बसंत पंचमी पर मां सरस्वती के साथ पूजे गए किशोर कुमार – मूर्तिकार की अनोखी कृति, देखें तस्वीरें और जानें दिलचस्प कहानी!
पश्चिम बंगाल में बसंत पंचमी के अवसर पर एक मूर्तिकार ने मां सरस्वती के साथ महान गायक किशोर कुमार की प्रतिमा स्थापित की, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी। यह अनूठी मूर्तिकला सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है।
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खंडवा, मध्य प्रदेश: बसंत पंचमी, जिसे विद्या और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है, इस बार एक अनूठी वजह से चर्चा में रही। पश्चिम बंगाल में एक प्रतिभाशाली मूर्तिकार ने मां सरस्वती के साथ महान गायक किशोर कुमार की प्रतिमा बनाकर स्थापित की, जिसने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया।
किशोर कुमार, जो अपने सदाबहार गानों के लिए जाने जाते हैं, आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवंत हैं। खासकर कोलकाता में, जहां उनके प्रशंसक उन्हें किसी देवता से कम नहीं मानते। इस बार बसंत पंचमी के अवसर पर एक मूर्तिकार ने अपनी कला के माध्यम से किशोर दा को अनोखी श्रद्धांजलि दी, जिसमें उन्हें मां सरस्वती के साथ वीणा बजाते हुए दिखाया गया। इस अद्भुत प्रतिमा ने लोगों के दिलों को छू लिया और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं।
मां सरस्वती के साथ किशोर कुमार – बसंत पंचमी का मुख्य आकर्षण
बसंत पंचमी पर पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्थानों पर मां सरस्वती की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गईं, लेकिन एक विशेष प्रतिमा ने सबका ध्यान खींचा। इस मूर्ति में मां सरस्वती के साथ प्लेबैक सिंगिंग के बादशाह किशोर कुमार को वीणा बजाते हुए दिखाया गया था। यह पहली बार था जब किसी मूर्तिकार ने बसंत पंचमी के अवसर पर संगीत और भक्ति के इस अद्भुत संगम को मूर्त रूप दिया।
प्रतिमा की खूबसूरती और अनोखी अवधारणा के कारण, जो भी इसे देखता, उसकी तस्वीर लेने से खुद को रोक नहीं पाता। यह मूर्ति बसंत पंचमी के दौरान आकर्षण का केंद्र बनी रही और देखते ही देखते इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।
कोलकाता में किशोर कुमार की दीवानगी
कोलकाता और पश्चिम बंगाल में किशोर कुमार के चाहने वालों की संख्या अनगिनत है। आज भी वहां के लोग उनकी गायकी को पूजते हैं। किशोर कुमार का जन्म भले ही खंडवा, मध्य प्रदेश में हुआ हो, लेकिन उनकी जड़ें बंगाल से भी जुड़ी थीं। उन्होंने बंगाली, हिंदी और अन्य कई भाषाओं में गाने गाए, जो आज भी हर उम्र के लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं।
उनके गाए हुए गीत न केवल भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा हैं, बल्कि आज भी युवाओं की धड़कन बने हुए हैं। "मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू", "पल पल दिल के पास", "रूप तेरा मस्ताना", "एक लड़की भीगी भागी सी" जैसे उनके गाने सदाबहार हैं और हर पीढ़ी के संगीत प्रेमियों की पसंद बने हुए हैं।
यही कारण है कि पश्चिम बंगाल के इस मूर्तिकार ने बसंत पंचमी के अवसर पर किशोर दा को मां सरस्वती के साथ जोड़ते हुए एक अनूठी प्रतिमा का निर्माण किया।
किशोर कुमार की विरासत को नया आयाम
इस प्रतिमा के माध्यम से मूर्तिकार ने किशोर कुमार की अनमोल विरासत को एक नई पहचान दी है। किशोर कुमार सिर्फ एक गायक ही नहीं, बल्कि एक संगीतकार, अभिनेता, निर्माता और निर्देशक भी थे। उनके गानों में जो ऊर्जा और भावनाएं थीं, वे आज भी श्रोताओं के दिलों में जिंदा हैं।
बसंत पंचमी के इस विशेष मौके पर, पश्चिम बंगाल में इस अनूठी प्रतिमा की स्थापना यह दर्शाती है कि किशोर कुमार की लोकप्रियता समय के साथ और बढ़ती जा रही है। इस मूर्तिकला के माध्यम से, संगीत और भक्ति का एक सुंदर मेल प्रस्तुत किया गया, जिसने कला प्रेमियों को भावुक कर दिया।
पूजा-अर्चना और भव्य आयोजन
बसंत पंचमी के इस पावन अवसर पर मां सरस्वती और किशोर कुमार की इस विशेष प्रतिमा की सार्वजनिक रूप से पूजा-अर्चना की गई। पूरे पश्चिम बंगाल में विभिन्न स्थानों पर बड़े स्तर पर सरस्वती पूजा का आयोजन किया गया।
युवा संगठनों ने पूरे उत्साह और भक्ति भाव से जगह-जगह भव्य पंडाल और आकर्षक मंडप बनाकर मां सरस्वती की पूजा की। इस दौरान किशोर कुमार के प्रसिद्ध गानों को भी बजाया गया, जिससे माहौल संगीतमय हो गया। इस आयोजन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और इस विशेष प्रतिमा के दर्शन किए।
सोशल मीडिया पर छाया यह अनोखा आयोजन
जैसे ही इस प्रतिमा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं, यह वायरल हो गईं। किशोर कुमार के प्रशंसकों ने इस पहल की सराहना की और इसे संगीत प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस प्रतिमा की तस्वीरें तेजी से शेयर की गईं, जिससे यह देश-विदेश में चर्चा का विषय बन गई।
म्यूजिक लवर्स ने इस मूर्तिकला को एक अनोखी श्रद्धांजलि बताया और कहा कि इससे साबित होता है कि किशोर कुमार का जादू कभी फीका नहीं पड़ेगा।
किशोर कुमार का संगीत अमर है
बसंत पंचमी का यह विशेष आयोजन एक यादगार क्षण बन गया, जिसमें मां सरस्वती के साथ किशोर कुमार को सम्मान देने की अनूठी पहल की गई। इस मूर्तिकला ने यह साबित कर दिया कि किशोर कुमार न केवल एक गायक थे, बल्कि वे संगीत की आत्मा थे, जो हर दिल में आज भी बसे हुए हैं।
इस अनूठी प्रतिमा के जरिए, संगीत और भक्ति का एक नया अध्याय जुड़ा, जिसने कला प्रेमियों और किशोर कुमार के फैंस के लिए यह बसंत पंचमी और भी खास बना दी।