मध्यप्रदेश के 17 धार्मिक नगरों में शराब बंदी का ऐतिहासिक कदम: डॉ. मनोज अग्रवाल
मध्यप्रदेश के 17 धार्मिक नगरों में शराब बंदी के फैसले का स्वागत करते हुए डॉ. मनोज अग्रवाल ने इसे नशामुक्ति के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया। यह निर्णय एक अप्रैल 2025 से लागू होगा।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महेश्वर में आयोजित एक कैबिनेट बैठक में एक अहम निर्णय लिया। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश के 17 प्रमुख धार्मिक नगरों में शराब बंदी लागू करने का निर्णय लिया है। यह फैसला एक अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा, और इसके तहत इन नगरों में शराब की दुकानें पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी। विशेष रूप से, इन दुकानों को कहीं और शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इस फैसले का उद्देश्य इन नगरों को धार्मिक दृष्टि से पवित्र और स्वच्छ बनाना है, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक एक शांति और सद्भावना का वातावरण महसूस कर सकें।
राज्य शराबबंदी की दिशा में आगे बढ़े, इसके लिए हमने प्रथम चरण में 17 धार्मिक नगरों में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है।#महेश्वर_में_एमपी_कैबिनेट pic.twitter.com/oGWtuXiPe3
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) January 24, 2025
मुख्यमंत्री का ऐतिहासिक निर्णय
मध्यप्रदेश सरकार का यह निर्णय न केवल राज्य के नागरिकों के लिए बल्कि प्रदेश के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी एक अहम पहल है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस कदम से राज्य के धार्मिक स्थानों को और भी पवित्र बनाए रखने में मदद मिलेगी और यहां आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक स्वच्छ वातावरण मिलेगा। मुख्यमंत्री ने इस कदम के पीछे के कारण को स्पष्ट करते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य हमारे नागरिकों को एक स्वस्थ और शुद्ध जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है, विशेषकर हमारे धार्मिक नगरों में। शराबबंदी से हम सामाजिक व्यवस्था में सुधार लाने के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं और पवित्रता को भी बनाए रखेंगे।”
नशामुक्ति के क्षेत्र में डॉ. मनोज अग्रवाल का योगदान
नशामुक्ति के क्षेत्र में प्रमुख कार्य करने वाले बुरहानपुर के नशामुक्ति केंद्र संचालक डॉ. मनोज अग्रवाल ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय का स्वागत किया। डॉ. अग्रवाल ने इसे न केवल एक ऐतिहासिक निर्णय बल्कि नशामुक्ति के लिए एक क्रांतिकारी कदम भी बताया। उन्होंने कहा, “यह फैसला उन प्रयासों को मजबूती देगा जो हम नशामुक्ति के क्षेत्र में वर्षों से कर रहे हैं। इससे न केवल शराब के सेवन में कमी आएगी, बल्कि यह समाज में नशे की प्रवृत्तियों को नियंत्रित करने के लिए भी एक मजबूत कदम है।”
डॉ. अग्रवाल का मानना है कि इस फैसले से न केवल धार्मिक नगरों की पवित्रता बनी रहेगी, बल्कि यह सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। उन्होंने कहा कि शराब के सेवन से होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याएं समाज में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं, और शराबबंदी जैसे कदम से इन समस्याओं को कम करने में मदद मिलेगी। डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि इस कदम से नशामुक्ति के अभियान को न केवल समर्थन मिलेगा बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ेगी।
धार्मिक नगरों में शराब बंदी के लाभ
मध्यप्रदेश के 17 प्रमुख धार्मिक नगरों में शराब बंदी के निर्णय से कई महत्वपूर्ण फायदे हो सकते हैं, जिनका सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टिकोण से गहरा प्रभाव पड़ेगा।
- धार्मिक स्थलों की पवित्रता का संरक्षण – इन नगरों में शराबबंदी से तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र और शांति से भरा वातावरण बनेगा। यह धार्मिक स्थलों के महत्व को बढ़ाएगा और यहां आने वाले लोगों के लिए एक सकारात्मक अनुभव प्रदान करेगा।
- स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव – शराब की खपत को नियंत्रित करने से स्थानीय समुदाय और पर्यटकों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह शराब से होने वाली शारीरिक और मानसिक बीमारियों को कम करने में सहायक होगा।
- पर्यटन में वृद्धि – जब इन नगरों में शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगेगा, तो यहां आने वाले पर्यटकों को एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण वातावरण मिलेगा। इससे इन धार्मिक नगरों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जो कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगा।
- नशामुक्ति के प्रयासों को बल मिलेगा – राज्य सरकार का यह कदम न केवल शराब के सेवन को नियंत्रित करेगा, बल्कि नशामुक्ति अभियान को भी एक नई दिशा प्रदान करेगा। शराबबंदी के इस निर्णय से समाज में जागरूकता फैलेगी और लोग नशे की लत से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित होंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस निर्णय के बारे में कहा, “हमने यह कदम राज्य के नागरिकों और प्रदेश की धार्मिक धरोहरों की भलाई के लिए उठाया है। धार्मिक नगरों में शराबबंदी से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक पवित्र वातावरण मिलेगा, और स्थानीय समुदाय को भी नशे से मुक्त जीवन जीने का अवसर मिलेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि शराबबंदी के इस फैसले का प्रभाव केवल धार्मिक स्थलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे राज्य के अन्य हिस्सों में भी नशामुक्ति के प्रयासों को बल मिलेगा। इससे समाज में शराब और नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए जागरूकता बढ़ेगी और लोग नशे के खतरे से बचेंगे।
मध्यप्रदेश के 17 धार्मिक नगरों में शराब बंदी का यह कदम राज्य सरकार की ओर से एक ऐतिहासिक और सराहनीय पहल है। यह कदम धार्मिक, सामाजिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और नशामुक्ति कार्यकर्ता डॉ. मनोज अग्रवाल के नेतृत्व में, इस निर्णय से न केवल शराब के सेवन में कमी आएगी, बल्कि यह समाज में नशे से मुक्ति पाने के लिए एक प्रेरणा का काम करेगा। यह कदम मध्यप्रदेश को एक स्वस्थ, समृद्ध और धार्मिक रूप से मजबूत राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।