बुरहानपुर जिला अस्पताल: विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी और प्रशासनिक लापरवाही की कहानी

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिला अस्पताल में 32 करोड़ रुपये की लागत से बनी इमारत में विशेषज्ञ डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की कमी के साथ-साथ प्रशासनिक लापरवाही की वजह से मरीजों को सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। जानिए कैसे नए अस्पतालों के निर्माण के बजाय मौजूदा अस्पताल को सुधारने की जरूरत है।

बुरहानपुर जिला अस्पताल: विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी और प्रशासनिक लापरवाही की कहानी
बुरहानपुर जिला अस्पताल

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिला अस्पताल में 32 करोड़ रुपये की लागत से बनी इमारत में विशेषज्ञ डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की कमी के साथ-साथ प्रशासनिक लापरवाही की वजह से मरीजों को सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। यह अस्पताल जिले के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए था, लेकिन यहां की स्थिति बेहद खराब है। इस रिपोर्ट में हम बुरहानपुर जिला अस्पताल की समस्याओं और उनके समाधान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

विशेषज्ञ डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की कमी

बुरहानपुर जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की कमी एक बड़ी समस्या है। अस्पताल में नई टेक्नोलॉजी की मशीनें आ चुकी हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है क्योंकि उन्हें संचालित करने के लिए पर्याप्त टेक्नीशियन और विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। इसके अलावा, अस्पताल में एनएसीसिया और स्थाई डॉक्टरों की भी कमी है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

नई बिल्डिंग और पुरानी समस्याएं

बुरहानपुर जिला अस्पताल में एक 100 बिस्तरों वाला क्रिटिकल केयर सेंटर बनाने के लिए नए निर्माण कार्य चल रहे हैं। हालांकि, इस नए निर्माण पर बड़ा सवाल यह उठता है कि जब अस्पताल पहले से ही सही तरीके से संचालित नहीं हो पा रहा है, तो फिर नए अस्पतालों का निर्माण क्यों किया जा रहा है? अस्पताल का उद्देश्य मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना है, लेकिन नए निर्माण कार्यों पर जोर देने के बजाय यदि पुराने अस्पताल की समस्याओं का समाधान किया जाता, तो शायद वहां पर मौजूद मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाता।

यहां पर नई तकनीक की मशीनें तो आ चुकी हैं, लेकिन उनके इस्तेमाल की कोई योजना नहीं बन पाई है। मरीजों के इलाज में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर और तकनीशियन की कमी है। अगर मौजूदा अस्पताल को सही तरीके से चलाया जाए, तो नई बिल्डिंग या नए अस्पतालों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी 

राजनेताओं की भूमिका और अस्पताल की दुर्दशा

बुरहानपुर जिला अस्पताल की समस्याओं के पीछे राजनेताओं की भूमिका भी एक बड़ा कारण है। राजनेताओं का ध्यान केवल इस बात पर है कि उनके नाम से कोई नई बिल्डिंग बन जाए, ताकि उनकी छवि चमक सके। उन्हें मरीजों की सुविधाओं या स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस ने इस मामले पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि नेता बिल्डिंग बनाने के पीछे अपना कमीशन कमाना चाहते हैं। उनका मानना है कि स्टाफ की नियुक्ति या विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती से उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं होगा, जबकि निर्माण कार्यों से उन्हें कमीशन मिल सकता है। 

इसी वजह से जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों, टेक्नीशियनों और अन्य स्टाफ की कमी बनी हुई है। अस्पताल में नई मशीनें तो आ चुकी हैं, लेकिन उन्हें चलाने वाले लोग नहीं हैं। यह स्थिति साफ दर्शाती है कि राजनेताओं की प्राथमिकता मरीजों की सेवा नहीं, बल्कि अपने निजी फायदे हैं। इस तरह की मानसिकता ने अस्पताल की दुर्दशा को और बढ़ा दिया है। 

अगर राजनेता वास्तव में जनता की सेवा करना चाहते हैं, तो उन्हें नए निर्माण के बजाय मौजूदा अस्पताल की समस्याओं को हल करने पर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञ डॉक्टरों और स्टाफ की नियुक्ति, बुनियादी सुविधाओं का सुधार, और मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना ही असली विकास होगा। लेकिन अफसोस, राजनेताओं की नीतियां और प्राथमिकताएं इससे अलग ही दिखती हैं। 

