इंदौर में रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया नगर निगम का ऑफिस अधीक्षक
इंदौर के जोन 18 के ऑफिस अधीक्षक संजय वैध को लोकायुक्त पुलिस ने 7,000 रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। पढ़ें इस भ्रष्टाचार मामले की पूरी कहानी और लोकायुक्त की कार्रवाई।

- संजय वैध को इंदौर में 7,000 रुपये रिश्वत लेते लोकायुक्त ने पकड़ा
- संजय सिंगोलिया की शिकायत पर वर्ल्ड कप चौराहा में ट्रैप कार्रवाई
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज, जाँच जारी
मध्य प्रदेश: इंदौर के नगर निगम में एक बार फिर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहाँ जोन क्रमांक 18 के ऑफिस अधीक्षक संजय वैध को लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। यह कार्रवाई 21 मई 2025 को वर्ल्ड कप चौराहा पुल के नीचे की गई, जब संजय वैध एक कर्मचारी से 7,000 रुपये की रिश्वत ले रहे थे। इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 7 के तहत कार्रवाई शुरू की गई है।
मामला क्या है?
संजय सिंगोलिया, जो कि इंदौर के लाला रामनगर के निवासी हैं और 40 वर्ष के हैं, ने लोकायुक्त पुलिस को शिकायत दर्ज की थी। संजय सिंगोलिया 2008 से जुलाई 2024 तक नगर निगम के जोन क्रमांक 11, 18 और वार्ड क्रमांक 63 में मस्टर ड्रेनेज कर्मी के रूप में काम कर रहे थे। जुलाई 2024 में अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन के आदेश पर उन्हें नौकरी से हटा दिया गया था। लेकिन 13 मई 2025 को उपायुक्त, नगर निगम इंदौर ने उन्हें फिर से जोन क्रमांक 18 में ड्रेनेज कर्मी के रूप में नियुक्त करने का आदेश जारी किया।
जब संजय सिंगोलिया इस नियुक्ति आदेश के साथ जोन 18 के ऑफिस अधीक्षक संजय वैध से मिलने गए, तो संजय वैध ने उनसे नियुक्ति के बदले 20,000 रुपये की रिश्वत मांगी। काफी अनुरोध के बाद संजय वैध 15,000 रुपये में राजी हो गए और उसी दिन संजय सिंगोलिया से 5,000 रुपये ले लिए। साथ ही, उन्होंने बाकी रकम न देने पर नियुक्ति रोकने की धमकी दी। परेशान होकर संजय सिंगोलिया ने इसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस, इंदौर को की।
लोकायुक्त की कार्रवाई
लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत की जाँच की और इसे सही पाया। इसके बाद, 21 मई 2025 को एक ट्रैप दल का गठन किया गया। इस दल में उप पुलिस अधीक्षक आनंद चौहान, निरीक्षक राहुल गजभiye, और अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे। संजय वैध ने संजय सिंगोलिया को वर्ल्ड कप चौराहा पुल के नीचे बुलाया और बाकी बची 7,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए।
ट्रैप दल में शामिल पुलिसकर्मियों में आरक्षक आदित्य सिंह भदौरिया, पवन पटोरिया, आशीष नायडू, कमलेश परिहार, मनीष माथुर, श्री कृष्ण अहिरवार और चालक शेर सिंह ठाकुर थे। इस कार्रवाई से इंदौर में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश गया है।
भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार
यह मामला इंदौर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस की सख्ती को दर्शाता है। नगर निगम जैसे सरकारी विभागों में रिश्वतखोरी की घटनाएँ समय-समय पर सामने आती रही हैं। इस तरह की कार्रवाइयाँ न केवल दोषियों को सजा दिलाने में मदद करती हैं, बल्कि आम लोगों का भरोसा भी बढ़ाती हैं। संजय सिंगोलिया जैसे कर्मचारियों की हिम्मत और लोकायुक्त की त्वरित कार्रवाई इस मामले में सराहनीय है।
आगे की कार्रवाई
लोकायुक्त पुलिस ने संजय वैध के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले में आगे की जाँच जारी है, और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है। यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को पूरी तरह खत्म करने के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता जरूरी
यह मामला आम लोगों के लिए भी एक सबक है। अगर कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी रिश्वत की मांग करता है, तो उसकी शिकायत तुरंत लोकायुक्त या संबंधित अधिकारियों से करनी चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने से न केवल आपका हक सुरक्षित रहता है, बल्कि समाज में सुधार भी आता है।
इंदौर जैसे शहर, जो स्वच्छता के लिए पूरे देश में जाना जाता है, में इस तरह की घटनाएँ चिंता का विषय हैं। लेकिन लोकायुक्त की इस कार्रवाई से यह उम्मीद जागती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।