ममता कुलकर्णी का संन्यास: महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर की पदवी से नवाजी गईं
बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में संन्यास लिया और किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर की पदवी से नवाजी गईं। जानिए उनके आध्यात्मिक जीवन के बारे में।

बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को प्रयागराज के महाकुंभ मेला में अपने जीवन का एक नया मोड़ लिया। उन्होंने संगम में आस्था की डुबकी लगाकर संन्यास की ओर कदम बढ़ाए और किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर के रूप में अपनी पहचान बनाई। यह ऐतिहासिक क्षण तब आया जब ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां के नेतृत्व में पिंडदान किया और अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की।
महाकुंभ में आस्था की डुबकी
महाकुंभ, जो हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है, हर 12 साल में आयोजित होता है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने और पापों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। ममता कुलकर्णी ने इस पवित्र अवसर पर गंगा नदी में स्नान किया और भगवान से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उन्होंने गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने का ऐलान भी किया और अपने आध्यात्मिक जीवन की दिशा बदलने का निर्णय लिया।
किन्नर अखाड़ा और महामंडलेश्वर का सम्मान
ममता कुलकर्णी के इस फैसले के बाद, किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर टीना मां ने बताया कि ममता ने गंगा में डुबकी लगाने के बाद, गंगा के तट पर पिंडदान किया। इसके बाद, करीब आठ बजे किन्नर अखाड़ा में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी से नवाजा गया। इस धार्मिक समारोह में किन्नर अखाड़ा के अन्य प्रमुख नेता भी उपस्थित थे, जिनमें जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि, किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और अन्य किन्नर महामंडलेश्वर शामिल थे।
टीना मां के अनुसार, पहले पांच महामंडलेश्वर- गिरनारी नंद गिरि, कृष्णानंद गिरि, राजेश्वरी नंद गिरि, विद्या नंद गिरि और नीलम नंद गिरि का पट्टाभिषेक किया गया, उसके बाद ममता कुलकर्णी को यह सम्मान दिया गया। उन्हें अब नया नाम 'यमाई ममता नंद गिरि' दिया गया है। ममता ने इस नई पहचान को स्वीकार किया और आधिकारिक रूप से संन्यास लेने की घोषणा की।
आध्यात्मिक यात्रा और तपस्या
ममता कुलकर्णी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने 23 साल पहले जूना अखाड़ा के चैतन्य गगन गिरि महाराज से दीक्षा ली थी और तब से उन्होंने एक तपस्वी जीवन जीने का संकल्प लिया था। उनके मुताबिक, पिछले दो साल से वह लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में थीं और उनकी मार्गदर्शन में उनकी तपस्या जारी थी। ममता ने बताया कि स्वामी महेंद्रानंद गिरि महाराज ने उनकी परीक्षा ली और वे उसमें उत्तीर्ण हुईं, जिसके बाद उन्हें महामंडलेश्वर बनने का निमंत्रण मिला।
ममता ने यह भी बताया कि उन्हें पहले से यह आभास था कि उनकी तपस्या के फलस्वरूप एक दिन उन्हें यह सम्मान प्राप्त होगा। उन्होंने कहा, “स्वामी महेंद्रानंद गिरि और इंद्र भारती महाराज के रूप में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मुझे दर्शन दिए और तब मैंने महसूस किया कि 23 साल की तपस्या का फल मिलना तय था।”
बॉलीवुड से संन्यास का कारण
ममता कुलकर्णी ने अपने फिल्मी सफर के बारे में भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि वह बॉलीवुड में वापस नहीं लौटना चाहतीं और इसलिए 23 साल पहले ही फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ दिया था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका संन्यास किसी प्रकार की कठिनाई या परेशानी के कारण नहीं था, बल्कि यह एक स्वच्छ और आत्मिक अनुभव को प्राप्त करने की दिशा में उठाया गया कदम था। ममता ने अपनी फिल्मों के बारे में बताते हुए कहा, “मैंने लगभग 40-50 फिल्मों में अभिनय किया और जब मैंने फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ा, तब मेरे पास 25 फिल्में थीं। यह निर्णय मैंने अपनी आत्मिक शांति और आनंद की तलाश में लिया।”
आध्यात्मिक मार्ग की ओर
ममता कुलकर्णी ने आगे कहा कि किन्नर अखाड़ा के मध्य मार्गी होने के कारण उन्होंने इस अखाड़े को अपनाया। वह अब स्वतंत्र रूप से सनातन धर्म का प्रचार करेंगी और अपने आध्यात्मिक जीवन को आगे बढ़ाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह महाकुंभ में 12 साल पहले भी आई थीं, और इस बार उनका आना एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। ममता ने यह भी साझा किया कि उन्हें किन्नर अखाड़ा के सिद्धांतों और उनकी आध्यात्मिक शिक्षा बहुत आकर्षित करती है, और यही कारण है कि उन्होंने इस अखाड़े को अपनाया।
धार्मिक जीवन की ओर परिवर्तन
ममता कुलकर्णी का संन्यास और किन्नर अखाड़ा से जुड़ने का यह निर्णय उनके जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। वह अब फिल्म इंडस्ट्री और ग्लैमर की दुनिया से दूर होकर एक साधु जीवन जीने का संकल्प ले चुकी हैं। उनके इस कदम को एक उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है, जो यह बताता है कि जीवन में किसी भी मोड़ पर आकर व्यक्ति अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार मार्ग बदल सकता है। ममता कुलकर्णी ने यह साबित कर दिया कि व्यक्ति अगर सही दिशा में अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करता है, तो वह एक नई ऊर्जा और शांति प्राप्त कर सकता है।
ममता कुलकर्णी का यह निर्णय उनके आत्मिक विकास और आस्था की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। वह बॉलीवुड और ग्लैमर की दुनिया को छोड़कर अब अपनी धार्मिक यात्रा पर हैं। महाकुंभ में उनकी डुबकी और किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर की पदवी प्राप्त करना, एक ऐसी घटना है जो उनके जीवन के नए अध्याय की शुरुआत को दर्शाता है। अब ममता कुलकर्णी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका लक्ष्य अब केवल सनातन धर्म का प्रचार करना है और वह इस मार्ग पर आत्मिक शांति और समाजसेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करेंगी।