कोटपा एक्ट-2003: तम्बाकू नियंत्रण के लिए जिला स्तरीय बैठक

बुरहानपुर में कोटपा एक्ट-2003 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित हुई। तम्बाकू नियंत्रण के दिशा-निर्देशों और आवश्यक कार्यवाहियों पर चर्चा।

कोटपा एक्ट-2003: तम्बाकू नियंत्रण के लिए जिला स्तरीय बैठक
जिला स्तरीय समिति की बैठक सम्पन्न

बुरहानपुर, मध्य प्रदेश: आज बुरहानपुर जिले के संयुक्त जिला कार्यालय सभाकक्ष में कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय तम्बाकू नियंत्रण कानून, जिसे कोटपा एक्ट-2003 कहा जाता है, के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा की गई। यह बैठक जिला स्तरीय तम्बाकू नियंत्रण समिति द्वारा आयोजित की गई थी। इस बैठक में म.प्र. वॉलंट्री हेल्थ एसोसिएशन इंदौर के कार्यकारी निदेशक श्री मुकेश सिन्हा ने कोटपा अधिनियम 2003 की विभिन्न धाराओं के बारे में जानकारी दी और इसके अनुपालन को सुनिश्चित करने के उपायों पर चर्चा की।

कोटपा एक्ट-2003 का महत्व और प्रभाव

भारत में तम्बाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों के कारण मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है, और इसके कारण स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके चलते भारत सरकार ने तम्बाकू सेवन को नियंत्रित करने के लिए कोटपा एक्ट-2003 (सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पादों का विज्ञापन, व्यापार, उत्पादन, और वितरण का नियमन) लागू किया है। इस अधिनियम का उद्देश्य तम्बाकू के सेवन से होने वाली हानियों से नागरिकों को, विशेषकर बच्चों और युवाओं को बचाना है।

कोटपा एक्ट-2003 के तहत कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान

1. सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध

कोटपा एक्ट की धारा 4 के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। बैठक में यह निर्देश दिया गया कि जिले में सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध संबंधी न्यूनतम 60×30 से.मी. आकार के सूचना बोर्ड लगाए जाएं, ताकि लोगों को इस प्रतिबंध के बारे में जागरूक किया जा सके। इसके अलावा, यदि किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई व्यक्ति धूम्रपान करता हुआ पाया जाता है, तो उस पर 200 रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा।

2. तम्बाकू उत्पादों का प्रचार-प्रसार प्रतिबंधित

कोटपा एक्ट की धारा 5 के तहत तम्बाकू उत्पादों के प्रचार, स्पॉन्सरशिप, और किसी भी तरह के प्रोत्साहन को निषेध किया गया है। यानी तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन या इनके प्रचार-प्रसार के लिए कोई भी गतिविधि नहीं की जा सकती। इससे तम्बाकू उद्योग को बढ़ावा देने वाली किसी भी तरह की गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है।

3. किशोरों को तम्बाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित

धारा 6(a) के तहत 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को तम्बाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है। इसके साथ ही, धारा 6(b) के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज (300 फीट) के दायरे में तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है। तम्बाकू उत्पादों के विक्रेताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे किशोरों को तम्बाकू उत्पाद न बेचें, अन्यथा उन पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त, किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 77 के तहत, यदि कोई नाबालिक को तम्बाकू उत्पाद बेचा जाता है, तो दोषी व्यक्ति को 7 वर्ष तक की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

4. तम्बाकू उत्पादों पर चेतावनी का प्रावधान

कोटपा एक्ट की धारा 7 के तहत तम्बाकू उत्पादों के पैकेट पर 85 प्रतिशत चेतावनी प्रदर्शित करना अनिवार्य है, जिसमें 60 प्रतिशत चित्रात्मक और 25 प्रतिशत लिखित चेतावनी होनी चाहिए। बिना चेतावनी के तम्बाकू उत्पाद बेचना अवैध होगा। यह चेतावनी स्वास्थ्य के खतरों के बारे में उपभोक्ताओं को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

5. इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध

2019 में लागू किए गए एक अन्य अधिनियम के तहत इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) का उत्पादन, विक्रय, आयात, निर्यात, भंडारण, वितरण और प्रचार पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। यदि जिले में कोई व्यक्ति इस प्रतिबंध का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस प्रतिबंध के तहत हुक्का बार भी पूरी तरह से निषेध किए गए हैं, और हुक्का बार संचालित करने वाले व्यक्ति के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तम्बाकू नियंत्रण के लिए फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबेको कंट्रोल (FCTC) का प्रारूप 2004 में भारत द्वारा स्वीकार किया था। इसके तहत, तम्बाकू उत्पादों के सेवन को बढ़ावा देने वाले आयोजनों, प्रचार, प्रोत्साहन आदि पर रोक लगाई गई है। भारत सरकार की नीति यह सुनिश्चित करती है कि तम्बाकू उत्पादों के विक्रेताओं और उद्योगों द्वारा किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप के बिना तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम और लोक स्वास्थ्य नीतियों को लागू किया जाए।

जिला स्तर पर तम्बाकू नियंत्रण समिति की भूमिका

जिला स्तरीय तम्बाकू नियंत्रण समिति की बैठक में सभी संबंधित विभागों को उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में अवगत कराया गया। कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल ने बैठक में शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, और पुलिस विभाग को कोटपा एक्ट के तहत आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। इन विभागों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में उठाए गए कदम प्रभावी रूप से लागू हों और किसी भी प्रकार के उल्लंघन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

समिति की बैठक में उठाए गए अन्य मुद्दे

बैठक में यह भी चर्चा की गई कि तम्बाकू नियंत्रण के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। यह कार्यक्रम विशेष रूप से बच्चों और युवाओं को तम्बाकू के सेवन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से किए जाएंगे। इसके अलावा, तम्बाकू मुक्त गांव और तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण की दिशा में भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

तम्बाकू नियंत्रण में समन्वित प्रयासों की आवश्यकता

कोटपा एक्ट-2003 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी विभागों का समन्वय और उनकी सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। इस अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधानों का कड़ाई से पालन करके हम तम्बाकू के सेवन से होने वाली हानियों से समाज को बचा सकते हैं। कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल के नेतृत्व में बुरहानपुर जिले में तम्बाकू नियंत्रण के प्रयासों को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा, जिससे नागरिकों, खासकर बच्चों और युवाओं को तम्बाकू के खतरों से बचाया जा सके।