. सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों का संक्रमण
ईंट भट्टों से निकलने वाला धुआं हवा में घुलकर प्रदूषण फैलाता है, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के संक्रमण और अन्य सांस संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं।
2. आंखों और त्वचा पर प्रभाव
सल्फर और अन्य हानिकारक रसायनों के कारण आंखों में जलन, बाल झड़ना, त्वचा संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।
3. हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर
वायु प्रदूषण के कारण हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
4. कमजोर इम्यून सिस्टम पर असर
बच्चों और बुजुर्गों जैसे कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों पर इस प्रदूषण का ज्यादा प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी सेहत बिगड़ सकती है।
पर्यावरण पर ईंट भट्टों का असर
ईंट भट्टों से निकलने वाला धुआं सिर्फ लोगों की सेहत ही नहीं बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है।
- वायु प्रदूषण: जहरीली गैसें हवा में मिलकर वायुमंडलीय प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं।
- ग्रीनहाउस इफेक्ट: कार्बन उत्सर्जन से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या बढ़ सकती है।
- जैव विविधता पर प्रभाव: आसपास के पेड़-पौधे और जीव-जंतु भी इस प्रदूषण से प्रभावित होते हैं।
समाधान: ईंट भट्टों को कैसे बनाया जाए पर्यावरण-अनुकूल?
डॉ. मनोज अग्रवाल के अनुसार, प्रशासन और उद्योगों को मिलकर ईंट भट्टों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
1. ईंट भट्टों के लिए अलग क्षेत्र निर्धारित करना
जिला प्रशासन को चाहिए कि ईंट भट्टों को आबादी से दूर विशेष क्षेत्रों में शिफ्ट करे ताकि प्रदूषण की समस्या कम हो सके।
2. पर्यावरण-अनुकूल ईंधन का उपयोग
लकड़ी और कोयले के बजाय बायोगैस, कृषि अवशेष और अन्य हरित ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाए।
3. आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल
ईंट निर्माण में हॉफमैन किल्न या ज़िगज़ैग तकनीक जैसी आधुनिक विधियों को अपनाकर धुएं का उत्सर्जन कम किया जा सकता है।
4. सख्त नियम और जागरूकता अभियान
प्रशासन को सख्त नियम बनाकर प्रदूषण फैलाने वाले ईंट भट्टों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, लोगों को इस मुद्दे के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।
समाज की भागीदारी भी जरूरी
ईंट भट्टों के प्रदूषण से बचने के लिए सरकार और उद्योगों के साथ-साथ आम जनता की भागीदारी भी जरूरी है। लोग स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने और हरियाली बढ़ाने जैसे छोटे-छोटे प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
समय रहते कदम उठाना जरूरी
बुरहानपुर जैसे क्षेत्रों में रिहायशी इलाकों के पास ईंट भट्टों का संचालन एक गंभीर समस्या बन चुका है। यदि इस मुद्दे पर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में स्थिति और बिगड़ सकती है। सरकार, उद्योगों और आम जनता को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा ताकि हम एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण बना सकें।