छतरपुर: सूबेदार पर दुष्कर्म का केस, 'बेटी की पेटी' से बढ़ी हिम्मत – जानें पूरी कहानी
मध्य प्रदेश के छतरपुर में 'बेटी की पेटी' पहल के तहत एक युवती की शिकायत पर सूबेदार शारदा प्रसाद यादव पर दुष्कर्म का मामला दर्ज। जानें पुलिस की कार्रवाई और सोशल मीडिया की भूमिका।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में पुलिस की अनूठी पहल 'बेटी की पेटी' ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। इस पहल के तहत एक युवती की शिकायत पर यातायात थाने में तैनात रहे सूबेदार शारदा प्रसाद यादव के खिलाफ महिला थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब गूंज सुनाई दे रही है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं।
'बेटी की पेटी' ने दिखाया असर
छतरपुर पुलिस की 'बेटी की पेटी' पहल महिलाओं और युवतियों को अपनी शिकायतें बिना किसी डर के दर्ज करने का एक सुरक्षित मंच प्रदान करती है। इस बार एक युवती ने इस मंच का सहारा लिया और सूबेदार शारदा प्रसाद यादव पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का गंभीर आरोप लगाया। युवती की शिकायत के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 69 और 351 के तहत मामला दर्ज किया। महिला थाना प्रभारी सुनीता बिंदुआ ने बताया कि यह कार्रवाई वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर की गई है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि सूबेदार शारदा प्रसाद यादव ने शादी का वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। जब युवती ने शादी की बात आगे बढ़ाई, तो आरोपी ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद पीड़िता ने 'बेटी की पेटी' में अपनी शिकायत दर्ज की, जिसके आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पीड़िता का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया है और जल्द ही उसके बयान को धारा 164 के तहत छतरपुर जिला न्यायालय में दर्ज किया जाएगा।
समझौते और विवाद का पुराना इतिहास
इस मामले में एक और चौंकाने वाला पहलू सामने आया है। पहले भी पीड़िता ने सूबेदार के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन उस समय दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता हो गया था। बताया जाता है कि इस समझौते में पीड़िता के परिवार को 15 लाख रुपये देने की बात हुई थी। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी तत्कालीन महिला थाना प्रभारी ने कराई थी। हालांकि, इस बार मामला समझौते से आगे बढ़ गया और पीड़िता की शिकायत पर FIR दर्ज की गई। पुलिस ने बताया कि पीड़िता का मानसिक संतुलन पूरी तरह ठीक नहीं होने के कारण उसके बयान दर्ज करने में देरी हुई। बयान शाम 4 बजे से लेकर देर रात 3-4 बजे तक दर्ज किए गए।
सोशल मीडिया पर उठी आवाज
इस मामले को और बल तब मिला, जब अधिवक्ता दिनेश कुमार चौहान ने पीड़िता की शिकायत को सोशल मीडिया और X प्लेटफॉर्म पर साझा किया। उन्होंने डीजीपी, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को टैग करते हुए इस मामले में न्याय की मांग की। सोशल मीडिया पर इस पोस्ट के बाद लोगों का ध्यान इस ओर गया और पुलिस पर कार्रवाई का दबाव बढ़ा। स्थानीय लोग इस पहल की सराहना कर रहे हैं, क्योंकि यह महिलाओं को अपनी आवाज उठाने का हौसला देता है।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
महिला थाना प्रभारी सुनीता बिंदुआ ने बताया कि पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण पूरा हो चुका है और अब उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या समझौते के दावों में कोई सच्चाई है और क्या इसमें कोई अन्य पक्ष शामिल है। इस बीच, आरोपी सूबेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
'बेटी की पेटी' की अहमियत
'बेटी की पेटी' जैसी पहल न केवल महिलाओं को सशक्त बनाती है, बल्कि समाज में यह संदेश भी देती है कि कोई भी गलत काम करने वाला कानून से बच नहीं सकता। छतरपुर पुलिस की यह पहल पहले भी कई मामलों में प्रभावी साबित हुई है और इस बार भी इसने अपनी सार्थकता सिद्ध की है।
न्याय की उम्मीद
छतरपुर का यह मामला एक बार फिर यह दर्शाता है कि समाज में बदलाव की शुरुआत छोटे-छोटे कदमों से होती है। 'बेटी की पेटी' जैसी योजनाएं न केवल पीड़िताओं को न्याय दिलाने में मदद करती हैं, बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाती हैं। इस मामले में पुलिस की त्वरित कार्रवाई और सोशल मीडिया की भूमिका ने इसे और प्रभावी बनाया है। अब सभी की नजर इस बात पर है कि जांच का परिणाम क्या होगा और पीड़िता को न्याय कब मिलेगा।