लिफ्ट की समस्या

जिला अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए 6 लिफ्ट हैं, लेकिन बिजली बिल ज्यादा आने के चलते प्रशासन ने कुछ को बंद कर रखा है और कुछ खराब पड़ी हैं। इससे मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल में आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अगर तीन लिफ्ट खराब हो गई हैं तो बाकी बची तीन लिफ्ट को मरीजों की सुविधा के लिए शुरू करना चाहिए, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

अस्पताल की अव्यवस्था

जिला अस्पताल की वर्तमान बिल्डिंग में 300 बेड के हिसाब से पचासों कमरे बने हुए हैं, लेकिन वार्ड को अव्यवस्थित तरीके से बनाया गया है। एक ही फ्लोर पर वार्ड व्यवस्थित किए जा सकते हैं, जिससे सभी को आसानी होगी। लेकिन सही मैनेजमेंट नहीं होने के चलते यह दुर्दशा हो रही है। नर्सिंग स्टाफ को भी बार-बार ऊपर-नीचे भागना पड़ रहा है, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।

असामाजिक तत्वों का अड्डा

अस्पताल की बिल्डिंग में बने कमरों और वार्ड का पूरी तरह से उपयोग नहीं होने के चलते वहां पर असामाजिक तत्वों ने अपना अड्डा बना लिया है। जिला अस्पताल के वार्डों में मरीज और उनके परिजनों के मोबाइल और सामान चोरी होने की घटनाएं भी हो चुकी हैं। इससे मरीजों और उनके परिजनों की सुरक्षा को खतरा हो रहा है।

डॉक्टरों की अनुपस्थिति और शिकायतों से बचने की कोशिश

जिला अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति और उनकी उपलब्धता को लेकर एक नई समस्या उभरी है। पहले डॉक्टरों के चेंबर के बाहर उनके नाम लिखे होते थे, जिससे मरीज और उनके परिजन आसानी से संबंधित डॉक्टर तक पहुंच पाते थे। लेकिन अब डॉक्टरों के नाम हटाकर विभाग का नाम लिख दिया गया है, जैसे "अस्थि रोग विभाग" या "हृदय रोग विभाग"। इससे मरीजों को असमंजस का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें समझ नहीं आता कि किस डॉक्टर से मिलें या किससे अपनी समस्या का समाधान कराएं। 

विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह कदम डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली शिकायतों से बचने के लिए उठाया गया है। पहले मरीज डॉक्टरों के नाम से शिकायत दर्ज कराते थे, लेकिन अब विभाग का नाम लिखने से शिकायतों को व्यक्तिगत स्तर पर ट्रैक करना मुश्किल हो गया है। इस तरह, डॉक्टरों की जवाबदेही कम हो गई है, जबकि मरीजों की परेशानियां बढ़ गई हैं। यह स्थिति अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और मरीजों की सुविधाओं के प्रति उदासीनता को दर्शाती है। 

इस समस्या का समाधान करने के लिए डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए और चेंबर के बाहर उनके नाम स्पष्ट रूप से लिखे जाने चाहिए। साथ ही, शिकायत निवारण तंत्र को पारदर्शी बनाने की जरूरत है ताकि मरीजों को उचित इलाज मिल सके और उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। 

समाधान के सुझाव

  • विशेषज्ञ डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की भर्ती: जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की कमी को दूर करने के लिए तुरंत नया स्टाफ भर्ती किया जाना चाहिए।
  • मौजूदा अस्पताल को सुधारना: नए अस्पतालों के निर्माण के बजाय मौजूदा अस्पताल को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।
  • लिफ्ट की समस्या का समाधान: अस्पताल में लिफ्ट की समस्या को दूर करने के लिए तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • अस्पताल की व्यवस्था में सुधार: अस्पताल के वार्ड और कमरों को व्यवस्थित तरीके से बनाया जाना चाहिए ताकि मरीजों और स्टाफ को आसानी हो।
  • सुरक्षा व्यवस्था: अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए ताकि मरीज और उनके परिजन सुरक्षित महसूस कर सकें।

सुधार की दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत

बुरहानपुर जिला अस्पताल की समस्याएं गंभीर हैं और इन्हें तुरंत हल किए जाने की आवश्यकता है। नए अस्पतालों के निर्माण के बजाय मौजूदा अस्पताल को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञ डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की भर्ती, लिफ्ट की समस्या का समाधान, और अस्पताल की व्यवस्था में सुधार करके मरीजों को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। प्रशासन और राजनेताओं को मरीजों की सुविधाओं पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि जिला अस्पताल एक सर्व सुविधा युक्त स्वास्थ्य केंद्र बन सके।