दिग्विजय सिंह का बीजेपी पर हमला, संविधान और चुनाव को लेकर गंभीर आरोप
दिग्विजय सिंह ने बीजेपी और आरएसएस पर संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने और चुनावों में धांधली करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने ईवीएम पर भी सवाल उठाए और सरकार की नीतियों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।
ग्वालियर: पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके अनुषांगिक संगठनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी और उससे जुड़े संगठन देश के संविधान की हत्या करने पर तुले हुए हैं। खासकर, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर दिग्विजय सिंह ने कड़ा एतराज जताया। मोहन भागवत ने 1947 में मिली देश की आजादी पर सवाल उठाया था, और इस बयान को दिग्विजय सिंह ने उन सभी शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
संविधान की हत्या की कोशिश
दिग्विजय सिंह ने कहा कि आजकल देश में संवैधानिक संस्थाओं पर कट्टरवादी विचारधारा हावी होती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस के विचारधारा से जुड़े लोगों को जान-बूझकर संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्त किया जा रहा है। इससे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उनका मानना था कि जब संवैधानिक संस्थाओं में पक्षपाती लोग बैठेंगे तो निष्पक्ष चुनाव होना मुश्किल हो जाएगा।
चुनाव आयोग पर सवाल
दिग्विजय सिंह ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पहले चुनाव आयोग के प्रमुख को प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा चुना जाता था, लेकिन अब मुख्य न्यायाधीश को इससे हटा दिया गया है। अब चुनाव आयोग के प्रमुख का चयन केंद्र सरकार की इच्छाओं के अनुसार किया जा रहा है। उन्होंने इसे एक 'एजेंट' के रूप में काम करने की कोशिश करार दिया। उनका आरोप था कि यह सरकार के पक्ष में चुनावों को प्रभावित करने की साजिश हो सकती है।
महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में धांधली के आरोप
दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन चुनावों में भारी धांधली की गई थी। उन्होंने यह दावा किया कि सिर्फ छह महीने के भीतर महाराष्ट्र में 47 लाख नए वोटर जोड़े गए थे, जिनका रिकॉर्ड चुनाव आयोग और राज्य सरकार द्वारा नहीं दिया जा रहा है। जब कांग्रेस पार्टी ने इस वोटर सूची की मांग की तो न तो महाराष्ट्र सरकार ने और न ही चुनाव आयोग ने कोई ठोस पहल की। यह स्थिति कई सवाल खड़े करती है और चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह उत्पन्न करती है।
ईवीएम पर सवाल
दिग्विजय सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर बैलेट पेपर से चुनाव नहीं कराए जा सकते, तो कम से कम मतदाताओं को वोट डालने के बाद एक पर्ची दी जाए, ताकि उन्हें यह भरोसा हो सके कि उनका वोट सही जगह गया है। उन्होंने कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाए जाने के बावजूद सरकार ईवीएम के प्रति अपनी निष्ठा बनाए हुए है, जिससे जनता की विश्वासनीयता पर असर पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप जनता की भावनाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। दिग्विजय सिंह के अनुसार, अगर इस मामले में जल्द सुधार नहीं किया गया तो लोकतंत्र की बुनियादी संस्थाओं पर असर पड़ सकता है।
सौरभ शर्मा का मामला
इसके अलावा, दिग्विजय सिंह ने परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के बारे में भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देश की तीन बड़ी एजेंसियां सौरभ शर्मा को तलाशने में नाकामयाब रही हैं, और उल्टा पत्रकारों से पूछा गया कि सौरभ ग्वालियर का है, वह कहां है? इस बयान के माध्यम से दिग्विजय सिंह ने सरकार और प्रशासन पर सवाल उठाया और यह भी जाहिर किया कि कहीं न कहीं सत्ता और प्रशासन की नीतियों में खामी है, जिसकी वजह से ऐसे मामलों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
देश के संविधान और संस्थाओं की सुरक्षा
दिग्विजय सिंह के इन सभी आरोपों के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा करना बेहद जरूरी है। जब सरकार और उसकी एजेंसियां सत्ता के प्रभाव में काम करने लगती हैं, तो यह न केवल लोकतंत्र को कमजोर करता है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कम करता है। दिग्विजय सिंह के अनुसार, यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो लोकतंत्र के बचे-खुचे सिद्धांतों पर भी खतरा आ सकता है।
संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की जरूरत
दिग्विजय सिंह ने अपनी बातों में यह भी कहा कि देश के संविधान की रक्षा करना सभी भारतीय नागरिकों की जिम्मेदारी है। अगर यह संविधान कमजोर पड़ता है, तो इसका प्रभाव न केवल हमारे लोकतंत्र पर पड़ेगा, बल्कि पूरे समाज और देश की कार्यप्रणाली पर भी बुरा असर डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी और उसके सहयोगी संगठनों को यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने की कोशिश से देश का भला नहीं हो सकता।
लोकतंत्र और संविधान की रक्षा: दिग्विजय सिंह का अहम संदेश
दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर से बीजेपी सरकार और उसकी नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके आरोपों में सत्ता के दुरुपयोग, चुनावी धांधली और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिशें शामिल हैं। यह बेशक लोकतंत्र और संविधान की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है। अगर देश की संस्थाएं निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं रहेंगी, तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है। दिग्विजय सिंह ने इस आर्टिकल के माध्यम से देशवासियों से अपील की है कि वे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें, ताकि देश का भविष्य सुरक्षित रह सके।
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