मुकेश चंद्राकर मर्डर केस: छत्तीसगढ़ में सियासी उबाल और न्याय की गुहार
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने सियासी घमासान को जन्म दिया। कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, जबकि पत्रकारों की न्याय की मांग ने राज्य में माहौल गरमा दिया है।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में एक प्रमुख युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने राज्य के राजनीतिक और पत्रकारिता जगत में तहलका मचाया है। इस हत्या के बाद पूरे प्रदेश में न केवल सियासी घमासान शुरू हो गया है, बल्कि पत्रकारों और आम नागरिकों ने एकजुट होकर न्याय की मांग की है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है और कांग्रेस तथा बीजेपी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश कर रहे हैं।
मुकेश चंद्राकर की हत्या: क्या है पूरा मामला?
मुकेश चंद्राकर, जो बीजापुर जिले के एक प्रमुख पत्रकार थे, नक्सल प्रभावित इलाके में भ्रष्टाचार और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को उजागर करने के लिए मशहूर थे। उन्होंने हाल ही में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार की खबर प्रकाशित की थी, जिस पर उन्होंने ठेकेदारों द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों को सामने लाया था। इस घटना के बाद से ही ठेकेदारों का उनके खिलाफ गुस्सा बढ़ गया था।
शुक्रवार की शाम को मुकेश चंद्राकर का शव बीजापुर जिले के एक ठेकेदार के घर के सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी और मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को गिरफ्तार किया है। मुकेश की हत्या के बाद पूरे प्रदेश में गुस्सा और आक्रोश फैल गया है।
सियासी तकरार: कांग्रेस और बीजेपी का आरोप-प्रत्यारोप
इस हत्या के बाद सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस का कहना है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा का ‘जंगलराज’ है, जहां पत्रकारों की जान भी सुरक्षित नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुकेश चंद्राकर ने भ्रष्टाचार की खबर छापी थी और उसी के बाद ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने उनकी हत्या कर दी।
कांग्रेस ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार की कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है, और अगर इस तरह के अपराध होते रहें, तो राज्य में कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा।
बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस अब खुद को बचाने के लिए सस्ती राजनीति कर रही है। बीजेपी का कहना था कि कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया कि सुरेश चंद्राकर को कांग्रेस के द्वारा राज्य के SC मोर्चा का प्रदेश सचिव बनाया गया था, और यह कांग्रेस की अपराधियों से सांठगांठ का हिस्सा हो सकता है।
पत्रकारों का आक्रोश: न्याय की मांग
मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद बस्तर और पूरे छत्तीसगढ़ के पत्रकारों में गुस्से का माहौल है। पत्रकारों ने साफ तौर पर कहा कि इस हत्या में राजनीति नहीं, बल्कि सिर्फ न्याय की मांग की जा रही है। पत्रकारों का कहना है कि अगर सच बोलने वाले पत्रकारों की जान नहीं बचाई जाती तो यह प्रदेश में मीडिया की स्वतंत्रता पर गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है।
बस्तर के पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि इस हत्या के पीछे किसी राजनीतिक कारण का होना एक कच्चा आरोप हो सकता है, लेकिन असल में यह हत्या उस व्यक्ति की की गई है, जिसने भ्रष्टाचार और नक्सल गतिविधियों को उजागर किया था। पत्रकारों ने यह भी कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों को लगातार धमकियां मिलती हैं और उन पर दबाव डाला जाता है।
पत्रकारिता और राजनीति: बस्तर में एक कठिन जीवन
बीजापुर और बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में पत्रकारिता करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। यहां पत्रकारों को कभी पुलिस द्वारा दबाव का सामना करना पड़ता है, तो कभी नक्सलियों से धमकियां मिलती हैं। ऐसे में, मुकेश चंद्राकर जैसे पत्रकारों का कार्य काफी साहसिक था, क्योंकि वे नक्सल गतिविधियों और प्रशासनिक भ्रष्टाचार को सामने लाने का कार्य कर रहे थे।
इस हत्या ने न केवल पत्रकारों के मनोबल को तोड़ा है, बल्कि उन पर बढ़ते दबाव को भी उजागर किया है। पत्रकारों के बीच इस हत्या के बाद यह भावना प्रबल हो गई है कि अब उन्हें और उनके परिवारों को सुरक्षा की जरूरत है।
मुख्य आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
बीजापुर जिले में हुई इस हत्या के मामले में मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर, रितेश चंद्राकर और अन्य आरोपी हैं। पत्रकारों का कहना है कि इन आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उन्हें फांसी की सजा दी जाए। कई पत्रकारों ने इस मामले में कानून के तहत जल्दी से जल्दी सजा दिलाने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने एकजुट होकर पुलिस प्रशासन से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाए, ताकि न्याय मिल सके।
अंत में: राज्य में सुरक्षा और न्याय का सवाल
मुकेश चंद्राकर की हत्या ने छत्तीसगढ़ के राजनीतिक माहौल को एक नया मोड़ दिया है। जहां एक ओर कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, वहीं पत्रकारों और आम नागरिकों का कहना है कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ न्याय चाहिए। पत्रकारों की सुरक्षा और मीडिया की स्वतंत्रता के मुद्दे पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह के हादसे फिर से न हों।
मुकेश चंद्राकर की हत्या को लेकर प्रदेश में आक्रोश का वातावरण बना हुआ है, और लोगों का यह कहना है कि अब सरकार को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने होंगे। ऐसे में यह देखना होगा कि आने वाले समय में इस मामले की जांच में कितनी पारदर्शिता दिखाई जाती है, और क्या न्याय जल्द ही मिल पाएगा।
यह भी पढ़ें -
छत्तीसगढ़ में जंगलराज: पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या और भ्रष्टाचार की सच्चाई