धुले पुलिस प्रशिक्षण केंद्र: पूर्व सैनिक की मौत ने खड़े किए कार्यप्रणाली पर सवाल
धुले पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में 42 वर्षीय पूर्व सैनिक पंकज घावट की संदिग्ध मौत ने सनसनी मचा दी। प्रशिक्षण के दौरान हुई इस घटना ने केंद्र की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। पूरी खबर पढ़ें।

- धुले पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में पूर्व सैनिक पंकज घावट की रहस्यमयी मौत ने मचाई सनसनी
- सुबह की दौड़ के बाद अचानक बिगड़ी तबीयत, प्रशासन की चुप्पी से बढ़ा सस्पेंस
- ट्रेनिंग की सख्ती और पारदर्शिता की कमी पर उठे सवाल, जांच की मांग तेज
धुले के पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में एक बड़ी घटना ने सबको चौंका दिया है। यहां प्रशिक्षण ले रहे 42 साल के पूर्व सैनिक पंकज लक्ष्मणराव घावट की अचानक मौत हो गई। यह घटना सुबह की दौड़ (रनिंग) के दौरान हुई, जिसके बाद से प्रशिक्षण केंद्र की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। पंकज अचलपुर के सावळापुर गांव के रहने वाले थे और भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद पिछले एक साल से पुलिस कांस्टेबल की ट्रेनिंग ले रहे थे। इस घटना ने न सिर्फ प्रशिक्षण केंद्र बल्कि पूरे पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
क्या हुआ था उस सुबह?
बताया जा रहा है कि सुबह के वक्त सभी प्रशिक्षणार्थी रोजाना की तरह दौड़ में हिस्सा ले रहे थे। पंकज ने भी दौड़ पूरी की, लेकिन लेनिन चौक के पास अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और वो जमीन पर गिर पड़े। साथी प्रशिक्षणार्थियों ने फौरन उन्हें संभाला और पुलिस वैन से धुले के जिला अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस खबर ने पूरे प्रशिक्षण केंद्र में सनसनी मचा दी।
प्रशिक्षण केंद्र की कार्यप्रणाली पर सवाल
धुले पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में वर्तमान में 649 प्रशिक्षणार्थी बेसिक ट्रेनिंग ले रहे हैं। इसमें रनिंग, परेड और शारीरिक अभ्यास शामिल हैं। लेकिन पंकज की मौत के बाद केंद्र के प्रशिक्षण के तरीकों पर उंगलियां उठ रही हैं। कुछ प्रशिक्षणार्थियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पंकज को दौड़ के बाद कथित तौर पर शारीरिक सजा (पनिशमेंट) दी गई थी, जिसके बाद उनकी हालत और बिगड़ गई। हालांकि, प्रशासन इस बात को नकार रहा है और मामले पर चुप्पी साधे हुए है।
प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य विजय पवार ने कहा, “पंकज की मौत का सही कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा। यह घटना बेसिक ट्रेनिंग के दौरान हुई है।” लेकिन उनकी इस सफाई से प्रशिक्षणार्थियों और स्थानीय लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ। कई लोगों का कहना है कि प्रशासन इस मामले में जिम्मेदारी लेने से बच रहा है।
पारदर्शिता पर उठे सवाल
घटना के बाद जब पत्रकारों ने प्रशिक्षण केंद्र में जानकारी लेने की कोशिश की, तो उन्हें प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया गया। इससे केंद्र की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। कुछ प्रशिक्षणार्थियों ने बताया कि उन्हें इस मामले में मीडिया से बात करने से मना किया गया और धमकियां भी दी गईं। इससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया है।
पंकज घावट कौन थे?
पंकज लक्ष्मणराव घावट भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके थे। 9 अक्टूबर 2024 से वो धुले पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में कांस्टेबल की ट्रेनिंग ले रहे थे। रोजाना के अभ्यास में वो पूरी तरह सक्रिय थे। उनकी अचानक मौत ने न सिर्फ उनके परिवार बल्कि प्रशिक्षण केंद्र के अन्य प्रशिक्षणार्थियों को भी सदमे में डाल दिया है।
प्रशासन की चुप्पी, बढ़ता सस्पेंस
पंकज की मौत के बाद प्रशिक्षण केंद्र में तनाव और चुप्पी का माहौल है। प्रशिक्षणार्थियों में नाराजगी साफ देखी जा रही है। कई लोग मानते हैं कि अगर समय पर सही इलाज मिल जाता, तो शायद पंकज को बचाया जा सकता था। लेकिन प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जो इस रहस्यमयी मौत के कारणों को स्पष्ट कर सकती है।
क्या है आगे की राह?
इस घटना ने पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में ट्रेनिंग के तरीकों और प्रशिक्षणार्थियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या प्रशिक्षण के दौरान जरूरत से ज्यादा सख्ती बरती जा रही है? क्या प्रशिक्षणार्थियों की सेहत का ध्यान रखा जा रहा है? इन सवालों के जवाब प्रशासन को देने होंगे। साथ ही, इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग भी जोर पकड़ रही है।
पंकज की मौत ने न सिर्फ उनके परिवार को गहरा दुख दिया है, बल्कि यह घटना पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों के लिए एक सबक भी है। प्रशिक्षण के दौरान सुरक्षा और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।