ग्वालियर में दलित परिवार पर दबंगों का हमला, पुलिस कार्रवाई में देरी के बाद मामला एसपी ऑफिस पहुंचा
ग्वालियर में दलित परिवार पर दबंगों द्वारा तेज रफ्तार गाड़ियों को रोकने पर हमला किया गया। पुलिस ने शिकायत न दर्ज की, लेकिन अब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई का आश्वासन।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में एक दलित परिवार के साथ हुए मारपीट के मामले ने तूल पकड़ लिया है। दबंग राठौर परिवार द्वारा एक दलित परिवार की बेरहमी से लाठी-डंडों और लात-घूंसों से की गई मारपीट का मामला अब पुलिस कार्रवाई की राह में फंस गया है। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, और जब पीड़ित परिवार थाने में शिकायत करने गया, तो पुलिस ने उन्हें कथित रूप से भगा दिया। अंततः पीड़ित परिवार ने न्याय की गुहार लगाने के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के समक्ष आवेदन दिया, जिसके बाद संबंधित थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया।
घटना की पृष्ठभूमि
यह घटना 21 जनवरी 2025 को ग्वालियर के थाटीपुर थाना क्षेत्र के नदीपार टाल इलाके में घटित हुई। यहां रहने वाला दलित परिवार, श्रीकांत बिजोरिया, अपनी मां और बहन के साथ उस समय निशाना बना, जब उन्होंने मोहल्ले में नशेड़ियों द्वारा तेज रफ्तार से गाड़ियों के चलने पर आपत्ति जताई। यह गाड़ियाँ नशे के सामान, खासतौर पर गांजा, लेकर जाती थीं, और श्रीकांत का कहना था कि इस वजह से उनके बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा था। जब उन्होंने इन गाड़ियों के तेज रफ्तार चलने पर रोक लगाई, तो राठौर परिवार के दबंग सदस्य ने जाति सूचक गालियाँ देते हुए उन पर हमला कर दिया।
श्रीकांत और उनके परिवार पर हुए इस हमले में उन्हें गंभीर चोटें आईं। श्रीकांत के सिर में गंभीर चोट आई और उनकी बहन और मां को भी चोटें आईं। हालांकि घटना के बाद पीड़ित परिवार ने तुरंत ही थाने में शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की और उन्हें भगा दिया। इसके बाद उन्होंने एसपी ऑफिस पहुंचकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री कृष्ण लालचंदानी से मुलाकात की और न्याय की गुहार लगाई।
पुलिस के सामने चुनौती
घटना के बाद जब पीड़ित परिवार थाटीपुर थाना पहुंचा, तो उन्हें वहां से बिना किसी मदद के लौटा दिया गया। उनका आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने के बजाय उन्हें खारिज कर दिया। इससे न केवल पीड़ित परिवार में आक्रोश था, बल्कि उन्हें पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल उठाने का कारण मिला। इसके बावजूद, पीड़ित परिवार ने हार नहीं मानी और सीसीटीवी फुटेज के साथ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचे। इस बार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री कृष्ण लालचंदानी ने मामले को गंभीरता से लिया और उन्होंने थाटीपुर थाना प्रभारी को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
आरोपियों पर गंभीर आरोप
श्रीकांत ने अपनी शिकायत में राठौर परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राठौर परिवार का संबंध मादक पदार्थों के कारोबार से है। आरोप है कि ये लोग गांजा बेचते हैं, और इस दौरान इलाके में नशेड़ियों की तेज रफ्तार गाड़ियों की आवाजाही होती है। श्रीकांत का कहना था कि उनके बच्चे बाहर खेलते हैं, और तेज रफ्तार गाड़ियों के कारण उनकी जान को खतरा था। जब उन्होंने इस पर आपत्ति जताई, तो राठौर परिवार ने उनका उत्पीड़न शुरू कर दिया।
राठौर परिवार के चार सदस्य – रंजीत, प्रशांत, बबलू राठौर और उनकी मां गुड्डी राठौर पर इस हमले का आरोप है। इन लोगों ने श्रीकांत और उनके परिवार पर लाठी-डंडों, बेल्ट और लात-घूंसों से हमला किया। घटना के बाद पीड़ित परिवार ने सीसीटीवी फुटेज प्रस्तुत किया, जिसमें पूरी घटना साफ दिखाई दे रही थी। इस फुटेज के आधार पर पुलिस को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, सीसीटीवी फुटेज धुंधला होने के कारण उसकी तस्दीक की जाएगी।
कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री कृष्ण लालचंदानी ने पीड़ित परिवार से मिले सीसीटीवी फुटेज को देखा और संबंधित थाना प्रभारी केके पाराशर को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। थाना प्रभारी ने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा और जांच की जाएगी।
थाटीपुर थाना प्रभारी केके पाराशर ने कहा कि यह विवाद पुरानी रंजिश के कारण हुआ था और दोनों परिवारों के बीच पहले भी मतभेद रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और सीसीटीवी फुटेज की तस्दीक की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आरोप सही हैं या नहीं।
न्याय की उम्मीद
पुलिस अधिकारियों द्वारा की जा रही इस कार्रवाई के बावजूद, पीड़ित परिवार ने न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ी है। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि आरोपियों को सजा मिले और उनका उत्पीड़न रुक सके। श्रीकांत और उनके परिवार का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, ताकि समाज में समानता और सुरक्षा का माहौल बना रहे।
ग्वालियर के इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या पुलिस प्रशासन वास्तव में कमजोर और दबे हुए वर्गों की सुरक्षा कर पा रहा है? जब किसी दलित परिवार पर हमला होता है और शिकायत दर्ज करने की कोशिश की जाती है, तो पुलिस का रवैया क्या होना चाहिए? इस मामले में यह स्पष्ट है कि पुलिस के एक हिस्से ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की, लेकिन अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा।